जस्टिस वर्मा आग केस: सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति का बड़ा खुलासा

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित आंतरिक जांच समिति का बड़ा खुलासा
  • अब तक कोई इस्तीफा नहीं, ना ही VRS
  • घरेलू कर्मचारियों ने नहीं देखी नोटों की गड्डी
  • कमेटी ने पुलिस और फायर कर्मियों की गवाही को अधिक विश्वसनीय माना

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एक आंतरिक जांच समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में बड़ा खुलासा किया है।

देश की राजधानी नई दिल्ली में जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर लगी आग के बाद स्टोर रूम में जले-अधजले नोट केस की जांच कर रही टॉप कोर्ट की कमेटी ने पहली बार कुछ नाम उजागर किए है। जांच कमेटी ने उन दस लोगों के नाम उजागर किए है, जिन्होंने स्टोर रूम में अपनी आंखों से भारी मात्रा में नकदी देखी थी। बताया जा राह है कि ये लोग दिल्ली फायर सर्विस (DFS) या दिल्ली पुलिस से जुड़े अधिकारी हैं। गठित कमेटी ने जस्टिस वर्मा के आचरण को अस्वाभाविक और संदेहास्पद बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। समिति ने यह भी पाया कि उस कमरे तक केवल जस्टिस वर्मा और उनके परिवार के लोगों की ही पहुंच थी। बाद में वह कमरा साफ कर दिया गया और वहां से सभी नोट ‘गायब’ हो गए।

आपको बता दें मार्च 2025 में दिल्ली में जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में अचानक आग लग गई। सूचना मिलने पर आग बुझाने पहुंची दिल्ली फायर सर्विस और पुलिस अधिकारियों ने वहां पर भारी मात्रा में नकदी देखी, जिनमें से कई नोट आधे जले हुए थे। जैसा की दावा किया जा रहा है कि कुछ चश्मदीदों ने बताया कि नकदी का ढेर लगभग 1.5 फीट ऊंचा था और 500 रुपये के नोट चारों ओर बिखरे हुए थे।

जांच पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक, इतने सारे स्वतंत्र गवाहों की मौजूदगी और घटनास्थल की तस्वीरें व वीडियो किसी भी तरह की साजिश की थ्योरी को खारिज करती हैं। जांच कमेटी की रिपोर्ट में कहा है कि अनबर्न्ट और आधी जली हुई नकदी देखकर कई गवाह हैरान रह गए। जांच पैनल ने उनके आचरण को संदिग्ध मानते हुए उन्हें पद से हटाने की सिफारिश की है। जांच समिति ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए, जिनमें जस्टिस वर्मा की बेटी दिया वर्मा भी शामिल थीं, लेकिन सबसे अहम बयान उन 10 अधिकारियों के थे, जो मौके पर सबसे पहले पहुंचे थे और नकदी को अपनी आंखों से देखा। जज के घरेलू कर्मचारियों ने नोट देखने से साफ इनकार किया, लेकिन कमेटी ने पुलिस और फायर कर्मियों की स्वतंत्र गवाही को अधिक विश्वसनीय माना है। जस्टिस वर्मा ने पूरे केस को अपनी छवि धूमिल करने की साजिश बताया। जस्टिस वर्मा जांच की पूरी प्रक्रिया को अन्यायपूर्ण और पूर्वाग्रही बता रहे है।

1. अंकित सहवाग (फायर ऑफिसर, DFS): टॉर्च की रोशनी में स्टोर रूम में आधे जले हुए ₹500 के नोटों का ढेर देखा। पानी से नोट भीगे थे।

2. प्रदीप कुमार (फायर ऑफिसर, DFS): स्टोर रूम में घुसते ही पैर में कुछ लगा, झुककर देखा तो यह ₹500 के नोटों का ढेर था, बाहर खड़े सहयोगियों को जानकारी दी।

3. मनोज मेहलावत (स्टेशन ऑफिसर, DFS): मेहलावत ने घटनास्थल की कुछ पिक्चर लीं। आग बुझाने के बाद उन्होंने खुद अधजली नकदी देखी। यही वो अधिकारी हैं, जिनकी आवाज वीडियो में महात्मा गांधी में आग लग रही है भाई कहते हुए सुनी गई

4. भंवर सिंह (ड्राइवर, DFS): फायर सर्विस करियर में पहली बार इतनी नकदी देखी। नजारा देखकर वे हैरान रह गए।

5. प्रविंद्र मलिक (फायर ऑफिसर, DFS): प्लास्टिक बैग में भरी हुई नकदी आग में जल चुकी थी.

6. सुमन कुमार (असिस्टेंट डिविजनल ऑफिसर, DFS): सुमन कुमार ने वरिष्ठ अधिकारी को नकदी मिलने की सूचना दी, लेकिन उन्हें ऊपर से आदेश मिला कि बड़े लोग हैं, आगे कार्रवाई मत करो

7. राजेश कुमार (तुगलक रोड थाना, दिल्ली पुलिस): आग बुझने के बाद खुद अधजली नकदी देखी और वहां लोगों को वीडियो बनाते हुए देखा

8. सुनील कुमार (इंचार्ज, ICPCR): टॉर्च से स्टोर रूम में झांक कर उन्होंने जली-अधजली नकदी देखी और तीन वीडियो बनाए। वायरल वीडियो उन्हीं में से एक नहीं था।

9. रूप चंद (हेड कांस्टेबल, तुगलक रोड थाना): उन्होंने SHO के निर्देश पर मोबाइल से पूरी घटना रिकॉर्ड की, उन्होंने देखा कि नोट स्टोर रूम के दरवाजे से लेकर पीछे की दीवार तक फैले हुए थे।

10. उमेश मलिक (SHO, तुगलक रोड थाना): उन्होंने 1.5 फीट ऊंचे जले हुए 500 रुपये के नोटों के ढेर को देखा, कुछ नोट गड्डियों में बंधे थे तो कुछ पानी में बिखर चुके थे.

Created On :   19 Jun 2025 10:32 AM

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