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भले भूखे मर जाएँगे, लेकिन गाँव नहीं छोड़ेंगे, 4 दिन में सायकिल से तय किया 400 किमी का सफर
डिजिटल डेस्क अनूपपुर। चेन्नई में मजदूरी का कार्य करते थे। 22-25 मार्च को लॉक डाउन घोषित होने के बाद भी चेन्नई में ही रुके रहे। पहले ठेकेदार के भरोसे और उसके बाद शासन के भरोसे मजदूरी तलाशते रहे। शासन-प्रशासन द्वारा जो भोजन प्रदान किया जाता था, उसे खाकर जैसे तैसे गुजारा किया, लेकिन जब हालात बिगड़ते गए और मजदूरी व राशन मिलना बंद हो गया तब आपस में चंदा कर एक साइकिल खरीदी और चेन्नई से साइकिल पर ही निकल पड़े सैकड़ों मील की यात्रा पर। यह दास्तां है लॉड डाउन में फंसे अनूपपुर जिले के केल्हारी गांव के रिश्ते के दो भाईयों की। 29 मई की शाम यहां पहुंचे दोनों युवकों संतोष चक्रधारी व मनोज चक्रधारी ने अपनी व्यथा सुनाई।
20 मई को चले थे चेन्नई से-
मनोज चक्रधारी ने बताया कि 20 मई को चेन्नई से निकले थे। दिन में तेज गर्मी होने के कारण शाम को अपना सफर प्रारंभ करते थे। 23 मई को आंध्रप्रदेश व छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित कोटा पहुंचे, जहां उन्हें पुलिस ने रोका। उन्हें 2 दिनों तक वहीं रखा गया। फिर बस के माध्यम से बिलासपुर तक भेजा गया, जहां से वे वेंकटनगर और फिर अनूपपुर पहुंचे। दोनों ने बताया कि 10 दिन का यह सफर उनके जीवन का सबसे कठिन सफर रहा। अब भले ही वे अपने गांव में भूख से मर जाएंगे, लेकिन मजदूरी के लिए दोबारा बाहर नहीं जाएंगे। दोनों को छत्तीसगढ़ राज्य के केल्हारी ग्राम में जाना था, दोनों साइकिल से ही अनूपपुर से रवाना हो गए।
इधर आए थे होली मनाने, फंस गए लॉक डाउन में
30 मई को शहडोल जिले के ईटा भट्टा गांव से 4 मजदूर पैदल ही छत्तीसगढ़ राज्य जांजगीर के लिए रवाना हुए। उमेश पटेल, सरजू पटेल, रामेश्वर पटेल और जिज्ञासा पटेल पैदल ही सफर तय कर रहे थे। पूछने पर उमेश पटेल ने बताया कि यह तीनों उसके मित्र हैं और वह ईटा भट्टा मैं अपने दोस्तों के साथ होली का त्यौहार मनाने आया था। 7 मार्च को वह अपने ससुराल पहुंचा था जहां 10 दिन तक होली का त्यौहार चला और 22 मार्च से जिले में लॉक डाउन हो गया। कुछ दिनों तक तो गरीब ससुरल वालों ने भोजन की व्यवस्था की, बाद में उन्होंने ही यहां पर मजदूरी प्रारंभ कर दी। अब मजदूरी भी बंद हो गई तो वह पैदल ही चल पड़े। मजदूरों के पैदल जाने की खबर चचाई थाना प्रभारी डीएसपी प्रिया सिंह को मिली। मौके पर पहुंच कर मजदूरों को वाहन के माध्यम से अनूपपुर जिला मुख्यालय स्थित रैन बसेरा तक भेजा गया। यहां से बस के माध्यम से उनके गृह जिले की सीमा तक भेजा गया।
Created On :   30 May 2020 11:08 PM IST