बढ़ता ही जा रहा स्ट्रीट डॉग्स का आतंक, संख्या को नियंत्रित करने में नगर निगम फेल, कॉलोनियों के रहवासी दहशत में

Terror of street dogs keeps increasing, municipal corporation fails to control the number
बढ़ता ही जा रहा स्ट्रीट डॉग्स का आतंक, संख्या को नियंत्रित करने में नगर निगम फेल, कॉलोनियों के रहवासी दहशत में
बढ़ता ही जा रहा स्ट्रीट डॉग्स का आतंक, संख्या को नियंत्रित करने में नगर निगम फेल, कॉलोनियों के रहवासी दहशत में

निगम का दावा अब तक करीब 40 हजार की नसबंदी कर चुके, कई गुना बढ़ जाती है आबादी, जिले में रोजाना 100 से अधिक लोगों को काटते हैं कुत्ते
डिजिटल डेस्क जबलपुर ।
इंसानों के सबसे भरोसेमंद साथी कहे जाने वाले कुत्ते अब दहशत का पर्याय बनते जा रहे हैं। जिले में रोजाना 100 से अधिक लोग आवारा कुत्तों के शिकार बन रहे हैं। इनमें से बहुत कम लोगों को ही सरकारी उपचार मुहैया हो पाता है और बाकी लोग निजी अस्पतालों के चक्कर काटते हुए जेबें ढीली करते हैं। इनमें से बहुत से लोग दम भी तोड़ देते हैं हालाँकि सरकारी रिकॉर्ड में यह बताया जाता है कि साल में 6 लोग रैबीज से मर जाते हैं। कॉलोनियों, बाजारों व अंधेरी बस्तियों में इन कुत्तों का आतंक ऐसा है कि रात के वक्त लोग घरों से बाहर नहीं निकलते हैं। नगर निगम पर कुत्तों को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी है लेकिन निगम इस कार्य में फेल साबित हो रहा है और इनकी संख्या निरंतर बढ़ रही है। शहर का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहाँ आवारा कुत्तों की धमाचौकड़ी न होती हो और लोग उनसे परेशान न हों। यह बात अलग है कि आवारा कुत्तों को चाहने वालों की संख्या भी बहुत है लेकिन वे भी यह चाहते हैं कि इनकी संख्या नियंत्रित रहे। वर्ष 2012 में हुई 19वीं पशु गणना में आवारा कुत्तों की संख्या 15 हजार 447 थी जो वर्ष 2018 की गणना में बढ़कर 24 हजार 660 हो गई।  यदि एनीमल बर्थ कंट्रोल न होता तो यह संख्या 1 लाख के पार हो गई होती। वहीं नगर निगम का दावा है कि वर्ष 2011 से शुरू हुए नसबंदी अभियान में अब तक करीब 52 हजार नसबंदियाँ की जा चुकी हैं। हालाँकि निगम का यह आँकड़ा हकीकत से परे समझ आता है क्योंकि यदि ऐसा होता तो शहर आवारा कुत्तों से परेशान न होता। 
गाडिय़ों का पीछा दूर तक होने लगा 
आवारा कुत्ते पहले भी थे और लोग उनसे परेशान पहले भी होते थे लेकिन अब ये अधिक खूँखार हो गए हैं। पहले तो कुत्ते केवल भौंकते थे और डराते थे लेकिन अब ये दोपहिया वाहनों का दूर तक पीछ़ा करते हैं, जिससे वाहन चालक या तो किसी अन्य वाहन से टकरा जाता है या फिर गिर पड़ता है। इस लिहाज से आवारा कुत्ते यातायात में भी भारी व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं। 
नींद में खलल डालती है भौंकने की आवाज 
कुत्ते यदि गली में भौंकें तो इससे सुरक्षा का अहसास होता है लेकिन जब वे लगातार भौंकते ही रहें तो इससे लोग सो नहीं पाते, बच्चे पढ़ नहीं पाते हैं और बीमार तथा बुजुर्गों को इससे भारी परेशानी होती है। शहर के पॉश एरियों में बने अपार्टमेंटों में भी आवारा कुत्तों की धमाचौकड़ी चलती है, जिससे लोग सो नहीं पाते हैं और वे माँग कर रहे हैं कि इनकी संख्या को नियंत्रित किया जाए। 
पालतू कुत्तों पर टूट पड़ते हैं 
आवारा कुत्ते पालतू श्वानों को अपना दुश्मन मानते हैं और जैसे ही पालतू श्वान घर से बाहर निकलते हैं या उन्हें जंजीर में बाँधकर घर का कोई सदस्य बाहर लेकर निकलता है तो ये आवारा कुत्ते उन पर टूट पड़ते हैं। ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। नेपियर टाउन में पिछले दिनों ही ऐसा मामला सामने आया था जब वे अपने पालतू कुत्ते को टहला रही थीं कि अचानक ही 10-12 की टोली में आए आवारा कुत्तों ने हमला कर दिया, जिससे उनका कुत्ता घायल हो गया। 
इनका कहना है
* आवारा कुत्तों का बधियाकरण तेज किया जाए। जिस गति से आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती है उस गति से नसबंदी अभियान नहीं चलता। निगम के पास केवल एक ही सेंटर है जबकि ऐसे सेंटर निगम के साथ ही नगर पालिकाओं और परिषदों में भी होने चाहिए। 
-डॉ. सुनीलकांत वाजपेई उपसंचालक पशु चिकित्सा विभाग
* नगर निगम द्वारा रोजाना करीब 6 से 8 आवारा कुत्तों की नसबंदी की जाती है। जिसके चलते इनकी संख्या में कमी आ रही है, लेकिन इनकी संख्या पहले से ही बहुत ज्यादा है।
-भूपेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी नगर निगम
 

Created On :   16 Jan 2021 5:51 PM IST

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