बाढ़ के वक्त और बाद में पनपने वाली बीमारियों से ऐसे बचें
डिजिटल डेस्क। केरल और कर्नाटक में भयावह बाढ़ की जद में हैं। शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वे किया। प्रधानमंत्री ने केंद्र की तरफ से राज्य को तत्काल 500 करोड़ रुपए देने की घोषणा की। इसके अलावा आपदा में मृत लोगों के परिजनों को 2 लाख और गंभीर घायलों को 50 हजार रुपए देने का ऐलान भी किया। बता दें कि राज्य में हो रही भारी बारिश से करीब 2 लाख 23 हजार लोग बेघर हो गए हैं। ये लोग करीब 1,568 राहत कैंपों में पनाह लिए हुए हैं। बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में रहवासियों के साथ देश की संपदा को भी नुकसान पहुंचता है। बाढ़ के वक्त और बाढ़ का पानी उतरने के बाद अगर सबसे ज्यादा किसी चीज का खतरा सबसे अधिक होता है तो वो है, बीमारियां। इन में मलेरिया, डेंगू, बुखार, हैजा, हैपेटाइटिस ए और चिकनगुनिया जैसी बीमारियां शामिल हैं। आइए जानते है बाढ़ से पनपी बीमारियों से कैसे बचा जा सकता है?
- कुछ सावधानियां हैं जिनका लोग खुद भी ध्यान रख सकते हैं, ताकि महामारी के प्रकोप से बचाव हो सके।
- बाढ़ के पानी में चलना नहीं चाहिए क्योंकि उस में मलमूत्र और कचरा मिला होता है।
- त्वचा पर कोई चोट या घाव हो तो उसे बाढ़ के पानी से बचा कर रखना चाहिए, वरना इन्फैक्शन हो सकता है। इस के अलावा ऐसे घावों को स्वच्छ जल से साफ करें और पट्टी बांध कर रखें।
- यदि आप को बाढ़ के पानी या कीचड़ के संपर्क में आना ही पड़े या इस में डूबी चीजों को छूना पड़े तो साबुन और पानी से अपने हाथ धोने जरूरी हैं।शौचालय जाने के बाद भी हाथ धोएं। गंदे हाथों से भोजन न छुएं।
- जो भी खाद्य सामग्री या दवाइयां बाढ़ के पानी के संपर्क में आई हों, उन्हें फेंक दें, प्रयोग न करें। इन से आप को इन्फैक्शन हो सकता है।
- यदि आप के पास डब्बाबंद भोजन है तो डब्बे को अच्छी तरह से साफ कर के जल्द से जल्द इस सामग्री का प्रयोग कर लें।
- स्थानीय जल आपूर्ति में किसी भी संभावित प्रदूषण के बारे में पता कर लें। प्रयोग करने से पहले उस पानी को उबाल लें।
- वैक्टरजनित बीमारियों से बचने के लिए त्वचा पर मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाएं और सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। सड़क पर कचरा न फेंकें, यह चूहों को आकर्षित कर सकता है।
- दरअसल, प्राकृतिक शक्तियों को रोकना तो संभव नहीं है, लेकिन बाढ़ के रूप में आई प्राकृतिक आपदा के बाद रोगों को फैलने से रोकने के उपाय अवश्य किए जा सकते हैं। इस के लिए स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय एजेंसियों को संयुक्त प्रयास करने की आवश्यकता है। नागरिकों को अपने स्तर पर भी जरूरी उपाय करने चाहिए ताकि वे अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के साथ दूसरे रोगों के होने वाले नुकसान को कम कर सकें।
बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए प्रशासनिक और व्यक्तिगत दोनों स्तर पर काम किया जाना चाहिए। प्रशासनिक स्तर पर जरूरी है कि प्राथमिक स्वास्थ्य की देखभाल और सेवाएं दुरुस्त रहें। स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े कर्मचारियों को सही प्रकार से प्रशिक्षित किया जाए ताकि वे किसी भी खतरे की स्थिति में सक्रिय हो कर कारकों की पहचान व आकलन कर सकें और तत्काल उचित कार्यवाही कर सकें। स्वच्छता और हाथ धोने के सही तरीकों के बारे में जनता को जागरूक किया जाना चाहिए। प्रशासन को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों को रोगों से सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पेयजल, सफाई की सुविधाएं और जरूरत पड़ने पर शरण लेने के उपयुक्त ठिकाने मुहैया रहें।
संक्रामक रोगों का फैलाव और प्रकोप बाढ़ आने के कुछ ही दिनों, हफ्तों या महीनों के भीतर नजर आने लगता है। बाढ़ के दौरान और इस के बाद सब से आम है जलस्रोतों का प्रदूषण। ऐसे पानी के संपर्क में आने या इसे पीने के कारण जलजनित बीमारियां फैलने लगती हैं। इन में मुख्य हैं- दस्त और लैप्टोस्पायरोसिस। इस के अलावा खड़े पानी में मच्छरों को प्रजनन करने और पनपने का मौका मिलता है। इस प्रकार से वैक्टरजनित रोग फैलते हैं, जैसे कि मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया। बाढ़ के बाद जो रोग एक महामारी का रूप ले सकता है वो है लैप्टौस्पायरोसिस, चूहों की संख्या में वृद्धि से कीटाणुओं का विस्तार होता है। चूहों के मूत्र में बड़ी मात्रा में लैप्टोस्पाइरा होते हैं जो बाढ़ के पानी में मिल जाते हैं। इस के अलावा, घटते जल स्तर के साथ मच्छरों की वापसी भी हो जाती है।
Created On :   18 Aug 2018 1:16 PM IST