क्या कवर किया जाता है और क्या नहीं?

क्या कवर किया जाता है और क्या नहीं?
क्योंकि IVF का खर्च ₹1.2 से ₹2.5 लाख प्रति साइकिल तक का हो सकता है; ऐसे में इसका खर्च कई लोगों के लिए बड़ी चिंता का विषय है।

पिछले कुछ सालों में भारत में बांझपन और IVF (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) जैसी सहायक प्रजनन तकनीकों को लेकर जागरूकता काफी बढ़ी है। जैसे-जैसे प्रजनन स्वास्थ्य पर बातचीत आम हो रही है, कई कपल न सिर्फ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बारे में सोच रहे हैं, बल्कि एक अहम सवाल भी पूछ रहे हैं:

क्या भारत में हेल्थ इंश्योरेंस के तहत IVF का खर्च कवर होता है?

क्योंकि IVF का खर्च ₹1.2 से ₹2.5 लाख प्रति साइकिल तक का हो सकता है; ऐसे में इसका खर्च कई लोगों के लिए बड़ी चिंता का विषय है। फ्रोज़न एम्ब्रियो ट्रांसफर (FET) और आधुनिक तकनीकों की मदद से सफलता की दर अब बढ़ रही है, लेकिन अगर कई बार इलाज करना पड़े, तो खर्च भी बढ़ जाता है।

इसी वजह से अब लोग इंश्योरेंस से मिलने वाले सपोर्ट पर ज्यादा ध्यान देने लगे हैं।

क्या हेल्थ इंश्योरेंस भारत में IVF को कवर कर सकता है?

कुछ साल पहले तक इस सवाल का जवाब साफ़ तौर पर "नहीं" था। फर्टिलिटी ट्रीटमेंट को ज्यादातर ऐच्छिक (चॉइस आधारित) माना जाता था, इसलिए यह हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज में शामिल नहीं था। लेकिन 2019 में भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने एक सर्कुलर जारी कर इंश्योरेंस कंपनियों को इस पर दोबारा सोचने के लिए प्रोत्साहित किया। इसमें "मेडिकल नेसेसिटी" की परिभाषा को बढ़ाकर मानसिक, प्रजनन और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य को भी शामिल करने की बात कही गई।

अब 2025 में आकर धीरे-धीरे बदलाव दिखने लगे हैं। कुछ चुनिंदा इंश्योरेंस कंपनियों ने खास प्लान या राइडर के तहत फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए आंशिक कवरेज देना शुरू किया है। भले ही यह अभी सभी के लिए उपलब्ध नहीं है, लेकिन यह भारत के इंश्योरेंस सेक्टर में प्रजनन स्वास्थ्य को लेकर सोच में एक अहम बदलाव की शुरुआत है।

हेल्थ इंश्योरेंस के प्रकार जो IVF को कवर कर सकते हैं

अगर आप IVF करवाने का सोच रहे हैं और इंश्योरेंस के विकल्प तलाश रहे हैं, तो यह समझना जरूरी है कि आपके पास किस तरह की योजनाएं उपलब्ध हैं।

1. ग्रुप इंश्योरेंस बनाम इंडिविजुअल पॉलिसी

कुछ कंपनियों के ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस प्लान अब कर्मचारी वेलनेस प्रोग्राम के तहत फर्टिलिटी बेनिफिट्स भी देने लगे हैं। ये प्लान अक्सर रिटेल प्लान से ज्यादा कवर देते हैं, जैसे कंसल्टेशन, डायग्नोस्टिक टेस्ट या प्रोसीजर के कुछ हिस्से का खर्च।

2. स्टैंडर्ड प्लान बनाम ऐड-ऑन राइडर्स

ज्यादातर इंडिविजुअल हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में बेस कवरेज में IVF शामिल नहीं होता। लेकिन अब ऐड-ऑन या राइडर विकल्प तेजी से बढ़ रहे हैं, जिन्हें थोड़े अतिरिक्त प्रीमियम पर लिया जा सकता है। ये खासतौर पर फर्टिलिटी से जुड़े कुछ खर्चों को कवर करने के लिए बनाए गए हैं।

आईवीएफ (IVF) की कौन-सी लागत आमतौर पर कवर होती है?

अलग-अलग इंश्योरेंस पॉलिसियों में कवरेज अलग हो सकता है, लेकिन कुछ आईवीएफ प्रक्रियाओं को अब विशेष प्लान्स के तहत कवर किया जा रहा है।

डॉक्टर की सलाह और टेस्ट

पहली बार की डॉक्टर की सलाह, हार्मोन टेस्ट (जैसे AMH), और ज़रूरी जांचें (जैसे सीमन एनालिसिस और पेल्विक अल्ट्रासाउंड) आमतौर पर जनरल हेल्थ चेकअप या मैटरनिटी राइडर के तहत कवर होती हैं।

दवाइयाँ

कुछ पॉलिसियों में ओव्यूलेशन बढ़ाने वाली दवाइयों और हार्मोन इंजेक्शन का कुछ हिस्सा कवर होता है, लेकिन इनकी एक अलग सीमा होती है।

प्रक्रिया की लागत

कुछ पॉलिसियां अब आईवीएफ प्रक्रिया (एग रिट्रीवल, फर्टिलाइजेशन और एम्ब्रियो ट्रांसफर) के लिए ₹50,000 से ₹1.5 लाख तक का कवरेज देती हैं, लेकिन यह आमतौर पर सिर्फ एक साइकिल के लिए ही होता है।

समझदारी से यह देखना ज़रूरी है कि आपकी पॉलिसी में क्या-क्या शामिल है, क्योंकि "मैटरनिटी" के तहत जो कवर होता है, वह हमेशा इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट पर लागू नहीं होता।

क्या ज्यादातर प्लान में कवर नहीं होता?

इन सभी प्रगतियों के बावजूद, भारत में IVF इंश्योरेंस कवरेज अभी भी सीमित है। नीचे दी गई चीज़ें आमतौर पर कवर नहीं होतीं:

● एक से ज़्यादा आईवीएफ साइकल: ज्यादातर पॉलिसियां सिर्फ एक साइकिल या एक निश्चित रकम तक ही कवर करती हैं। दोबारा प्रयास करने पर कोई रिम्बर्समेंट नहीं मिलता।

● डोनर स्पर्म या एग्स: तीसरे व्यक्ति के स्पर्म या एग्स का इस्तेमाल करने वाले ट्रीटमेंट आमतौर पर कवर नहीं होते।

● फ्रीजिंग और स्टोरेज: स्पर्म, एम्ब्रियो या एग्स को फ्रीज करने का खर्च और स्टोर करने का खर्च ज्यादातर पॉलिसियों में शामिल नहीं होता।

● एडवांस तकनीक: ICSI (स्पर्म इंजेक्शन), PGT (जेनेटिक टेस्टिंग) और असिस्टेड हैचिंग जैसी प्रक्रियाएँ आमतौर पर कवरेज से बाहर होती हैं।

आईवीएफ इंश्योरेंस: लिमिट्स और वेटिंग पीरियड

अगर आपकी पॉलिसी में IVF कवरेज भी शामिल है, तो भी कुछ शर्तों पर ध्यान देना जरूरी है:

1. वेटिंग पीरियड: क्लेम करने से पहले आमतौर पर 12 से 24 महीने का इंतज़ार करना पड़ता है।

2. उम्र और शादीशुदा होना: कुछ पॉलिसियां सिर्फ शादीशुदा कपल्स (औरत और आदमी) को ही कवर करती हैं, और उम्र की भी एक लिमिट होती है (आमतौर पर 45 साल से कम)।

3. कवरेज की सीमा: ज्यादातर प्लान में IVF के लिए ₹50,000 से ₹1.5 लाख तक का ही कवरेज मिलता है, जो पूरे इलाज के खर्च का सिर्फ एक छोटा हिस्सा ही होता है।

इन सीमाओं की वजह से, अगर आप फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के बारे में सोच रहे हैं, तो पहले से फाइनेंशियल प्लानिंग करना जरूरी है।

क्या आपको आईवीएफ कवरेज वाली पॉलिसी लेनी चाहिए?

अगर आप फैमिली प्लानिंग कर रहे हैं, तो आईवीएफ कवरेज वाली हेल्थ पॉलिसी लेना एक अच्छा विकल्प लग सकता है। लेकिन इसके फायदे और नुकसान को अच्छी तरह समझ लें:

फायदे:

● डायग्नोस्टिक टेस्ट और आईवीएफ प्रक्रिया का कुछ खर्च वापस मिल सकता है।

● मैटरनिटी से जुड़े कुछ और खर्च भी कवर हो सकते हैं।

● कुछ पॉलिसियों में वेलनेस प्रोग्राम के अंतर्गत फर्टिलिटी काउंसलिंग की सुविधा भी मिलती है।

नुकसान:

● कम कवरेज के बावजूद प्रीमियम ज्यादा हो सकता है।

● वेटिंग पीरियड की वजह से इलाज में देरी हो सकती है।

● इंश्योरेंस के बाद भी आपको काफी खर्च खुद ही उठाना पड़ सकता है।

अगर आपको जल्दी इलाज की ज़रूरत है या आप पहले से ही ट्रीटमेंट ले रहे हैं, तो अपनी जेब से पैसे भरना या EMI का ऑप्शन ज्यादा बेहतर हो सकता है।

IVF के लिए अन्य फाइनेंसिंग विकल्प

क्योंकि इंश्योरेंस का प्रचलन अभी भी बढ़ रहा है, इसलिए कई फर्टिलिटी क्लीनिक ने फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ पार्टनरशिप कर लोगों के लिए खर्च को कम किया है।

● क्लीनिक के EMI प्लान्स : कई बड़े और भरोसेमंद फर्टिलिटी सेंटर अब IVF पैकेज पर जीरो-कॉस्ट EMI की सुविधा दे रहे हैं, जिससे आप बिना ब्याज के आसान किश्तों में भुगतान कर सकते हैं।

● मेडिकल लोन्स : कुछ डिजिटल लेंडर्स और NBFCs (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) IVF के लिए प्री-अप्रूव्ड हेल्थकेयर लोन देते हैं, जिससे आपको तुरंत पैसों की व्यवस्था हो जाती है।

● कंपनी के फर्टिलिटी बेनिफिट्स : मेट्रो शहरों में, कई बड़ी कंपनियां अब बिरला फर्टिलिटी जैसे क्लीनिक के साथ मिलकर अपने एम्प्लॉयीज को सब्सिडाइज्ड या को-पेड़ IVF ट्रीटमेंट की सुविधा दे रही हैं। यह उनके वर्कप्लेस वेलनेस प्रोग्राम का हिस्सा होता है।

निष्कर्ष: भारत में IVF इंश्योरेंस धीरे-धीरे बेहतर हो रहा है

हालांकि अभी भी पूरी तरह से IVF कवरेज वाली पॉलिसी कम हैं, लेकिन धीरे-धीरे इंश्योरेंस कंपनियां फर्टिलिटी ट्रीटमेंट को शामिल कर रही हैं। कई होने वाले माता-पिताओं के लिए यहां तक की आंशिक कवरेज भी मददगार होती है।

अगर आप IVF करवाने की सोच रहे हैं, तो अपने क्लीनिक के काउंसलर या फाइनेंशियल एडवाइजर से बात करें और अलग-अलग प्लान की तुलना करें। जैसे-जैसे लोगों में जागरूकता बढ़ेगी, भारत के हेल्थ इंश्योरेंस में IVF को और बेहतर जगह मिलेगी।

Created On :   23 Aug 2025 11:43 AM IST

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