तबलीगी जमात के कोविड-19 संबंध के कारण अफवाह, मुसलमानों से न लें करेंसी

Rumors due to Tabligi Jamaats Kovid-19 relationship, do not take currency from Muslims (IANS Exclusive)
तबलीगी जमात के कोविड-19 संबंध के कारण अफवाह, मुसलमानों से न लें करेंसी
तबलीगी जमात के कोविड-19 संबंध के कारण अफवाह, मुसलमानों से न लें करेंसी

रजनीश सिंह

नई दिल्ली, 8 अप्रैल (आईएएनएस)। राष्ट्रीय राजधानी में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले कई लोगों में कोरोनावायरस की पुष्टि होने और कुछ सोशल मीडिया वीडियोज ने समाज में एक मिथक फैला दिया है। साथ ही एक संदेश प्रसारित किया जा रहा है कि कोरोनावायरस संक्रमण से बचने के लिए मुसलमानों से पैसे न लें।

ऐसी अफवाहों पर प्रशासन के तत्काल कार्रवाई की जरूरत है, क्योंकि इस्लाम समुदाय के कई ग्रामीणों को कुछ आवश्यक वस्तुओं जैसे सब्जियां और फल बेचते समय अपनी पहचान छिपानी पड़ रही है।

इन सब्जी और फल विक्रेताओं को मजबूरन ऐसा करना पड़ रहा है, क्योंकि इनके समुदाय के बारे में जानने के बाद लोगों ने उनसे सामान खरीदना बंद कर दिया है, जिसके चलते समुदाय के कुछ निर्दोष लोगों के लिए यह रोजी-रोटी का मुद्दा बन गया है।

इस संदेश ने पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को प्रभावित किया है।

ग्रेटर नोएडा का शाहबेरी क्षेत्र जुलाई 2018 में एक जुड़वां इमारत गिरने के बाद सुर्खियों में आया था, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी।

यहां आईएएनएस से बात करते हुए कई सब्जी और फल विक्रेताओं ने बताया कि 21 दिनों के लॉकडाउन के कारण अपनी नौकरी खो देने के बाद से वे इन वस्तुओं को बेच रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि लोग हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहे हैं, क्योंकि हमारा तबलीगी जमात या ऐसे अन्य संगठनों के साथ कोई संबंध नहीं है।

71 साल के एक सब्जी विक्रेता ने पहचान जाहिर न करते हुए आईएएनएस को बताया, मैं खुद को और अपने परिवार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश क्यों करूंगा? मैं भी आपकी तरह ही सावधानियों का पालन कर रहा हूं। जो लोग ऐसी अफवाहों पर विश्वास करते हैं कि हम (इस्लामिक समुदाय) कोरोना फैला सकते हैं, उन्हें यह सोचना चाहिए। यहां रहने वाले हर समुदाय के लोग मेरे अपने परिवार की तरह हैं।

उन्होंने कहा, बहुत से लोगों ने मुझसे सब्जियां खरीदने से इनकार कर दिया। जिन्होंने सब्जी खरीदी उनहोंने पैसे वापस नहीं लिए बल्कि मुझसे उसके बदले कुछ और खरीदा। समस्या अचानक बढ़ गई है, क्योंकि तबलीगी देश भर में फैल गए हैं और वे कोरोना फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।

एक 29 वर्षीय इलेक्ट्रीशियन, अर्पित (बदला हुआ नाम) ने भी ऐसा ही अनुभव सुनाया, मैं एक निजी स्कूल में काम कर रहा था। लॉकडाउन से मेरी नौकरी चली गई। मैं तब से फल बेच रहा हूं। चार-पांच दिन पहले तक सब कुछ सामान्य था। फिर अचानक, फल खरीदने से पहले ग्राहक मेरा नाम पूछने लगे। असली नाम को जानने के बाद कई ग्राहकों ने मुझसे फल नहीं खरीदे। अब मुझे मजबूरन अपनी पहचान छिपानी पड़ी।

उन्होंने अपनी पहचान छिपाने का अनुरोध करते हुए कहा, मेरा 6 सदस्यों का परिवार है और मैं एकमात्र कमाने वाला हूं। यही ठेला कमाने का एकमात्र तरीका है। परिवार के सदस्यों की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए झूठ बोलना जरूरी हो गया।

नोएडा के सेक्टर -70 में एक कसाई की दुकान के मालिक ने बताया, मुझे नोएडा में सब्जियां बेचने दूर जाना पड़ रहा है, क्योंकि लॉकडाउन के बाद से मेरी दुकान बंद है और जो लोग मुझे जानते हैं उन्होंने मुझसे सब्जी खरीदना बंद कर दिया है। बाहरी लोग मुझे नहीं जानते हैं तो वे खरीद लेते हैं। मैंने अब टोपी की बजाय पगड़ी पहनना शुरू कर दिया है।

महाराष्ट्र के पुणे में पोल्ट्री उद्योग के अंदरुनी सूत्रों के अनुसार, तबलीगी जमात और इससे जुड़े मामलों के बारे में खबरें आने के बाद से मुस्लिम मजदूरों, ड्राइवरों को आने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, कुछ इसी तरह की घटनाएं नासिक, अहमदनगर, इंदापुर के तालुका और पुणे जिले के जुन्नार क्षेत्र में हुईं।

पिछले एक सप्ताह में, भारत भर में कोविड-19 मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है और उनमें से सैकड़ों को दिल्ली के निजामुद्दीन में धार्मिक समूह तबलीगी जमात के एक समूह से जोड़ा गया है, जिनके कारण यह बीमारी तेजी से फैली है। 13-15 मार्च को आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों और देशों के 2,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया था।

केंद्र ने राज्यों के साथ मिलकर उन लोगों की पहचान करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है, जो मार्च के मध्य में सभा में शामिल हुए थे, ताकि वायरस का परीक्षण किया जा सके। 22,500 से अधिक तबलीगी कार्यकतार्ओं और उनके संपर्कों की पहचान की गई है, लेकिन कई और अभी भी पहुंच से बाहर हैं।

 

Created On :   8 April 2020 2:01 PM GMT

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