मप्र में कोरोनाकाल में बच्चों की बोरियत मिटाने की कोशिशें जारी

Efforts to eradicate the boredom of children in the coronary period in MP
मप्र में कोरोनाकाल में बच्चों की बोरियत मिटाने की कोशिशें जारी
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भोपाल, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। कोरोना संक्रमण के कारण सबसे ज्यादा कठिन दौर से अगर किसी को गुजरना पड़ा है तो वे हैं बच्चे। वजह यह कि स्कूल बंद हैं और उनके सामूहिक तौर पर खेलने कूदने पर पाबंदी है। इस बोरियत भरे दौर से बच्चों के उबारने के लिए मध्यप्रदेश की बच्चों से जुड़ी संस्थाओं ने कई प्रयास किए हैं। यही कारण रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी इन प्रयासों को सराहा है।

कोरोना के चलते बच्चों को मानसिक समस्याओं के दौर से गुजरना पड़ रहा है। वे इस दौर में खुले पंछी की तरह न होकर घरों में बंद रहने को मजबूर हैं। बच्चों में सृजनात्मकता आए और उनकी बोरियत कम हो, इसके लिए तमाम संस्थाओं ने कई कार्यक्रमों का ऑनलाइन आयोजन किया। बच्चों के लिए काम करने वाले संस्था चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी और यूनिसेफ ने ऑन लाइन कार्यक्रम किए।

बीते सात माह से ऑन लाइन कहानियां सुनाने का दौर चल रहा है, कविताएं लिखने के लिए बच्चो को प्रोत्साहित किया जा रहा है। रंगोली बनाने की प्रतियोगिता कराई जा रही हैं। इसके साथ अनेक ऐसे कार्यक्रम किए जा रहे हैं, जिससे बच्चों की बोरियत कम हो।

चाइल्ड राइट ऑब्जर्वेटरी की प्रमुख और पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच का मानना है कि कोरोना के कारण बच्चों की गतिविधियां थमी हुई हैं, बच्चों में बोरियत बढ़ी है, मगर ऑनलाइन कार्यक्रमों ने बच्चों की बोरियत को तो कम किया ही है। साथ में उनमें सृजन क्षमता का विकास भी किया है।

एक तरफ जहां बच्चों की बोरियत मिटाने के प्रयास जारी है तो दूसरी ओर उनकी समस्याओं को निपटाने के बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रयास किए हैं। आयोग ने संवेदना नाम से टोलफ्री टेली काउंसलिंग का टोल फ्री नंबर 1800-1212-830 जारी किया गया है। इस पर बच्चें कॉल कर विशेषज्ञों से बात कर अपनी समस्या का समाधान पा सकते हैं।

प्रदेश में कोविड-19 के दौरान बाल देखरेख संस्थानों में बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए किए गए विशेष प्रयासों को सर्वोच्च न्यायालय ने सराहना की है। न्यायमूर्ति रविंद्र भट्ट ने मध्यप्रदेश में प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा कोविड के दौरान बच्चों को परामर्श के माध्यम से मानसिक रूप से स्वस्थ रखने, प्रत्येक बच्चे की व्यक्तिगत देखरेख योजना तैयार करने तथा उनकी रचनात्मकता में वृद्धि के प्रयासों को सराहा है।

उन्होंने देश के अन्य राज्यों में भी मध्यप्रदेश के उत्कृष्ट कार्यो का अनुकरण करते हुए देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को परामर्श प्रदान करने और परामर्शदाता का पूल तैयार करने के निर्देश दिए।

एसएनपी/एसजीके

Created On :   2 Dec 2020 6:31 PM IST

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