ड्रैगन को चौतरफा घेरने की तैयारी: भारत को मिला इन देशों का साथ, अमेरिका में प्रदर्शन के दौरान बायकॉट चीन के नारे लगे

Preparations to surround the dragon: India got support of these countries
ड्रैगन को चौतरफा घेरने की तैयारी: भारत को मिला इन देशों का साथ, अमेरिका में प्रदर्शन के दौरान बायकॉट चीन के नारे लगे
ड्रैगन को चौतरफा घेरने की तैयारी: भारत को मिला इन देशों का साथ, अमेरिका में प्रदर्शन के दौरान बायकॉट चीन के नारे लगे
हाईलाइट
  • अमेरिकी संसद में चीन पर बैन लगाने वाला बिल पारित
  • चीन के खिलाफ भारत के साथ खड़ा हुआ जापान
  • फ्रांस ने अपनी सेना के साथ समर्थन देने की बात कही

डिजिटल डेस्क, वॉशिंगटन। कोरोना महामारी संकट के दौर में अपनी विस्तारवादी नीति के चलते अब दुनियाभर में चीन का विरोध शुरू हो गया है। भारतीय मूल के नागरिकों ने शुक्रवार रात न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर में चीन के खिलाफ प्रदर्शन किया। खास बात ये है कि इसमें ताइवान और तिब्बती मूल के अमेरिकी नागरिक भी शामिल हुए। इन सभी ने बायकॉट चीन के नारे लगाए। जापान ने चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव में भारत का समर्थन किया है। जापान ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत-चीन सीमा पर यथास्थिति से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। वहीं भारत ने भी चीन को चौतरफा घेरने की तैयारी शुरू कर दी है। भारत उन देशों को साथ लाने जा रहा है जिनसे चीन का किसी न किसी बात को लेकर मतभेद है। भारत चीन की विस्तारवादी नीति से परेशान देशों के साथ मिलकर हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा गठजोड़ को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाएगा।

भारत अब कोशिश कर रहा है कि दक्षिण चीन सागर और प्रशांत क्षेत्र में समान विचारधारा वाले देशों का गठजोड़ बनाया जाए। इस गठजोड़ के लिए उन देशों को शामिल किया जा रहा है, जो चीन की अतिक्रमण नीति से परेशान हैं। इसको लेकर भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान में विमर्श जारी है। सूत्रों का कहना है कि भारत धरती से लेकर आकाश तक अपनी सुरक्षा को लेकर सतर्क है। वहीं, चीन की ओर से कोविड संक्रमण के बीच दिखाई गई आक्रामकता ने दुनिया के कई देशों को एक-दूसरे के करीब ला दिया है। ये सभी देश चाहते हैं कि विस्तारवाद के खिलाफ एकजुट होकर काम करें।

चीन के खिलाफ वैश्विक घेराबंदी तेज हुई
भारत की कूटनीतिक पहल और अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित कुछ अन्य देशों के सक्रियता का असर है कि चीन के खिलाफ वैश्विक घेराबंदी तेज हो गई है। कोविड संक्रमण के बीच चीन के गैर जिम्मेदाराना रुख ने कई देशों को नाराज किया है। चीन पर कोविड मामले में सहयोग नहीं करने का आरोप लगा है। भारत ने अपनी पुरानी नीति से इतर चीन के खिलाफ कूटनीतिक पहल को तेज किया है। सूत्रों ने कहा कि चीन की कार्रवाई और गलवान की घटना ने भारत और चीन के रिश्तों में गहरी खाई पैदा कर दी है और भारत किसी भी स्तर पर तैयारियों को लेकर चूक नहीं चाहता।

अमेरिका ने माना, चीन ने भारत में की थी घुसपैठ
अमेरिका के एक शीर्ष सांसद ने माना है कि चीन ने भारत में असल में घुसपैठ की है। सीनेटर टिम कॉटन ने सीनेट में गुरुवार को कहा है कि चीन ने अपने चारों ओर आक्रामक कदम उठा रहा है। उसने भारत में वास्तव में घुसपैठ की और 20 भारतीय जवानों को मार दिया। रिपब्लिकन पार्टी के नेता कॉटन ने कहा कि चीन दक्षिण चीन सागर (South China Sea) पर हमला किया है या वियतनाम, मलेशिया और फिलीपीन को डराया। उसने ताइवान और जापानी हवाई क्षेत्र में अनधिकृत प्रवेश किया है। उन्होंने कहा कि हांगकांग में हाल ही में लागू सुरक्षा कानून ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन न तो अपने लोगों और न ही अन्य देशों के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करेगी। 

अमेरिकी संसद में चीन पर बैन लगाने वाला बिल पारित
वहीं एक अन्य सीनेटर मिच मैक्कोनल ने सीनेट में राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकार अधिनियम (NDAA) 2011 के समर्थन में दिए अपने भाषण में आरोप लगाया कि चीन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उकसाने वाले कदम उठा रहा है। सीनेटर जॉन कॉर्निन ने इस हफ्ते NDAA में एक संसोशन पेश किया था, जो पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी आक्रमकता के खिलाफ भारत का समर्थन करता है। इधर, अमेरिकी संसद ने हांगकांग में सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के बीच चीन के कदम को लेकर उस पर प्रतिबंध लगाने वाला एक विधेयक पारित कर दिया है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर चीन पहले से ही है। वो पहले ही चीन पर कोरोना वायरस फैलाने का आरोप लगा चुके है। इसके अलावा अमेरिका ने साफ-साफ शब्दों में कहा है कि एलएसी पर विवाद के लिए चीन पूरी तरह जिम्मेदार है। 

अमेरिका में प्रदर्शन, लोगों ने कहा- चीन पर आर्थिक प्रतिबंध जरूरी 
भारतीय मूल के नागरिकों ने शुक्रवार रात न्यूयॉर्क के टाइम्स स्कवायर में चीन के खिलाफ प्रदर्शन किया। खास बात ये है कि इसमें ताइवान और तिब्बती मूल के अमेरिकी नागरिक भी शामिल हुए। टाइम्स स्कवायर पर हुए प्रदर्शन में शामिल कई लोगों ने कहा कि चीन में बनी चीजों का बायकॉट किया जाना जरूरी है। इन लोगों के मुताबिक, अगर चीन से निपटना है तो सबसे पहले उसके आर्थिक हितों पर लगाम लगानी होगी।

फ्रांस ने अपनी सेना के साथ समर्थन देने की बात कही
फ्रांस के रक्षामंत्री ने राजनाथ सिंह को चिट्ठी लिखकर भारतीय जवानों की शहादत पर दुख जताया था। फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने लिखा था ये सैनिकों, उनके परिवारों और राष्ट्र के खिलाफ एक कठिन आघात था। इस कठिन हालात में, मैं फ्रांसीसी सेना के साथ अपना समर्थन को व्यक्त करना चाहती हूं। फ्रांस की सेना आपके साथ खड़ी है।

चीन के खिलाफ भारत के साथ खड़ा हुआ जापान
लद्दाख में भारतीय जमीन पर कब्जा करने की फिराक में लगे चीन के खिलाफ अब जापान भी भारत के साथ खड़ा हो गया है। जापान ने कहा है कि वह नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने वाली किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध करता है और आशा जताई कि इस पूरे मुद्दे का शांतिपूर्वक समाधान होगा। जापान के भारत में दूत सतोषी सुजुकी ने भारतीय विदेश सचिव एचवी श्रींगला से मुलाकात के बाद यह बयान जारी किया। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मेरी विदेश सचिव एचवी श्रींगला से अच्छी बातचीन हुई है। जापान आशा करता है कि इस विवाद का शांतिपूर्वक समाधान होगा। जापान यथास्थिति को बदलने की किसी भी कार्रवाई का विरोध करता है। 

ऑस्ट्रेलिया हांगकांग के लोगों को देगा पनाह, बढ़ाएगा अपना सैन्य खर्चों का बजट
ब्रिटेन के बाद अब ऑस्ट्रेलिया ने भी हांगकांग के लोगों को सुरक्षित पनाह देने की बात कही है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने गुरुवार को कहा कि उनका देश चीन की ओर से लगाए गए विवादास्पद कानून से चिंतित हांगकांग के नागरिकों को "सुरक्षित पनाहगाह" देने की पेशकश करने पर विचार कर रहा है। इसके बाद भड़के चीन ने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन को इसका परिणाम भुगतने की धमकी दी है। वहीं ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका और चीन में बढ़ते तनाव के बीच वो अपने सैन्य खर्चों का बजट बढ़ाएंगे। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि वो अगले 10 साल में सेना का बजट 270 अरब ऑस्ट्रेलियन डॉलर करेंगे।

दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश
दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों (आसियान) के नेताओं ने दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन के खिलाफ सख्त टिप्पणी की है। सदस्य देशों के नेताओं ने कहा कि 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के आधार पर दक्षिण चीन सागर में संप्रभुता का निर्धारण किया जाना चाहिए।

Created On :   4 July 2020 8:13 AM GMT

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