रिद्धपुर ग्रंथालय में अब भी महफूज है 500 साल पुराने 1000 प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान

Riddhpur Library: 1 thousand ancient texts included
रिद्धपुर ग्रंथालय में अब भी महफूज है 500 साल पुराने 1000 प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान
रिद्धपुर ग्रंथालय में अब भी महफूज है 500 साल पुराने 1000 प्राचीन ग्रंथों का ज्ञान

डिजिटल डेस्क,अमरावती। जिले का विश्व प्रसिद्ध गोपरीज महानुभव ग्रंथ संग्रहालय। इस संग्रहालय में मराठी साहित्य का खजाना संजोकर रखा गया है। यहां 400 साल पुराने ऋषिमुनियों के लिखे धर्मग्रंथ आज भी मौजूद हैं। गौरतलब है कि महानुभव पंथियों के रूप में पहचाने जाने वाले काशी रिद्धपुर की पहचान भारत के साथ ही पूरे विश्व में है। जिले के अंतिम छोर पर बसे क्षेत्र रिद्धपुर में मौजूद गोपीराज महानुभव ग्रंथ संग्रहालय अपने आप में एक अनूठी मिसाल पेश करता है। दूर-दूर से साहित्यकार यहां आकर रिसर्च करते हैं।

संग्रहालय में मौजूद हैं कई ग्रंथ
संग्रहालय में करीब 350 धर्मग्रंथ मौजूद है। यहां 400 साल पहले ऋषि मुनियों के लिखे धर्मग्रंथ तथा 500 साल पहले लिखी लीलाचरित्र भी है। इन ग्रंथों के मुताबिक भगवान चक्रधर स्वामी ने जो उपदेश दिया था उसी का उल्लेख अमेरिका स्थित लेडी एनफील्ड हाऊस की अपनी ‘दी डिईड्स ऑफ गार्ड  इन रिद्धपुर" पुस्तक में है। इस पुस्तक का प्रकाशन ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी में हुआ था। इसी तरह रशिया के डॉ. इ.एन. सीसाइट ने इन ग्रंथों का संशोधन कर ग्रंथ लिखा है।

1000 प्राचीन ग्रंथ
11 वीं सदी से लेकर 16 वीं सदी तक अनमोल ग्रंथ के साथ आधुनिक प्रकाश भी यहां मौजूद हैं। इस ग्रंथालय के संचालक महंत गोपीराज शास्त्री ने यहां मौजूद लगभग 1000 प्राचीन ग्रंथों की हस्तलिखित मूल प्रतियां आज भी उसी अवस्था में संभालकर रखी है। प्राचीन मराठी की सांकेतिक लिपि जिसमें ‘सकल लिपि" ‘सुंदर लिपि" अंकलिपि, सुभद्रालिपि, हंसलिपि, लिगावकर लिपि, शीरालिपि, वज्रलिपि आदि लिपियों का समावेश है। महानुभव साहित्य 99 प्रतिशत सकल लिपि में शब्दबद्ध होने के कारण सकल लिपि यह ज्यादा प्रचलित है।चक्रधर स्वामी का जीवन चरित्र बयां करने वाला ग्रंथ ‘जीवनचरित्र" प्रथम आचार्य नागदेव उर्फ भटोनासा का स्मृति स्थल आध्य कवियत्री महादव की काव्य रचनाएं मूर्तिप्रकाश आदि ग्रंथों के साथ ही व्याकरण, स्थान महाम्त्य, टीकाग्रंथ जैसी अनेक रचनाएं यहां मौजूद हैं। 

 

400 साल पुरानी दुर्लभ वस्तुएं
यहां 400 साल पुरानी कुछ ऐसी दुर्लभ वस्तुएं हैं जो उस समय के ऋषि मुनियों की नियमित दिनचर्या के कार्यों में उपयोग में लाई जाती थी। कपड़े के लगदे से बनाए गए बर्तन जिसमें रोटियां रखने के बर्तन से लेकर पानी पीने के बर्तन तक यहां मौजूद हैं। इन वस्तुओं की बनावट, रंग, नक्काशी सुंदर हस्तकला का नमूना है। इसके अलावा यहां 500 साल पुरानी दवात भी है। 

Created On :   31 July 2017 6:39 AM GMT

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