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दैनिक भास्कर हिंदी: क्या आपको पता है सुहागरात पर दूध क्यों पीना चाहिए ?

डिजिटल डेस्क। दूध पीना हमारे लिए कितना जरुरी होता है ये हमें बचपन में ही डांट डपटकर समझाया जाता रहा है। घर के बुजुर्ग हमेशा कहते थे कि दूध पीने से ताकत आती है, हड्डियां मजबूत होती हैं। बचपन में तो दूध पीने को लेकर घर के बड़े लोग समझा देते थे लेकिन सुहागरात के दिन दूध क्यों पीते हैं ये आज तक किसी ने नहीं बताया। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि सुहागरात पर क्यों पीतें है दूध और कबसे शुरू हुई है ये प्रथा।
संभोग की इच्छा बढ़ाता है
दूध के सेवन से संभोग करने की इच्छा में वृद्धि होती है। साथ ही शुक्राणुओं की संख्या भी बढ़ती है। जाहिर है कि सुहागरात के दिन इन दोनों चीजों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
क्या कहता है आयुर्वेद
दूध सात्विक और पोषण पहुंचाने वाला आहार है। यदि दूध में केसर या शिलाजीत आदि मिला कर पिया जाए तो पुरुषों के प्रजनन तंत्र के लिए फायदेमंद साबित होता है। आयुर्वेद के अनुसार यह कामोद्दीपक(Aphrodisiac)का काम भी करता है।
क्या कहता है साइंस
वैसे तो अगर विज्ञान की बात मानें तो दूध से सेरोटोनिन हॉर्मोन निकलता है, जो दिमाग को शांत करने में मदद करता है। यह विटामिन और पोषक तत्वों का एक बड़ा स्रोत हैं। शायद यही कारण है की शादी के बाद की पहली रात को दूध पिया जाता है ताकि वह शरीर में आई द्रवों की कमी को पूरा कर दे।
कब से शुरू हुई ये प्रथा
असल मायने में सुहागरात पर दूध पीने की प्रथा कब से शुरू हुई यह कहना तो मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर है कि डेली सोप और फिल्मों की देखादेखी हर घर में यह प्रथा अब विद्यमान हो चुकी है।
ध्यान रखें
रात को सोने से पहले दूध पीने को लेकर आयुर्वेद कहता है कि इसे भोजन करने के कम से कम तीन घंटे बाद पीना चाहिए ताकि भोजन के बाद अमाशय खाली हो चूका हो। दूध पीते समय ये भी ध्यान रखें कि दूध न तो ज्यादा गरम करके पिएं और न ही ठंडा, बल्कि दूध को हल्का सा कुनकुना करके पीना चाहिए।
भोपाल: रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में पांचवां वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के वूमेन डेवलपमेंट सेल द्वारा 5वां वूमेन एक्सिलेंस अवार्ड का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि सुश्री अनुभा श्रीवास्तव (आईएएस), कमिश्नर, हैंडलूम एंड हैंडीक्राफ्ट विभाग, मध्य प्रदेश , विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ रूबी खान, डायरेक्टर, डायरेक्टोरेट आफ हेल्थ सर्विसेज, सुश्री रवीशा मर्चेंट, प्रिंसिपल डिजाइनर, ट्रीवेरा डिजाइंस, बट ब्रहम प्रकाश पेठिया कुलपति आरएनटीयू उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स, प्रो-चांसलर, आरएनटीयू एंड डायरेक्टर, आइसेक्ट ग्रुप आफ यूनिवर्सिटीज ने की।
इस अवसर पर सुश्री अनुभा श्रीवास्तव ने महिलाओं को अपनी बात रखने एवं निर्णय क्षमता को विकसित करने पर जोर दिया। महिलाओं को अपने व्यक्तिगत विकास की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण पर भी अपने विचार साझा किए। डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे जीवन में महिलाओं का एक अहं रोल होता है। चाहे वो रोल हमारी मां के रूप में हो या फिर बहन या पत्नी के रूप में। हमें हर रूप में महिला का साथ मिलता है। लेकिन ऐसा काफी कम होता है जब हम इन्हें इनके कार्य के लिए सम्मानित करते हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हमें यह अवसर देता है कि हम अपने जीवन की महिलाओं को उनके कार्यों और उनके रोल के लिए सम्मानित करें। इसी तारतम्य में आरएनटीयू पांचवां वूमेन एक्सीलेंस अवॉर्ड से इन्हें सम्मानित कर रहा है।
डॉ रूबी खान ने महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी जानकारी एवं अपने स्वास्थ्य का ध्यान कैसे रखें इसकी जानकारी दी। वहीं सुश्री रवीशा मर्चेंट ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त रहने एवं किसी भी परिस्थिति पर हार ना मानना एवं परिवार और काम में संतुलन बनाए रखने के विषय में विस्तृत जानकारी दी। डॉ ब्रम्ह प्रकाश पेठिया ने देश की बढ़ती जीडीपी में महिलाओं का अहम योगदान माना। उन्होंने बताया कि जल थल एवं हवाई सीमा में भी विशेष योगदान महिलाएं दे रही हैं।
कार्यक्रम में रायसेन और भोपाल जिले की शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को वूमेन एक्सीलेंस अवार्ड से नवाजा गया। साथ ही पूर्व में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजेता महिलाओं को भी पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम के अंत में डॉ संगीता जौहरी, प्रति-कुलपति, आरएनटीयू ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संयोजन एवं समन्वयन नर्सिंग एवं पैरामेडिकल विभाग की अधिष्ठाता एवं महिला विकास प्रकोष्ठ की अध्यक्ष डॉ मनीषा गुप्ता द्वारा किया गया। मंच का संचालन डॉ रुचि मिश्रा तिवारी ने किया।