Skanda shasthi 2025: श्रावण स्कंद षष्ठी पर इस विधि से करें भगवान कार्तिकेय की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और मंत्र

श्रावण स्कंद षष्ठी पर इस विधि से करें भगवान कार्तिकेय की पूजा, जानिए शुभ मुहूर्त और मंत्र
  • श्रावण मास में षष्ठी तिथि 30 जुलाई को है
  • यह दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित है
  • व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। हिंदी कैलेंडर के प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी (Skanda shasthi) का व्रत किया जाता है। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 30 जुलाई 2025 दिन बुधवार को पड़ रही है। यह दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित है, जो कि भगवान शिव और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से संतान प्राप्ति के साथ-साथ सुख, शांति मिलती है। साथ ही भगवान स्कंद की पूजा से पूजा और व्रत से मनोवांछित लाभ प्राप्त होता है।

षष्ठी तिथि कार्तिकेय जी की होने के कारण इसे कौमारिकी भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि, इस दिन संसार में हो रहे कुकर्मों को समाप्त करने के लिए कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूरे विधि विधान से पूजा की जाती है। आइए जानते हैं स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और व्रत पूजा विधि...

स्कन्द षष्ठी मुहूर्त

विजय मुहूर्त: आज दोपहर 2 बजकर 11 मिनट से 2 बजकर 52 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त: आज शाम 5 बजकर 36 मिनट से 6 बजकर 03 मिनट तक

निशिता मुहूर्त: आज रात्रि 12 बजे से 12 बजकर 54 मिनट तक

इन मंत्रों का करें जाप

ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महासेनाय धीमहि, तन्नो स्कंद प्रचोदयात।

देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तुते।।

ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।।

ॐ सुब्रहमणयाया नमः।

स्कन्द षष्ठी की पूजा विधि

- सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करें।

- इसके बाद घर के मंदिर की सफाई करें और एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।

- अब भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा की स्थापना करें।

- इनके साथ ही शंकर-पार्वती और गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित करें।

- इसके बाद कार्तिकेय जी के सामने कलश स्थापित करें।

- पहले गणेश वंदना करें और संभव हो तो अखंड ज्योत जलाएं।

- इसके बाद भगवान कार्तिकेय पर जल अर्पित करें और नए वस्त्र चढ़ाएं।

- पुष्प या फूलों की माला अर्पित कर फल, मिष्ठान का भोग लगाएं।

डिसक्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारी अलग- अलग किताब और अध्ययन के आधार पर दी गई है। bhaskarhindi.com यह दावा नहीं करता कि ये जानकारी पूरी तरह सही है। पूरी और सही जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ (ज्योतिष/वास्तुशास्त्री/ अन्य एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें।

Created On :   30 July 2025 12:55 PM IST

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