सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाया वसूली मामले में फैसला सुरक्षित रखा

Supreme Court reserved verdict in AGR arrears recovery case
सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाया वसूली मामले में फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर बकाया वसूली मामले में फैसला सुरक्षित रखा

नई दिल्ली, 24 अगस्त (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिवालिया कंपनियों से समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया की वसूली के मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा तीन मामलों पर फैसला सुनाए जाने की संभावना है।

इनमें पहला मामला- केंद्र की याचिका, जिसमें एजीआर के भुगतान के लिए 20 साल देने की मांग की गई है-क्या आईबीसी के तहत कंपनियों द्वारा स्पेक्ट्रम को हस्तांतरित या बेचा जा सकता है।

एयरटेल के पास वीडियोकॉन और एयरसेल के साथ स्पेक्ट्रम शेयरिंग और ट्रेडिंग पैक्ट्स थे, जबकि जियो आरकॉम के साथ था।

अदालत ने दूरसंचार विभाग (डीओटी) से स्पेक्ट्रम-बंटवारे की पृष्ठभूमि में एयरटेल और जियो के खिलाफ देनदारियों को बढ़ाने के लिए डिमांड अंडर प्रोसेस का विवरण साझा करने के लिए कहा था।

न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और एम. आर. शाह की पीठ ने माना कि अगर डीओटी एजीआर मांगों पर सही स्थिति प्रदान नहीं करता है, तो आंकड़े गलत हो सकते हैं। पीठ ने कहा कि एजीआर के फैसले को लगभग 10 महीने हो गए हैं, फिर डीओटी ने अभी तक मांग क्यों नहीं की?

डीओटी ने पीठ को सूचित किया कि जियो और एयरटेल के खिलाफ आरकॉम और विडियोकॉन के आंशिक बकाया के लिए कोई मांग नहीं की गई है और पिछले बकाया के लिए जियो और एयरटेल की देयता प्रक्रिया में है।

आरकॉम के लिए कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पीठ के सामने दलील दी कि अगर कंपनी चाहे तो स्पेक्ट्रम को इस्तेमाल करने का अधिकार एक बेची जा सकने वाली संपत्ति है। साल्वे ने कहा कि रिजॉल्यूशन योजना स्पेक्ट्रम के उपयोग के अधिकार की बिक्री का प्रस्ताव करती है, जो लाइसेंस ट्रेडिंग दिशानिदेशरें के अनुरूप है।

एयरटेल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर वीडियोकॉन की पिछले बकाया की देनदारी एयरटेल पर लाद दी गई, तो फिर इतने लंबे समय तक इंतजार क्यों किया गया। उन्होंने दलील दी कि इसके बजाय डीओटी को इसे बहुत पहले स्पष्ट करना चाहिए था।

बता दें कि एजीआर दूरसंचार विभाग की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से ली जाने वाली एक लाइसेंसिंग फीस है और इन कंपनियों पर एजीआर के तहत करोड़ों रुपये बकाया हैं।

एकेके/आरएचए

Created On :   24 Aug 2020 4:00 PM GMT

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