ट्रंप की पोस्ट को लेकर जुकरबर्ग पर बरसे फेसबुक कर्मचारी
न्यूयार्क, 2 जून (आईएएनएस)। पुलिस अफसर के हाथों एक अश्वेत नागरिक की मौत के बाद अमेरिका में बड़े पैमाने पर नस्लीय तनाव फैला हुआ है और व्यापक स्तर पर प्रदर्शन व दंगे हो रहे हैं। इस बीच, सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) मार्क जुकरबर्ग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की विवादित व्याख्या पर अपनी ही कंपनी के कर्मचारियों के निशाने पर आ गए हैं। स्थिति ऐसी हो गई कि सोमवार को कंपनी के इतिहास में पहली बार कर्मचारियों ने वर्चुअल वाकआउट किया।
विवाद की जड़ में जुकरबर्ग का वह फैसला है जिसमें उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस बेहद विवादित पोस्ट को नहीं हटाने का फैसला किया जिसमें ट्रंप ने मिनयापोलिस में प्रदर्शनकारियों को गोली मारने के संकेत दिए थे। जुकरबर्ग ने यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की वजह बताते हुए किया है लेकिन इसे फेसबुक के कई कर्मी, जिनमें उच्च पदों पर आसीन अधिकारी भी शामिल हैं, पचा नहीं सके हैं। उन्होंने कंपनी छोड़ने और पूरे मामले को सार्वजनिक करने की चेतावनी दी है।
फेसबुक के शोध विभाग में कार्यरत स्टिरमैन ने ट्विटर पर कहा, मुझे नहीं पता कि क्या करना चाहिए। लेकिन मुझे इतना पता है कि कुछ भी नहीं करना स्वीकार्य नहीं हो सकता।
25 मई को मिनयापोलिस में 46 वर्षीय अश्वेत जार्ज फ्लॉयड की मौत पुलिस अफसर द्वारा उनकी गर्दन को पैर से दबाने के कारण हो गई थी। उन पर मामूली अपराध का अंदेशा मात्र था। इसके बाद सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियों से ट्रंप का विवाद इस घटना और इससे जुड़े प्रदर्शनों को रिपोर्ट करने के तरीकों को लेकर इतना बढ़ा कि कंटेंट की निगरानी के लिए ट्रंप ने कार्यकारी आदेश पर दस्तखत कर दिए। इसके एक हफ्ते के बाद फेसबुक में विवाद सामने आया है।
स्टिरमैन ने ट्वीट किया, मैं एक एफबी कर्मचारी हूं। मैं मार्क (जुकरबर्ग) द्वारा ट्रंप की हालिया पोस्ट पर कुछ भी नहीं करने के फैसले से पूरी तरह असहमत हूं जिसमें स्पष्ट रूप से हिंसा को भड़काने वाली बात कही गई है।
एक अन्य फेसबुक कर्मी सारा जांग ने ट्वीट किया, एक सहयोगी के रूप में हमें खतरे के सामने खड़ा होना चाहिए न कि इसके पीछे। अश्वेत समुदाय के प्रति एकजुटता के लिए एफबी के अंदर और बाहर वर्चुअल वाकआउट में मेरी भी हिस्सेदारी होगी। फेसबुक का फैसला समुदाय को सुरक्षित रखने के अन्य विकल्पों की अनदेखी करता है।
फेसबुक कर्मी जेसन टॉफ ने ट्वीट किया, मैं फेसबुक में काम करता हूं और हम जिस तरह से खुद को पेश कर रहे हैं, उस पर मुझे गर्व नहीं है। मैंने जिन भी सहकर्मियों से बात की है, उनमें से अधिकांश ऐसा ही सोच रहे हैं।
ट्रंप के हाल के कार्यकारी आदेश और सामाजिक तनाव ने इस बहस को फिर से हवा दी है कि आनलाइन प्लेटफॉर्म के पास कुछ भी प्रकाशित करने का किस हद तक अधिकार होना चाहिए।
जुकरबर्ग ने लिखा है, मैं जानता हूं कि बहुत से लोग इस बात से खफा हैं कि हमने राष्ट्रपति की पोस्ट को बने रहने दिया है। लेकिन, हमारी अवस्थिति यह है कि हमें अभिव्यक्ति को तब तक स्वतंत्र रहने देना चाहिए जब तक कि यह नीतियों में स्पष्ट रूप से दर्ज खतरनाक नुकसान पहुंचाने वाली स्थितियों की वजह न बन जाए।
Created On :   2 Jun 2020 4:31 PM IST