मासिक शिवरात्रि: जानें आषाढ़ शिवरात्रि का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

Masik Shivratri: Know importance and auspicious time of worship
मासिक शिवरात्रि: जानें आषाढ़ शिवरात्रि का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त
मासिक शिवरात्रि: जानें आषाढ़ शिवरात्रि का महत्व और पूजा का शुभ मुहूर्त

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार हर माहीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। आषाढ़ मास की मासिक शिवरात्रि 8 जुलाई गुरुवार को है। मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं। शास्त्रों के अनुसार देवी लक्ष्मी, सरस्वती, इंद्राणी, गायत्री, सावित्री, पार्वती और रति ने शिवरात्रि का व्रत किया था और शिव कृपा से अनंत फल प्राप्त किए थे। इस दिन शिव लिंग पर पुष्प चढ़ाने तथा शिव के मंत्रों के जप का विशेष महत्व होता है। 

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, मासिक शिवरात्रि के दिन वृद्धि और ध्रुव योग बन रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, वृद्धि योग शाम 04 बजकर 20 मिनट तक रहेगा। इसके बाद ध्रुव योग लग जाएगा। मान्यता है कि इन योग में किये गए कार्य सफल होते हैं। आइए जानते हैं इस व्रत की विधि और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे में...

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महत्व
मासिक शिवरात्रि का व्रत बहुत प्रभावशाली होता है। माना जाता है कि इस दिन उपवास रखकर भगवान शिव की विधि विधान से पूजा की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके अलावा जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिमने के अलावा मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है और विवाह में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। इस व्रत की महिमा से व्यक्ति दीर्घायु, ऐश्वर्य, आरोग्य, संतान एवं विद्या आदि प्राप्त कर अंत में शिवलोक जाता है।

व्रत और पूजा विधि
- शिव चतुर्दशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नानादि से निवृत्त हों।
- इसके बाद सूर्य देव को जल दें और व्रत का संकल्प लें।
- घर के मंदिर को साफ करें और विधि विधान से पूजा करें।
- व्रत में महादेव शिव के साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय जी एवं शिवगणों की पूजा की जाती है। 

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- शिव जी की पूजा में प्रथम भगवान शिव का अभिषेक करें। 
- जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी, गंगाजल तथा गन्ने के रसे आदि से अभिषेक करें।
- अभिषेक करने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दुर्बा आदि चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न करें।
- अंत में गांजा, भांग, धतूरा तथा श्री फल(नारियल) शिव जी को भोग के रुप में समर्पित करें।

इन मंत्रों का करें जाप

“ॐ नम: शिवाय” या”  शिवाय नम:”

Created On :   7 July 2021 10:29 AM GMT

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