कानून का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को लगाई फटकार, कहा- बदमाशों की तरह नहीं कर सकता काम

सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को लगाई फटकार, कहा- बदमाशों की तरह नहीं कर सकता काम
  • सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की छवि को लेकर जाहिर की चिंता
  • याचिकाकर्ताओं ने लिया चांस
  • ईडी की व्यापक शाक्तियों की संवैधानिक बैधता को रखा बरकरार

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में जुलाई 2022 में दाखिल याचिक पर सुनवाई की है। इस दौरान अदालत ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) किसी भी मामले में बदमाश की तरह काम नहीं कर सकता है, उसे कानून के अंतर्गत की काम करना होगा। साथ ही कोर्ट ने ईडी की छवि को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि कानून लागू करने वाले और कानून का उल्लंघन करने वाले संस्थान में बहुत अंतर होता है।

बार एंड बेंच के मुताबिक, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुईयां और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने साल 2022 के जुलाई के मामले में अदालत ने सुनवाई की। एक आदेश के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर फैसला दिया। इसमें कोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के अंतर्गत ईडी की व्यापक शाक्तियों की संवैधानिक बैधता को बरकरार रखा गया है।

ईडी का किया बचाव

कोर्ट ने ईडी की छवि पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, "हमने क्या देखा कि, जो संसद में एक मंत्री के बयान से भी सच साबित हो गया कि पांच हजार मामलों में से 10 से भी कम केस में दोषसिद्धि हुई।" हालांकि, फैसले के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने ईडी का बचाव करते हुए अदालत ने कहा कि ये अंतर क्यों है? उन्होंने आगे बताया कि पीएमएलए मामलों में दोषि करार दर कम इसलिए है क्योंकि अमीर और ताकतवर लोग बढ़िया वकील को हायर कर लेते हैं। वे ट्रायल कोर्ट में कोई भी मुकदमा नहीं चलने देते हैं और इस वजह से मामलों में देरी हो जाती है।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से समीक्षा याचिकाओं पर विचार नहीं करने का अनुरोध किया और कहा कि अगर इन्हें स्वीकृति दी जाती है तो फिर से उस मामले के आदेश को लिखना होगा। जिन्हें उन्होंने चुनौता दी गई हैं। इस वजह से इनको इजाजत नहीं दी जा सकती है। एएसजी राजू ने साथ ही कहा कि समीक्षा याचिकाकर्ताओं ने 2022 के फैसले को आधार नहीं बनाया जा सकता है।

याचिकाकर्ताओं ने लिया चांस

एसजी राजू ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने एक चांस लिया है, लेकिन वे पास नहीं हो पाए। इस वजह से अब कह रहे है कि फैसला गलत था, इसकी समीक्षा फिर से की जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इस मामले की समीक्षा नहीं की जा सकती है। इसके पहले उन्हें साबित करना होगा कि इन दो मुद्दों के रिकॉर्ड में साफ तौर पर गलती है।

Created On :   7 Aug 2025 7:44 PM IST

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