भारत-रूस व्यापार और निवेश को मजबूत करने पर कर रहे हैं विचार

भारत-रूस व्यापार और निवेश को मजबूत करने पर कर रहे हैं विचार
भारत-रूस द्विपक्षीय संबंध पिछले 78 वर्षों से मजबूत और स्थिर हैं। दोनों देशों का साझा उद्देश्य एक बहुपक्षीय दुनिया का निर्माण करना है और पारंपरिक क्षेत्रों जैसे सैन्य, परमाणु और अंतरिक्ष सहयोग से आगे बढ़कर सहयोग को बढ़ाना है। इसकी जानकारी एक आधिकारिक बयान में दी गई है। यह बयान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत के दो दिवसीय दौरे से पहले जारी किया गया।

नई दिल्ली, 4 दिसंबर (आईएएनएस)। भारत-रूस द्विपक्षीय संबंध पिछले 78 वर्षों से मजबूत और स्थिर हैं। दोनों देशों का साझा उद्देश्य एक बहुपक्षीय दुनिया का निर्माण करना है और पारंपरिक क्षेत्रों जैसे सैन्य, परमाणु और अंतरिक्ष सहयोग से आगे बढ़कर सहयोग को बढ़ाना है। इसकी जानकारी एक आधिकारिक बयान में दी गई है। यह बयान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत के दो दिवसीय दौरे से पहले जारी किया गया।

पिछले दो वर्षों में, दोनों देशों के बीच व्यापार काफी बढ़ा है। राष्ट्रपति पुतिन के दौरे के दौरान, भारतीय निर्यात को बढ़ाने और नए सहयोग के मॉडल विकसित करने पर चर्चा की जाएगी।

दोनों देश क्षेत्रीय सहयोग को भी मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं, खासकर रूस के पूर्वी क्षेत्र में। इसके अलावा, वे अंतरराष्ट्रीय परिवहन और कनेक्टिविटी परियोजनाओं को बढ़ावा देना चाहते हैं, जैसे कि इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक ईस्टर्न मैरीटाइम कॉरिडोर और नॉर्दर्न सी रूट।

रूस के “पूर्व की ओर झुकाव” और उसके संसाधन तथा तकनीक के साथ भारत की प्रमुख पहलें जैसे 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' भी मेल खाती हैं।

इस साल अगस्त में विदेश मंत्री एस. जयशंकर की मॉस्को यात्रा के दौरान, भारत और रूस ने 2030 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को तेजी से हासिल करने पर जोर दिया। इसमें भारत-ईएईयू मुक्त व्यापार समझौते पर काम और रूस में दो नए भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलना शामिल है।

2025 में, भारत और रूस ने कई उच्च-स्तरीय बैठकों के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाया, जिसमें समुद्री परामर्श और इंडिया एनर्जी वीक 2025 में रूस की भागीदारी शामिल थी।

17 नवंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित उच्च-स्तरीय समुद्री परामर्श बैठक की अध्यक्षता मंत्री सरबानंद सोनोवाल और निकोलेई पात्रुशेव ने की। इस दौरान दोनों देशों ने शिपबिल्डिंग, बंदरगाह विकास, लॉजिस्टिक्स और आर्कटिक सहयोग पर चर्चा की। उन्होंने अपनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया और दीर्घकालिक कनेक्टिविटी और विकास के लिए एक टिकाऊ और कुशल समुद्री ढांचा बनाने पर सहमति जताई।

व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए सरकारी स्तर पर प्राथमिक तंत्र भारत-रूस अंतर-सरकारी व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक सहयोग आयोग है, जिसकी सह-अध्यक्षता भारतीय पक्ष से विदेश मंत्री और रूसी पक्ष से उप प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव करते हैं।

इसकी 26वीं बैठक 20 अगस्त 2025 को मॉस्को में हुई। इसमें व्यापार में लगने वाले टैरिफ और गैर-टैरिफ अवरोधों को दूर करने, लॉजिस्टिक्स की समस्याएं हल करने, कनेक्टिविटी बढ़ाने, भुगतान प्रणाली को आसान बनाने और 2030 तक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम को समय पर पूरा करने पर ध्यान दिया गया।

बैठक में भारत-ईयूरासियन इकोनॉमिक यूनियन को जल्दी पूरा करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया। इसके साथ ही, दोनों देशों के व्यवसायों के बीच नियमित बातचीत के जरिये 2030 तक 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य को हासिल करने पर ध्यान दिया गया।

बैठक के बाद प्रोटोकॉल पर दोनों सह-अध्यक्षों ने हस्ताक्षर किए। दोनों देश नेताओं द्वारा तय महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की ओर काम कर रहे हैं, जिसमें 2025 तक 50 अरब डॉलर का आपसी निवेश और 2030 तक 100 अरब डॉलर का वार्षिक व्यापार शामिल है।

द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ा है और वित्त वर्ष 2024-25 में यह रिकॉर्ड 68.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया। भारत के निर्यात का मूल्य 4.9 अरब डॉलर था, जिसमें मुख्य रूप से फार्मास्यूटिकल्स, केमिकल्स, लोहा और इस्पात, और समुद्री उत्पाद शामिल हैं। वहीं, रूस से आयात 63.8 अरब डॉलर था, जिसमें मुख्य रूप से कच्चा तेल, पेट्रोलियम उत्पाद, सूरजमुखी का तेल, उर्वरक, कोकिंग कोल और कीमती पत्थर शामिल हैं।

सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार पिछले कुछ वर्षों में स्थिर रहा है। 2021 में यह 1.021 अरब डॉलर था। दोनों देशों के बीच निवेश मजबूत है और 2025 तक 50 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा गया है। रूस के प्रमुख निवेश भारत में तेल और गैस, पेट्रोकेमिकल्स, बैंकिंग, रेलवे और इस्पात क्षेत्र में हैं। वहीं, भारत के प्रमुख निवेश रूस में तेल और गैस और फार्मास्यूटिकल्स में हैं।

बयान में यह भी बताया गया है कि रक्षा क्षेत्र दोनों देशों के मजबूत दोस्ताना और रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दोनों देशों के बीच लंबी अवधि और व्यापक सैन्य-तकनीकी सहयोग अब केवल खरीद-बिक्री तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें उन्नत रक्षा तकनीक और प्रणालियों के संयुक्त अनुसंधान, विकास और उत्पादन भी शामिल है।

रूस रक्षा उपकरण, इंजन, स्पेयर पार्ट्स और घटकों का महत्वपूर्ण स्रोत है। भारत में कई रक्षा प्लेटफॉर्म जैसे टी-90 टैंक और एसयू-30 एसकेआई विमान भी असेंबल या उत्पादित होते हैं। दोनों देश रक्षा उपकरण और प्लेटफॉर्म के सह-विकास और सह-उत्पादन पर भी काम कर रहे हैं, जिसमें ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम का अन्य देशों को निर्यात करने की संभावना भी शामिल है।

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Created On :   4 Dec 2025 9:58 PM IST

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