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कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए 22 विधायकों की अयोग्यता का क्यों नहीं हो रहा निराकरण?
जबलपुर के विधायक की विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मप्र विधानसभा के स्पीकर को नोटिस, अगली सुनवाई 21 सितंबर को
डिजिटल डेस्के जबलपुर । कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए 22 विधायकों की अयोग्यता के मामले का निराकरण न होने को चुनौती देने वाली जबलपुर के विधायक की विशेष अनुमति याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मप्र विधानसभा के स्पीकर को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एसए बोवड़े, जस्टिस एएम बोपन्ना और जस्टिस बी. रामासुब्रामणियम की बैंच ने नोटिस का जवाब देने के निर्देश देकर अगली सुनवाई 21 सितंबर को निर्धारित की है।
जबलपुर के विधायक विनय सक्सेना की ओर से दायर इस याचिका में कहा गया कि कांग्रेस पार्टी के 22 विधायकों ने अपने त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया था। इसके बाद 22 में से 12 विधायकों को भाजपा ने मंत्री भी बना दिया। याचिका में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 10 का हवाला देकर कहा गया है कि जब किसी पार्टी से निर्वाचित पार्षद अपनी पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र देता है वो वह अयोग्य घोषित हो जाता है। इतना ही नहीं, नया चुनाव जीतने से पहले अयोग्य घोषित विधायक मंत्री पद की शपथ नहीं ले सकते। याचिका में आरोप है कि उन सभी 22 विधायकों की अयोग्यता का मामला पिछले चार माह से मप्र विधानसभा के स्पीकर के सामने लंबित है, लेकिन वो उसका निराकरण नहीं कर रहे। लिहाजा इस बारे में स्पीकर को आवश्यक निर्देश दिए जाएं।
मामले पर सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, विवेक कृष्ण तन्खा और अधिवक्ता वैभव जोशी ने अपनी दलीलें रखीं। सुनवाई के बाद बैंच ने स्पीकर को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
Created On :   18 Aug 2020 6:49 PM IST