सीएए के विरोध में बिहार बंद पर महागठबंधन में एका नहीं
पटना, 18 दिसंबर (आईएएनएस)। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में बिहार के करीब सभी प्रमुख विपक्षी दल सड़कों पर हैं। अधिनियम के विरोध में कई दलों ने बिहार बंद का आवाह्न भी किया है, परंतु विपक्षी दलों के महागठबंधन में इस आंदोलन को लेकर अभी एकराय नहीं बन सकी है। बिहार बंद को लेकर इससे पहले ही विपक्ष दो फाड़ हो गया है।
सीएए को लेकर वाम दलों ने जहां 19 दिसंबर को बंद का आवाह्न किया है, वहीं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 21 दिसंबर को बिहार बंद की अपील की है। दीगर बात है कि अब दोनों दल बंद का आह्वान सबसे पहले करने का दावा कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि सीएए के विरोध में राजधानी पटना में महागठबंधन के बड़े नेताओं ने बिहार बंद को लेकर आम सहमति के लिए बैठक भी की, जिसमें राजद समेत अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने भाग भी लिया। परंतु महागठबंधन में बिहार बंद को लेकर सहमति नहीं बन पाई। वाम दल और राजद अपनी-अपनी तिथियों पर बिहार बंद को लेकर अड़े हुए हैं।
इस बीच पूर्व सांसद पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तान अवाम पार्टी ने 19 दिसंबर के बिहार बंद का समर्थन करने का फैसला किया है। इधर कांग्रेस ने दोनों धड़ों से दोस्ती निभाते हुए 19 और 21 दिसंबर के बंद को अपना समर्थन देने की घोषणा की है।
सूत्रों का कहना है कि वाम दलों ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार बंद में शामिल होने से इंकार कर दिया है।
इस बीच, दो दिनों के लिए वाम दल और राजद के अलग-अलग तर्क हैं। वामदलों का कहना है कि उनकी ओर से पूर्व में ही 19 दिसंबर को बिहार बंद का आवाह्न किया गया है, इसमें अब फेरबदल संभव नहीं है। वामपंथी दलों के नेताओं ने हालांकि यह भी कहा है कि राजद के बंद को भी उनका नैतिक समर्थन है।
महागठबंधन के नेता इसे दो फाड़ मानने को तैयार नहीं हैं।
राजद के मृत्युंजय तिवारी कहते हैं, महागठबंधन में शामिल सभी दल सीएए और एनआरसी के विरोध में हैं। दलों के अपने-अपने कार्यक्रम हैं। इसमें दो फाड़ वाली बात कहां है। महागठबंधन में शामिल सभी दलों का मकसद एक है।
Created On :   18 Dec 2019 12:30 PM IST