25,000 और जवानों को भेजा जा रहा जम्मू-कश्मीर, पहले भेजी थी 100 कंपनियां
- इससे पहले सरकार ने घाटी में 100 कंपनियों को भेजने के आदेश दिए थे
- जम्मू-कश्मीर में 25 हजार जवान और भेजे जाएंगे
- पैरामिलिट्री फोर्सेज को घाटी में और सैनिक भेजने के मौखिक आदेश जारी किए गए हैं
डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। अर्धसैनिक बलों के 10,000 जवानों की कश्मीर में तैनाती के एक हफ्ते से भी कम समय के बाद, अब 25,000 और जवानों को यहां भेजा जा रहा है।पैरामिलिट्री फोर्सेज को घाटी में और सैनिक भेजने के मौखिक आदेश जारी किए गए हैं। बताया जा रहा है सैनिकों ने गुरुवार सुबह से यहां पर पहुंचना शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक पिछले 4 दिनों में सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज (CAPF) की 281 कंपनियां कश्मीर पहुंच चुकी हैं।
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 25 जुलाई को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की 100 कंपनियों को तत्काल घाटी में तैनात करने का आदेश दिया था। इन 100 कंपनियों में सीआरपीएफ की 50, बीएसएफ-10, एसएसबी-30 और आईटीबीपी की 10 कंपनियां थी। हर एक कंपनी में 90 से 100 कर्मी मौजूद रहते हैं। इन जवानों को कश्मीर घाटी में आतंकवाद निरोधक ग्रिड को मजबूती प्रदान करने और कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए तैनात किया गया।
ये जवान घाटी में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिसबल की करीब 65 नियमित बटालियनों और अमरनाथ यात्रा के सुचारू संचालन के लिए तैनात अन्य बलों की 20 अन्य बटालियनों के अतिरिक्त थे। बता दें कि 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद भी सरकार ने घाटी में केंद्रीय बलों की 100 कंपनियां तैनात की थी।
केंद्र सरकार के इस फैसले ने कश्मीर घाटी में राजनीतिक दलों व अलगाववादियों में हलचल तेज कर दी थी। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा था, "घाटी में अतिरिक्त 10,000 सैनिकों को तैनात करने के केंद्र के फैसले ने लोगों में भय पैदा कर दिया है। कश्मीर में सुरक्षा बलों की कोई कमी नहीं है। JK एक राजनीतिक समस्या है जिसे सैन्य तरीकों से हल नहीं किया जाएगा। भारत सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार और सुधार करना होगा।"
पूर्व आईएएस और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट पार्टी के अध्यक्ष शाह फैसल ने ट्वीट कर कहा था, ‘घाटी में सीएपीएफ के अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती करने वाले गृह मंत्रालय की विज्ञप्ति से चिंता का माहौल बना हुआ है। किसी को नहीं पता कि अचानक से इस तरह सुरक्षाबलों को क्यों इकट्ठा किया जा रहा है। अफवाह है कि कुछ भयावह होने जा रहा है। क्या धारा 35ए को लेकर है? यह लंबी रात होगी।’
हालांकि जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने उन अटकलों को सिरे से खारिज कर दिया था जिसमें कहा जा रहा था कि केंद्र सरकार का राज्य से आर्टिकल 35A को हटाने का प्लान है। मलिक ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे सरकारी अधिकारियों के हस्ताक्षर वाले पत्र को भी फर्जी बताया था। उधर, राज्यपाल के इस बयान के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सोशल मीडिया पर सामने आए "फर्जी आदेश" की सीबीआई जांच की मांग की थी।
Created On :   2 Aug 2019 12:51 AM IST