व्रत: आज है मोक्षदा एकादशी, इस व्रत से व्रती के साथ पितरों को भी मिलता है लाभ

Mokshada Ekadashi: know auspicious time and method of worship
व्रत: आज है मोक्षदा एकादशी, इस व्रत से व्रती के साथ पितरों को भी मिलता है लाभ
व्रत: आज है मोक्षदा एकादशी, इस व्रत से व्रती के साथ पितरों को भी मिलता है लाभ

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मार्गशीर्ष यानी कि अगहन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। जो कि इस वर्ष यह एकादशी 25 दिसंबर यानी कि आज है। यह इस साल की आखिरी एकादशी भी है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मोक्षदा एकादशी व्रत का लाभ व्रती के साथ पितरों को भी मिलता है और व्रती के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं इसकी कथा को पढ़ने या सुनने से वायपेय यज्ञ करने के तुल्य फल मिलता है।

जो भी इस दिन किसी योग्य व्यक्ति को भगवत गीता उपहार के स्वरुप में देता है, वह श्री कृष्ण द्वारा आशीर्वाद प्राप्त करता है। पराना का मतलब व्रत खोलना होता है। एकदशी पराना एकदशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। द्विद्वादशी तिथि के भीतर ही पराना करना आवश्यक है। द्विद्वादशी के भीतर पराना नहीं करना अपराध के समान है।

अगहन मास 2020: जानें हिन्दू पंचांग में क्या है इसका महत्व, क्यों कहा जाता है इसे मार्गशीर्ष

मोक्षदा एकादशी व्रत मुहूर्त
तिथि प्रारंभ: 24 दिसंबर, रात 11 बजकर 17 मिनट से
तिथि समापन: 25 दिसंबर, रात 1 बजकर 54 मिनट तक

सात्विक भोजन
मोक्षदा एकादशी के दिन अन्य एकादशियों की तरह ही व्रत करने का विधान है। मोक्षदा एकादशी से एक दिन पहले यानि दशमी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए तथा सोने से पहले भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए।  मोक्षदा एकादशी के दिन सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर पूरे घर में गंगाजल छिड़क कर घर को पवित्र करना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। पूजा में तुलसी के पत्तों को अवश्य शामिल करना चाहिए।

दिसंबर माह: इस माह में आएंगे ये व्रत और पर्व, जानें इनकी तिथि और दिन

भजन- कीर्तन
पूजा करने बाद विष्णु के अवतारों की कथा का पाठ करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी की रात्रि को भगवान श्रीहरि का भजन- कीर्तन करना चाहिए। द्वादशी के दिन पुन: विष्णु की पूजा कर ब्राह्मणों को भोजन करा उन्हें दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए। अंत: में परिवार के साथ बैठकर उपवास खोलना चाहिए। मोक्ष की प्राप्ति के इच्छुक जातकों के लिए हिन्दू धर्म में इस व्रत को सबसे अहम और पुण्यकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य से मनुष्य के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसे जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।

Created On :   21 Dec 2020 5:40 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story