Pimpri-Chinchwad News: सिंधी विस्थापितों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक़, विशेष अभय योजना- 2025 लागू

सिंधी विस्थापितों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक़, विशेष अभय योजना- 2025 लागू
  • महाराष्ट्र सरकार की ‘विशेष अभय योजना- 2025’ लागू
  • सिंधी विस्थापितों को मिलेगा जमीन का मालिकाना हक़
  • एक वर्ष के लिए लागू रहेगी विशेष अभय योजना

Pimpri-Chinchwad News. संतोष मिश्रा। विभाजन के दौरान पाकिस्तान से भारत आए और महाराष्ट्र में पुनर्वासित हुए लाखों सिंधी विस्थापित परिवारों को अब उनकी जमीनों और संपत्तियों पर वैध और स्थायी मालिकाना हक मिलने का रास्ता साफ हो गया है। विस्थापित समुदाय द्वारा गत कई सालों से की जा रही मांग पर महाराष्ट्र सरकार ने इसके लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए ‘विशेष अभय योजना- 2025’ लागू करने की घोषणा की है। इस संबंध में सरकार के राजस्व व वन विभाग की उपसचिव अश्विनी यमगर ने आदेश जारी किया है। यह योजना ऐसे विस्थापित परिवारों के लिए है जो पिछले कई दशकों से राज्य के विभिन्न अधिसूचित सिटी सेटलमेंट क्षेत्रों में बसे हैं और जिनकी ज़मीनें अब तक वैधानिक रूप से नियमित नहीं की गई थीं।

सन 1947 में भारत-पाक विभाजन के दौरान लाखों हिंदू-सिख परिवारों को पाकिस्तान छोड़कर भारत आना पड़ा। उन्होंने पाकिस्तान में अपनी संपत्तियां छोड़ दीं। भारत सरकार ने उन छोड़ी गई संपत्तियों के बदले में भरपाई संकोष संपत्ति (कंपसेशन पूल प्रॉपर्टीस) के रूप में देश के विभिन्न हिस्सों में ज़मीन और मकान उपलब्ध कराए। महाराष्ट्र में ऐसे लगभग 30 क्षेत्र अधिसूचित किए गए, जिनमें उल्हासनगर, जलगांव, पुणे, पिंपरी चिंचवड़, नागपुर, नासिक और औरंगाबाद प्रमुख थे। हालांकि, इन संपत्तियों पर रहने वाले लोग दशकों से रह रहे हैं, फिर भी उन्हें अब तक पूर्ण कानूनी अधिकार नहीं मिल पाए थे। इस संदर्भ में विस्थापित समुदाय, सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों द्वारा लगातार सरकार से मांग की जा रही थी।

एक वर्ष के लिए लागू रहेगी विशेष अभय योजना

इसके अनुसार राज्य सरकार ने सिंधी विस्थापित समुदाय को उनकी जमीन का मालिकाना हक़ दिलाने के लिहाज से ‘विशेष अभय योजना- 2025’ लागू की है। हालांकि इस अभय योजना का लाभ केवल अधिकृत सिटी सेटलमेंट क्षेत्रों (उल्हास नगर को छोड़कर) और सक्षम प्राधिकरण द्वारा मान्य शरणार्थी बस्तियों को मिलेगा। इसके लिए उनसे आवासीय एवं व्यावसायिक उपयोग के अनुसार प्रीमियम यानी अधिमूल्य लिया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा आवासीय उपयोग के लिए अधिमूल्य 2.5 प्रतिशत और व्यावसायिक उपयोग के लिए अधिमूल्य 5 प्रतिशत तय किया गया है। जमीनों का ‘फ्रीहोल्ड’ अधिकार अर्थात पूर्ण मालिकी भी प्राप्त की जा सकती है। यह अभय योजना एक वर्ष के लिए लागू रहेगी, जिसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है।

अधिमूल्य गणना के लिए तीन श्रेणियां निर्धारित

इस योजना की विशेषता यह है कि जिन लोगों के पास वैध रजिस्टर्ड दस्तावेज़ नहीं हैं, वे भी आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें राष्ट्रीयता प्रमाण पत्र, मतदाता पहचान पत्र/मतदाता सूची, बिजली बिल, हाउस टैक्स रसीद, नगरपालिका द्वारा जारी अधिसूचना या नोटिस, कब्जे के प्रमाण (फोटो, हलफनामा, पंचायत प्रमाण पत्र आदि) जैसे दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे। इससे उन हजारों लोगों को राहत मिलेगी जिनके पास संपत्ति के सीमित दस्तावेज़ हैं, लेकिन वे लंबे समय से भूमि पर काबिज हैं। इस योजना के अंतर्गत पुराने दस्तावेजों के आधार पर अधिमूल्य की गणना के लिए 20 जुलाई 1982 से पहले और 21 जुलाई 1982 से 31 दिसंबर 2000 और 1 जनवरी 2001 से 31 दिसंबर 2024 तक तीन श्रेणियाँ निर्धारित की गई हैं। संबंधितों को क्रमवार 1989, 2000 और जारी वर्ष के रेडीरेकनर के हिसाब से अधिमूल्य का भुगतान करना होगा।

प्रशासनिक अमल और विशेष शिविरों की योजना

राज्य सरकार की इस योजना का मुख्य उद्देश्य सामाजिक स्थायित्व, पुनर्वास की प्रक्रिया का समापन और विस्थापितों को आत्मनिर्भर बनाना है। यह योजना न केवल उनकी कानूनी स्थिति स्पष्ट करेगी, बल्कि शहरी योजनाओं, बुनियादी सुविधाओं और व्यक्तिगत निवेश में भी स्थायित्व लाएगी। इस योजना के सुचारू कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार ने जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है। इसके अनुसार, प्रत्येक जिले में विशेष शिविर आयोजित किए जाएंगे। पात्र लाभार्थियों की सूची बनाई जाएगी, दस्तावेजों की जांच और सत्यापन की जाएगी। अंतिम पात्रों को अधिमूल्य की गणना कराकर मालिकाना हक का प्रमाण पत्र (फ्री होल्ड पट्टा) दिया जाएगा। इसके अलावा, विभागीय आयुक्तों को हर पखवाड़े सरकार को प्रगति रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।

हीरानंद उर्फ़ डब्बू आसवानी, पूर्व उपमहापौर, पिंपरी चिंचवड़ के मुताबिक हम महाराष्ट्र सरकार के आभारी हैं, उन्होंने पिंपरी चिंचवड़ (पिंपरी) और पुणे समेत समस्त महाराष्ट्र में बसे सिंधी समुदाय की बरसों से की जा रही मांग का सम्मान किया है। पिंपरी कैंप में सालों से बसे ढाई- तीन सौ से अधिक परिवारों को इस योजना लाभ मिलेगा। यह अभय योजना सिंधी समुदाय के लिए सम्मान और सुरक्षा का प्रतीक है जिससे हमारी तीन पीढ़ियों को न्याय मिला।


Created On :   19 May 2025 8:37 PM IST

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