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दैनिक भास्कर हिंदी: India-Nepal Dispute: नेपाल के निचले सदन ने विवादित नक्शे को मंजूरी दी, भारत बोला- नेपाल का दावा जायज नहीं

हाईलाइट
- नेपाल के निचले सदन से नए नक्शे के लिए लाए गए संवैधानिक संशोधन बिल को मंजूरी
- करीब 4 घंटो की चर्चा के बाद सभी 258 सांसदों ने ध्वनिमत से इसका समर्थन किया
- नए नक्शे में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है
डिजिटल डेस्क, काठमांडू। नेपाल के निचले सदन (प्रतिनिधि सभा) ने शनिवार को अपने नए नक्शे के लिए लाए गए संवैधानिक संशोधन बिल को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी। करीब 4 घंटो की चर्चा के बाद सदन में मौजूद सभी 258 सांसदों ने ध्वनिमत से इसका समर्थन किया। निचले सदन से पास होने के बाद अब ये विधेयक नेशनल असेंबली के पास जाएगा और फिर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही ये लागू हो जाएगा। नए नक्शे में भारत के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है। जबकि भारतीय नक्शे में ये सभी हिस्से उत्तराखंड में पड़ते हैं। नेपाल के नए नक्शे को पिछले महीने नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी ने जारी किया था। भारत ने एक बार फिर इस पर आपत्ति जताई है।
भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'हमने गौर किया है कि नेपाल की प्रतिनिधि सभा ने नक्शे में बदलाव के लिए संशोधन विधेयक पारित किया है ताकि वे कुछ भारतीय क्षेत्रों को अपने देश में दिखा सकें। हालांकि, हमने इस बारे में पहले ही स्थिति स्पष्ट कर दी है। यह ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों पर आधारित नहीं है। ऐसे में उनका दावा जायज नहीं है। यह सीमा विवाद पर होने वाली बातचीत के हमारे मौजूदा समझौते का उल्लंघन भी है।' इससे पहले भी जब नपेला ने नय नक्शा जारी किया था तब भारत ने कहा था- यह ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है।
20 मई को जारी किया गया नया नक्शा
भारत के नेपाल के साथ रिलेशन जितने गहरे रहे हैं उतने दुनिया में किसी और देश के साथ नहीं। दोनों देशों के लोग न सिर्फ एक दूसरे के यहां बिना पासपोर्ट के ट्रैवल कर सकते हैं बल्कि रह भी सकते हैं और काम भी कर सकते हैं। लेकिन बीते कुछ समय से दोनों देशों के बीच जमीन के एक हिस्से को लेकर डिस्प्यूट चल रहा है जिसका असर दोनों देशों के रिलेशन पर भी पड़ा है। ये डिस्प्यूट और भी ज्यादा बढ़ गया जब 8 मई को भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया। भारत के इस कदम से नेपाल नाराज हो गया और प्रधानमंत्री केपी ओली शर्मा ने 20 मई को उनके देश का एक नया नक्शा जारी कर दिया। इस नक्शे में भारत के कंट्रोल वाले कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को नेपाल का हिस्सा दिखाया गया।
सर्वसम्मति से पास हुआ संविधान संशोधन विधेयक
नक्शे को देश के संविधान में जोड़ने के लिए 27 मई को संसद में प्रस्ताव भी रखा जाना था। लेकिन नेपाल सरकार ने ऐन मौके पर संसद की कार्यसूची से इसे हटा दिया। हालांकि इसके बाद कानून मंत्री शिवा माया तुंबामफे ने 31 मई को विवादित नक्शे को लेकर संशोधन विधेयक नेपाली संसद में पेश किया। नेपाली संविधान में संशोधन करने के लिए संसद में दो तिहाई मतों का होना आवश्यक है। शनिवार को इस विधेयक पर करीब 4 घंटो तक चर्चा चली। इसके बाद वोटिंग हुई जिसमें सदन में मौजूद सभी 258 सांसदों ने ध्वनिमत से इसका समर्थन किया।
300 स्क्वायर किलोमीटर के एरिया को लेकर विवाद
ट्रायंगुलर सा दिखने वाला जमीन का ये टुकड़ा करीब 300 स्क्वायर किलोमीटर का है। इस इलाके के नॉर्थ में लिम्पियाधुरा, साउथ ईस्ट में लिपुलेख पास और साउथ वेस्ट में कालापानी है। नेपाल और भारत दोनों इसे अपना हिस्सा मानते हैं। लेकिन ऐसा क्यों है इस क्रॉन्ट्रोवर्सी को समझने के लिए हमें करीब 200 साल पीछे 1814 में जाना होगा जब गोरखा किंगडम और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच युद्ध हुआ था। इसे एंग्लो-नेपाल वॉर (Anglo-Nepalese War) के नाम से जाना जाता है। युद्ध की वजह नेपाल के गोरखा किंगडम का तेजी से विस्तार था। इस किंगडम ने वेस्ट में आने वाली सतलज नदी से लेकर ईस्ट की तीस्ता नदी तक अपने साम्राज्य को फैला दिया था। सिक्किम, कुमाऊं और गढ़वाल पर गोरखा किंगडम का कब्जा हो गया था।
1816 में साइन हुई सुगौली ट्रिटी
युद्ध का एक कारण यह भी था कि ईस्ट इंडिया कंपनी तिब्बत के साथ व्यापार करना चाहती थी लेकिन नेपाल के राजा ने उन्हें रास्ता देने से मना कर दिया था। उस समय भारत के अवध और नेपाल के बीच तराई रीजन को लेकर बाउंड्री डिस्प्यूट भी चल रहा था। अंग्रेजों ने इसी को कारण बनाकर गोरखा किंगडम के साथ युद्ध छेड़ दिया जो 1814 से लेकर 1816 तक चला। इस युद्ध में गोरखा सैनिक बहुत ही बहादुरी से लड़े लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी के पास काफी एडवांस हथियार थे। जब गोरखा किंगडम को लगा की वह जीत नहीं पाएंगे तो उन्होंने अंग्रेजों के साथ एक ट्रिटी साइन की। इसे सुगौली के नाम से जाना जाता है। 4 मार्च 1816 को ये ट्रिटी साइन की गई थी। सुगौली ट्रिटी के तहत नेपाल के राजा को कुमाऊं, गढ़वाल, सिक्किम और तराई के इलाकों को ब्रिटिशर्स को सौंपना पड़ा।
नेपाल की वेस्टर्न बाउंड्री महाकाली रिवर विवाद की जड़
इस ट्रिटी के साइन होने के बाद नेपाल की वेस्टर्न बाउंड्री महाकाली और ईस्टर्न बाउंड्री मेची रिवर से डिफाइन की जाने लगी। आज भी इसी आधार पर नेपाल की बाउंड्री डिफाइन की जाती है। अब ये विवाद शुरू होता है नेपाल की वेस्टर्न बाउंड्री महाकाली रिवर से। इसे शारदा रिवर भी कहा जाता है। मैप पर जब आप देखेंगे तो इस रिवर के दो सोर्स दिखाए देते हैं। एक सोर्स है लिम्पियाधुरा जहां से निकलने के बाद ये रिवर फैली हुई दिखती है जबकि दूसरे सोर्स कालापानी से पतली। जब ये ट्रिटी हुई तो ब्रिटिशर्स और गोरखा किंगडम के सामने भी यहीं प्रॉब्लम थी कि बाउंड्री को रिवर के किस सोर्स के आधार पर माना जाए। क्योंकि, लिम्पियाधुरा से निकलने के बाद नदी फैली हुई थी इसलिए दोनों में तय हुआ कि इसी को बाउंड्री का आधार माना जाएगा। ब्रिटिशर्न ने इसी आधार पर अपना मैप भी बनाया। इस तरह ट्रायंगुलर सा दिखने वाला जमीन का ये टुकड़ा नेपाल को मिल गया।
1860 के दशक में ब्रिटिशर्स ने बदला मैप
कुछ समय बाद जब ब्रिटिशर्स को लगा कि नेपाल को मिला जमीन को वो टुकड़ा रणनीतिक रूप से उनके लिए महत्वपूर्ण है तो उन्होंने बड़ी ही चालाकी से 1860 के दशक में इस मैप को बदल दिया। ब्रिटिशर्स अब दूसरे सोर्स कालापानी को बाउंड्री का आधार बताने लगे। उस समय नेपाल किंगडम को इससे कोई परेशानी नहीं हुई क्योंकि पहाड़ी इलाका होने के कारण वहां न तो ज्यादा लोग रहते थे और केवल एक रास्ता गुजरता था जो कैलाश मानसरोवर के लिए जाता था। इसके बाद नेपाल ने अपने मैप में भी कभी लिम्पियाधुरा को शामिल नहीं किया। 1962 में जब इंडिया और चाइना के बीच वॉर हुआ उस समय भारत ने नेपाल की मोनार्की से यहां आर्मी तैनात करने की परमिशन मांगी। नेपाल को भी इससे कोई परेशानी नहीं थी और उन्होंने इंडिया को परमिशन दे दीं। तब से लेकर आज तक इस इलाके में इंडियन आर्मी तैनात है।
नेपाल सही या भारत?
नेपाल सुगौली को ही आखिरी ट्रिटी मानता है। इस ट्रिटी के बाद दोनों देशों के बीच बॉर्डर को लेकर कभी कोई ट्रिटी साइन नहीं हुई। इसलिए वह इसी के आधार पर अपने इलाके को डिफाइन करने की बात कह रहा है। लेकिन भारत के पक्ष में एक बात जाती है कि सालों से वह कालापानी को बाउंड्री को आधार के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है। नेपाल के किसी भी किंगडम को इससे परेशानी नहीं हुई। 1990 में नेपाल में लोकतंत्र के आने के बाद भी इसी को बॉर्डर माना गया। ऐसे में अचानक केपी ओली शर्मा सरकार का इसे अपना हिस्सा बताना सही नहीं है।
क्लोजिंग बेल: बढ़त के साथ बंद हुआ बाजार, सेंसेक्स 503 अंक उछला, निफ्टी में भी तेजी
डिजिटल डेस्क, मुंबई। देश का शेयर बाजार कारोबारी सप्ताह के चौथे दिन (26 मई 2022, गुरुवार) बढ़त के साथ बंद हुआ। इस दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही हरे निशान पर रहे। बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के 30 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 503 अंक यानी कि 0.94 फीसदी की बढ़त के साथ 54,252 के स्तर पर बंद हुआ।
वहीं नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के 50 शेयरों पर आधारित संवेदी सूचकांक निफ्टी 144.35 अंक यानी कि 0.90 फीसदी की उछाल के साथ 16170.15 के स्तर पर बंद हुआ।
जबकि बैंक निफ्टी ने 755.40 अंकों की बढ़त के साथ 35094.90 पर समाप्ती दी। इंडिया विक्स 10.72% नीचे हो 22.57 पर बंद हुआ। निफ्टी के 50 शेयरों में 37 शेयर हरे रहे जो व्यापक खरीदारी दर्शाते हैं। क्षेत्र विशेष में आईटी, मेटल तथा बैंक सूचकांकों में 1 से 3 प्रतिशत की वृद्धि रही जबकि आयल एवं पावर सेक्टर में बिक्री देखी गयी। निफ्टी के शेयरों में टाटा स्टील, जेएसडब्लू स्टील, अपोलो हॉस्पिटल तथा एसबीआई में सर्वाधिक बढ़त रही तथा यूपीएल, डिविज लैब, अडानी पोर्ट तथा सिप्ला में सबसे अधिक गिरावट रही।
निफ्टी ने दैनिक चार्ट पर हैमर कैंडलस्टिक पैटर्न बनाया है जो आनेवाले सत्रों में तेजी के ट्रेंड रिवर्सल का संकेत है। इसके अतिरिक्त निफ्टी ने पिछली होरिजेंटल लाइन पर सपोर्ट ले ऊपर का रुख दिखाया है एवं 16410 का स्तर पार करने के बाद नयी खरीदारी दिख सकती है। इसके अतिरिक्त निफ्टी ने 9 दिनों के मूविंग एवरेज के ऊपर क्लोजिंग दी है जो एक उछाल का संकेत दे रही है।
मोमेंटम इंडिकेटर एमएडीसी एवं स्टॉकिस्टिक पॉजिटिव क्रॉसओवर के साथ ट्रेड कर रहे हैं तथा दैनिक चार्ट पर ओवेरसोल्ड क्षेत्र से वापसी दिखाई है जो निफ्टी में तेजी का संकेत है। निफ्टी का सपोर्ट 15900 है तथा 16300 लघु अवधि का अवरोध है।बैंक निफ्टी का सपोर्ट 34400 तथा सपोर्ट 35500 है।
बता दें कि, सुबह बाजार बढ़त के साथ खुला था। इस दौरान सेंसेक्स 315 अंक की बढ़त के साथ 54,065 के स्तर पर खुला था। वहीं निफ्टी 91 अंक की तेजी के साथ 16,117 के स्तर पर खुला था।
पलक कोठारी
शोध सहयोगी
चॉइस ब्रोकिंग (Choice Broking)
Source: Choice India
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