मार्गशीर्ष अमावस्या आज: संयम, साधना और तप के लिए है श्रेष्ठ

Margashirsha Amavasya is best for abstinence, meditation and meditation
मार्गशीर्ष अमावस्या आज: संयम, साधना और तप के लिए है श्रेष्ठ
मार्गशीर्ष अमावस्या आज: संयम, साधना और तप के लिए है श्रेष्ठ

डिजिटल डेस्क। हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है, जो हर महीने में एक बार आती है। वहीं अगहन मास में आने वाली अमावस्या का अपना खास महत्व है। इसे मार्गशीर्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, जो ​कि इस वर्ष 26 नवंबर को यानी कि आज है। इस अमावस्या का महत्व कार्तिक माह की अमावस्या से कम नहीं माना जाता है। इस दिन पितरों को याद करने के अलावा गंगा स्नान भी किया जाता है। 

इस दिन तीर्थस्नान, जप, तप और व्रत के पुण्य से कर्ज और पापों से मुक्ति मिलती है। मार्गशीर्ष अमावस्या को संयम, साधना और तप के लिए श्रेष्ठ दिन माना जाता है। 

महत्व
इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजन का विधान होता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं अगहन माह में ही भगवान कृष्ण ने गीता का दिव्य ज्ञान दिया था, जिसके कारण से इस माह की अमावस्या तिथि को अत्यधिक लाभकारी और पुण्य फलदायी माना जाता है।

कहा जाता है कि व्यक्ति को देवों से पहले पितरों को प्रसन्न करना चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष विराजमान होता है या संतानहीन का योग बन रहा होता है तो उन लोगों को अवश्य ही इस दिन उपवास करना चाहिए। 

मान्यता
शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि मार्गशीर्ष अमावस्या पर अपने पूर्वजों की पूजा करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। अगर कोई व्यक्ति इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना और अमस्वस्या का व्रत करता है तो उसके पूर्वजों को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस कारण पूर्वज तृप्त होते हैं और पितृ दोष से शांति मिलती है। 

विष्णुपुराण के अनुसार इस अमावस्या को व्रत करने से सिर्फ पितृ तृप्त नहीं होते बल्कि ब्रह्मा, इंद्र, रुद्र, सूर्य, अग्नि, पशु-पक्षी और सभी भूत-प्रेत भी तृप्त होकर प्रसन्न होते हैं। इस दिन व्रत के साथ श्री सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा का पाठ किया जाना शुभ माना जाता है। 

Created On :   23 Nov 2019 9:40 AM GMT

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