बिहार चुनाव 2025 रजौली सीट पर 10 साल से राजद का कब्जा, क्या एनडीए घटक दल पार कर पाएगा चुनौती?

बिहार चुनाव 2025 रजौली सीट पर 10 साल से राजद का कब्जा, क्या एनडीए घटक दल पार कर पाएगा चुनौती?
प्राकृतिक धरोहर, सांस्कृतिक महत्व और राजनीतिक महत्व के चलते रजौली विधानसभा सीट न सिर्फ नवादा जिले, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाती रही है। 2000 के बाद से रजौली विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक मुकाबला राजद और भाजपा के बीच रहा है, लेकिन इस बार ये सीट भाजपा के पास न होकर एनडीए घातक दल के पास है।

पटना, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। प्राकृतिक धरोहर, सांस्कृतिक महत्व और राजनीतिक महत्व के चलते रजौली विधानसभा सीट न सिर्फ नवादा जिले, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाती रही है। 2000 के बाद से रजौली विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख राजनीतिक मुकाबला राजद और भाजपा के बीच रहा है, लेकिन इस बार ये सीट भाजपा के पास न होकर एनडीए घातक दल के पास है।

बिहार के नवादा जिले की रजौली विधानसभा सीट राज्य की महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक विधानसभा सीटों में गिनी जाती है। यह आरक्षित सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए रखी गई है और नवादा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। रजौली अनुमंडल नवादा शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और धनार्जय नदी के तट पर फैला हुआ है। क्षेत्र छोटे-बड़े पहाड़ियों से घिरा हुआ है और कभी खनिजों के लिए प्रसिद्ध था।

राजद ने 2000 और 2005 में जीत दर्ज की, लेकिन 2005 के दोबारा हुए चुनावों में और 2010 में भाजपा विजयी रही। 2015 और 2020 में राजद ने फिर वापसी की। रजौली विधानसभा क्षेत्र के चुनाव में जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दों की बड़ी भूमिका रहती है।

इस बार 11 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। राजद ने पिंकी भारती को उम्मीदवार बनाया है, जबकि एनडीए के घटक दल लोजपा (रामविलास) ने विमल राजवंशी को टिकट दिया है। जन सुराज पार्टी ने नरेश चौधरी को मैदान में उतारा है।

रजौली का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी काफी अधिक है। नगर के मध्य में स्थित गुरुद्वारा रजौली संगत किला जैसी संरचना में फैला है और चार एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। इसके अलावा रजौली का लोमस ऋषि पर्वत रामायण काल के सप्तऋषियों की साधना स्थली के रूप में विख्यात है। पिकनिक और पर्यावरण प्रेमियों के लिए रजौली का फुलवरिया डैम आकर्षण का केंद्र बना रहता है।

राजनीतिक इतिहास की बात करें तो रजौली विधानसभा सीट 1951 से अस्तित्व में है। अब तक हुए 17 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने शुरुआती दौर में बढ़त बनाई और पहले पांच चुनावों में से चार में जीत दर्ज की।

1969 में भारतीय जनसंघ (वर्तमान भाजपा) ने कांग्रेस का वर्चस्व तोड़ दिया। इसके बाद कांग्रेस ने 1972 में एक और बार जीत हासिल की, जो यहां उसकी अंतिम बड़ी जीत थी।

भाजपा ने कुल चार बार जीत हासिल की, जिसमें जनसंघ की जीत भी शामिल है। वहीं, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भी चार बार यहां विजय प्राप्त की। स्वतंत्र उम्मीदवारों ने दो बार और जनता पार्टी और जनता दल ने एक-एक बार जीत दर्ज की।

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Created On :   29 Oct 2025 3:45 PM IST

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