डिजिटल स्कूलों की फजीहत, जिला परिषद के 200 स्कूलों की कटी बिजली

डिजिटल डेस्क,नागपुर। डिजिटलाइजेशन के दौर में स्कूलों को डिजिटल बनाने की कवायद करते हुए नागपुर जिला परिषद भी शामिल हुआ। जनसहयोग से 1059 स्कूलों को डिजिटल बना तो दिया लेकिन अब बिल भरने की फजीहत हो रही है। स्कूलों के पास बिजली बिल भरने के लिए निधि नहीं है। बकाया बढ़ने से जिले के 200 से अधिक स्कूलों का कनेक्शन काट दिया गया। स्कूलों को मिलने वाली रख-रखाव निधि भी बिल भरने के लिए कम पड़ने से जिला परिषद का डिजिटल स्कूल का सपना चकनाचूर हो गया है।
शिक्षा क्षेत्र में अंगरेजी माध्यम के साथ ही डिजिटलाइजेशन का भूत सिर चढ़कर बोलने लगा। तकनीकी दौर में अस्तित्व बचाने जिप स्कूलों के डिजिटलाइजेशन पर जोर दिया गया। काम को अंजाम देने के लिए जिला परिषद के पास निधि नहीं थी। जनसहयोग से निधि जुटाकर जिले की 1059 स्कूलों को डिजिटल किया गया। जिन स्कूलों का डिजिटलाइजेशन बाकी है, उसे आगामी शैक्षणिक सत्र में पूरा करने का दावा जिला परिषद प्रशासन कर रहा है। होड़ में स्कूलों का डिजिटलाइजेशन तो हुआ, परंतु डिजिटल उपकरणों का उपयोग करने के लिए आवश्यक बिजली बिल भरने के लिए स्कूलों के पास निधि कम पड़ रही है।
साल में एक बार मिलने वाली रख-रखाव निधि से बिजली का बिल भरा जाता है। प्राथमिक स्कूल को हर साल 10 हजार और उच्च प्राथमिक स्कूल को 15 हजार रुपए निधि दी जाती है। जहां प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल है, ऐसे स्कूलों को दोनों मिलाकर 22 हजार रुपए निधि दी जाती है। इस निधि का उपयोग स्कूल की इमारत का रंगरोगन, खेल के मैदान पर आवश्यक सुविधा, शौचालय और स्कूल की इमारत के दरवाजे, खिड़कियां तथा दीवारों की दुरुस्ती और बिजली बिल भरने के लिए कया जाता है।
जिप स्कूलों पर 20 लाख बिल बकाया
जिले में 1600 से अधिक जिला परिषद की स्कूल है। स्कूल को व्यावसायिक मीटर लगाए जाने से महीने भर का न्यूनतम बिल 570 रुपए भेजा जाता है। रखरखाव की निधि से बिल भरा जाता है, लेकिन निधि कम पड़ने से जिप के स्कूलों पर 20 लाख रुपए बिल बकाया है।
जुलाई में दिए थे 414 रुपए
सन 2017 में जिप की 241 स्कूलों का बिजली कनेक्शन काट दिया गया था। जिला परिषद शिक्षा समिति ने 1 लाख रुपए मंजूर कर सभी स्कूलों को समप्रमाण में 414 रुपए देने का निर्णय लिया था। जुलाई महीने में स्कूलों को निधि वितरित की गई। बकाया बिल के मुकाबले आवंटित राशि कम पड़ने से इसका खास उपयोग नहीं हो पाया। हालांकि रखरखाव के लिए मिलनेवाली निधि से कुछ स्कूलाें द्वारा बकाया बिल भरकर कनेक्शन शुरू कराए गए। जिन स्कूलों का लंबे समय से बिल बकाया है, ऐसे 200 से अधिक स्कूलों का कनेक्शन बंद पड़ा है।
कनेक्शन न कटनेे के लिए मुख्याध्यापकों को निर्देश
स्कूलों को अपनी निधि से बिजली बिल भरना है। किसी भी स्कूल का कनेक्शन कटने नहीं देने का निर्देश मुख्याध्यापकों को दिया गया है। (उकेश चौहान, सभापति, जिप शिक्षण समिति)
प्राप्त निधि का उपयोग नहीं
बिजली बिल हजारों में बकाया है। जो निधि दी गई, काफी कम है। कनेक्शन जोड़ने निधि का कोई उपयोग नहीं होगा। निधि में वृद्धि करनी होगी, ताकि स्कूलों का कनेक्शन कट होनी की नौबत न आए। (अनिल नासरे, जिला महासचिव महाराष्ट्र राज्य प्राथमिक शिक्षक समिति)
सेस फंड से बिल भरने का प्रावधान नहीं
स्कूलों को रखरखाव निधि दी जाती है। उस निधि से ही बिजली बिल भरने स्कूलों को सूचित किया गया है। जिला परिषद के सेस फंड से बिल भरने का कोई प्रावधान नहीं है। (दीपेंद्र लोखंडे, जिला शिक्षणाधिकारी (प्राथमिक)
Created On :   9 April 2018 2:43 PM IST