Bhopal VIT College Controversy: वीआईटी में 15 हजार छात्रों को अभेद किले के रुप में रखा, प्रबंधन का तानाशाह रवैया, सीएमएचओ को दो घंटे तक घुसने नहीं दिया

डिजिटल डेस्क, भोपाल। सीहोर स्थित वीआईटी इंस्टीट्यूट में 25 नवंबर की रात में छात्रों के विद्रोह, प्रदर्शन और आगजनी के मामले पर मप्र निजी विवि विनियामक आयोग की जांच िरपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। सोमवार को राज्य शासन ने वीआईटी कुलाधिपति को कारण बताओ नोटिस दिया। नोटिस में लिखा कि कैंपस को एक किले के रुप में रखा गया है, जिसमें 15 हजार छात्र, अलग-अलग होस्टलों में रहते हैं। इसमें वीआईटी प्रबंधन के ही कानून नहीं चलते। कैंपस में छात्रों को बोलने और अपनी पीड़ा बताने की भी छुट नहीं है। कुलाधिपति, वीआईटी से 3 दिन में जवाब मांगा है, जवाब नहीं देने पर एक तरफा कार्रवाई की जाएगी।
नोटिस में लिखा कि प्रबंधन एक तानाशाही रवैया रखता है। सीहोर के सीएमएचओ को भी कैंपस में जाने नहीं दिया गया। सीएमएचओ को गेट पर 2 घंटे इंतजार करना पड़ा। छात्रों ने यदि शिकायत की या पीड़ा बताई तो उन्हें प्रताड़ित किया जाता है, फेल करने, आई कार्ड जप्त करना, प्रैक्टीकल में नंबर नहीं देने की धमकियां दी जाती है। भोजन-पानी की शिकायत नहीं सुनी जाती। वीआईटी प्रबंधन पूरी तरह मनमानी और स्वेच्छाचारिता करता है।
वीआईटी प्रबंधन के स्वास्थ्य केंद्र में यह भी रिकॉर्ड नहीं है कि कितने छात्रों को पीलिया हुआ है। नोटिस में कहा कि जांच समिति ने वीआईटी प्रबंधन से 1 नवंबर से 24 नवंबर तक बीमार होने वाले छात्रों का रिकॉर्ड मांगा, लेकिन नहीं दिया। 14 नवंबर से 24 नवंबर के बीच पीलिया ग्रसित 23 छात्र व 12 छात्राओं के बारे में बताया। वीआईटी प्रबंधन को छात्रों के बीमार होने की जानकारी होते हुए इसे प्रशासन से छिपाया और लीपा-पोती की गई।
नोटिस में लिखा कि जांच समिति ने पाया कि वीआईटी प्रबंधन अति आत्मविश्वास और आत्ममुग्ध है। छात्रों पर लगातार दबाव बनाया गया, जिसके चलते आक्रोश बढ़ गया। वॉर्डन ने उत्तेजित छात्रों के साथ मारपीट की और वे प्रदर्शन पर उतर आए। जिसे वीआईटी प्रबंधन संभाल नहीं पाया। प्रबंधन ने छात्रहित नहीं देखा, तानाशाही रवैऐ के चलते छात्रों में आक्रोश बढ़ते गया जो आगजनी व प्रदर्शन में बदल गया।
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ये खामियां भी पाई
- पीने के पानी का माइक्रोबायोलॉजिकल अॉडिट का पालन नहीं किया जा रहा। छात्र-छात्राओं ने पीने के पानी में दुर्गंध आना बताया।
- मेस में भोजन सेवा अत्यंत असंतोषजनक मिली।
- मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम का अभाव है।
- बीमार होने वाले छात्रों का रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।
- वीआईटी प्रबंधन की कार्य प्रणाली पारदर्शी नहीं है।
- 15 हजार छात्रों पर प्रशासनिक नियंत्रण दो-तीन अिधकारियों के पास है, बाकी के अन्य अिधकारियों की भूमिका ऑरनामेंटल है।
- वीआईटी प्रबंधन ने जांच समिति को सहयोग नहीं किया। पूर्वाग्रह पाला कि समिति सिर्फ कार्रवाई करने कैंपस पहुंची है।
Created On :   2 Dec 2025 10:07 PM IST













