- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- भोपाल
- /
- क्या सिर्फ यादों में जिंदा रह...
क्या सिर्फ यादों में जिंदा रह जायेंगे कुयें
डिजिटल डेस्क मोहन्द्रा .। ग्रामीण इलाकों में सिर्फ पानी का मुख्य स्त्रोत ही नहीं बल्कि हमारे समाज में संस्कृति, परंपराओं और मांगलिक कार्यक्रमों का महत्तवपूर्ण हिस्सा रहे कुयें आज अंतिम सांसे गिन रहे है। कुछ साल पहले तक ग्रामीण इलाकों में यह कुयें पानी पीने के साथ-साथ सिंचाई का भी मुख्य साधन हुआ करते थे। मगर अधाधुंध भू-जल के दोहन व घर में निजी जलस्रोत की स्वार्थी सोच ने कुओं के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा कर दिया है। कुछ साल पहले गर्मियां प्रारंभ होने के साथ तालाब सूखे, फिर कुएं और अब यह निजी जल स्त्रोत कुछ अरसा पहले तक मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत कुओं से होती थी पर अब साफ-सफाई न रहने के कारण सभी प्रकार की मांगलिक रस्में भी सरकारी हैण्डपम्प से होती हुई निजी जल स्रोत में संपन्न होने लगी है। एक समय वो भी था जब बुजुर्ग कुयें का पानी पीकर निरोगी रहते थे पर अब सरकारें सतह के जल को शुद्व ही नहीं मानती। कस्बे के अंदर लगभग दो दर्जन कुयेंं रखरखाव के अभाव में लगभग सूखने की कगार पर है। गांवों को शहर बना देने की सनक के घोडे पर सवार होकर नेताओं, अफसरों ने गावों को शहर की तरह कुओं और तालाब विहीन बना दिया है काश इन तथाकथित विकास पुरुषों ने शहर की पेयजल आपूर्ति शहर के संसाधनों व गांव की पेयजल आपूर्ति गांव के संसाधनों पर सवांरने की नीति बनाई होती तो शायद ही गांवों में जलसंकट कभी पैर नहीं पसारता।
Created On :   17 Jan 2022 10:44 AM IST