असमंजस में विपक्ष! कांग्रेस या फिर ममता किसकी ओर ज्यादा  झुकाव, कांग्रेस में मंथन शुरू

Opposition in a state of confusion! To whom is Congress or Mamta leaning more, churning started in Congress
असमंजस में विपक्ष! कांग्रेस या फिर ममता किसकी ओर ज्यादा  झुकाव, कांग्रेस में मंथन शुरू
नई दिल्ली असमंजस में विपक्ष! कांग्रेस या फिर ममता किसकी ओर ज्यादा  झुकाव, कांग्रेस में मंथन शुरू
हाईलाइट
  • शरद पवार बैठक में हुए थे शामिल
  • सपा
  • बसपा
  • आप व टीएमसी ने बनाई थीदूरी
  • सोनिया के आवास पर विपक्ष एकजुट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के एक बयान ने पूरे विपक्ष को सवालों के घेरे में ला दिया है। आपको बता दें कि ममता बनर्जी ने कहा था कि यूपीए क्या है? यूपीए नहीं है। ममता का ये बयान कांग्रेस को मंथन करने पर मजबूर कर दिया। इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारो में अगल-अलग तरह के मायने निकाला जा रहा है। माना जा रहा है कि ममता ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस की लीडरशिप वाले यूपीए  का भविष्य धूमिल है लिहाजा कांग्रेस अब उस धुंध को छांटने में जुट गई है।

विपक्ष क्यों है असमंजस में ?

गौरतलब है कि ममता बनर्जी जिस तरह से घर-घर जाकर विपक्षी नेताओं से मिल रहीं ममता पॉवर फुड मोड में हैं या फिर अपने आवास पर विपक्ष की टॉप लीडरशिप को बुलाकर सोनिया गांधी कांग्रेस की ताकत का अहसास करा रही हैं? या फिर भावी सशक्त विपक्ष लीडर की चेहरा पेश कर रही है। हालांकि ममता के इस प्रयास के बाद से विपक्ष अब असमंजस की स्तिथि में हैं कि किसका पलड़ा भारी है, कांग्रेस या ममता बनर्जी?

सोनिया के आवास पर हुई थी कांग्रेस की बैठक

बता दें कि बीते मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर विपक्षी नेताओं की बैठक हुई थी। इस बैठक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, नेशनल कांन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला, डीएमके नेता टीआर और लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी जैसी टॉप लीडरशिप ने भाग लिया था। इस पूरे बैठक में ये नया मोड़ ये सामने आया कि समाजवादी पार्टी, आरजेडी, बहुजन समाज पार्टी, आम आदमी पार्टी जैसे दलों के प्रतिनिधि नहीं थे। टीएमसी नेताओं का इस मीटिंग में हिस्सा न लेना स्वाभाविक था।

क्या ये दल ममता के साथ खड़े हैं?

आपको बता दें कि ममता बनर्जी इस वक्त लगातार विपक्षी दलों से मुलाकात कर अपने पक्ष में माहौल बनानें में जुटी हैं, जिसको लेकर कहीं न कहीं कांग्रेस की उलझनें बढ़ रही है। हाल ही में ममता बनर्जी के महाराष्ट्र दौरे को लेकर सियासत में काफी चर्चा है। बता दें कि ममता वहां जाकर शिवसेना और एनसीपी  के नेताओं से मुलाकात की थीं। भाजपा के खिलाफ एकजुटता देखकर साफतौर पर ममता ने कहा था कि यूपीए जैसा कुछ नहीं है। इस बयान को लेकर आजतक न्यूज की तरफ से जब आप नेता व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि ममता जी से उनके अच्छे रिश्ते हैं। लेकिन यूपीए वाले बयान पर उन्होंने कुछ नहीं पूछा। केजरीवाल ने कहा था कि इस मसले पर ममता दीदी से बात नहीं हुई है।

आजतक के मंच पर जब आरजेडी नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से भी यही सवाल किया गया था तो उन्होंने कहा था का बंगाल में हमने टीएमसी का साथ दिया लेकिन केंद्र में कांग्रेस के साथा खड़ा हूं। तेजस्वी ने आगे कहा था कि देश में करीब 200 ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस और बीजेपी की सीधे टक्कर है। तेजस्वी की बातों से साफ है कि केंद्र में बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस ही एकमात्र विकल्प है। महाराष्ट्र में शिवसेना का भी यही जवाब है। शिवसेना के मुखपत्र सामना में लिखा गया कि कांग्रेस अब भी कई राज्यों में है, सोनिया और राहुल गांधी को यूपीए को मजबूत करने के लिए आगे आना चाहिए।

कांग्रेस की बैठक में ये हुई चर्चाएं

आपको बता दें कि भले ही शरद पवार अपना स्टैंड स्पष्ट नहीं कर रहे हों, लेकिन ममता से मुलाकात के बाद सोनिया गांधी ने उन्हें आमंत्रित किया तो वो दिल्ली में उनके आवास पर हुई बैठक में भी शामिल हुए। लेकिन बैठक के बाद पवार का कोई बयान सामने नहीं आया। जबकि दूसरे नेताओं ने एजेंडे की जानकारी दी। सोनिया से बैठक के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला ने बताया है कि ये बैठक देश के मुद्दों से जुड़ी थी, जिसमें ये बात की गई कि कैसे मिलकर काम किया। वहीं, शिवसेना सांसद संजय राउत ने बताया कि हमारा मुख्य एजेंडा राज्यों के हिसाब से विपक्षी एकता को लेकर था। इन दो बयानों से जाहिर है कि सोनिया गांधी की बैठक में न सिर्फ देशव्यापी मुद्दों को लेकर एकजुटता पर चर्चा की गई, बल्कि राज्यों के हिसाब से भी मिलकर लड़ने के एजेंडे पर मंथन किया गया। 

Created On :   15 Dec 2021 6:39 PM IST

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