कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्रज्वल रेवन्ना की जमानत और सजा रद्द करने की याचिका को खारिज किया

कर्नाटक हाईकोर्ट ने प्रज्वल रेवन्ना की जमानत और सजा रद्द करने की याचिका को खारिज किया
कर्नाटक हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पौत्र प्रज्वल रेवन्ना द्वारा दायर उस अपील याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने सेक्स सीडी और दुष्कर्म मामले में सुनाई गई उम्रकैद की सज़ा को चुनौती दी थी और तत्काल ज़मानत की मांग की थी। अदालत ने कहा कि इस चरण पर राहत देने से गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बढ़ जाएगी।

बेंगलुरु, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। कर्नाटक हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के पौत्र प्रज्वल रेवन्ना द्वारा दायर उस अपील याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने सेक्स सीडी और दुष्कर्म मामले में सुनाई गई उम्रकैद की सज़ा को चुनौती दी थी और तत्काल ज़मानत की मांग की थी। अदालत ने कहा कि इस चरण पर राहत देने से गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बढ़ जाएगी।

न्यायमूर्ति केएस. मुदगल और न्यायमूर्ति टी वेंकटेश नाइक की खंडपीठ ने बुधवार को यह आदेश पारित किया।

अदालत ने कहा, "सभी साक्ष्यों, अपराध की गंभीरता और लंबित मामलों पर इसके प्रभाव को देखते हुए, यह जमानत देने या सजा पर रोक लगाने के लिए उपयुक्त मामला नहीं है।" अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि आरोपी को ज़मानत दी गई तो वह अन्य मामलों में गवाहों को प्रभावित या बाधित कर सकता है।

हाईकोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन शोषण के कई मामले लंबित हैं, और जिस पहले मामले (हासन जिले के होलेनरसीपुरा ग्रामीण थाने) में उसकी अपील खारिज हुई है, उसमें भी उसे पूरे परीक्षण के दौरान ज़मानत नहीं दी गई थी। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार पीड़िता प्रज्वल के राजनीतिक और पारिवारिक प्रभाव के डर से शिकायत दर्ज कराने का साहस नहीं जुटा सकी थी।

सुनवाई के दौरान प्रज्वल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पीड़िता ने कई वर्षों तक चुप्पी बनाए रखी, उसकी गवाही विश्वसनीय नहीं है। प्रज्वल विदेश गए थे लेकिन उस समय कोई मामला दर्ज नहीं था। अभियोजन पक्ष ने फोन जमा न कराने का आरोप लगाया, जबकि धारा 91 के तहत फोन जमा कराने का कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। फॉरेंसिक रिपोर्ट साक्ष्य के रूप में संदेहास्पद है तथा डीएनए परीक्षण करने वाले अधिकारी की मृत्यु से रिपोर्ट की प्रामाणिकता पर सवाल उठते हैं। वर्षों बाद एक साथ चार शिकायतें दर्ज होना राजनीतिक प्रतिशोध की ओर संकेत करता है।

स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर प्रो. रवीवर्मा कुमार ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि अपराध की प्रकृति अत्यंत गंभीर है। आरोपी को रिहा किया गया तो वह दोबारा ऐसे अपराध कर सकता है और समाज के लिए ख़तरा बन सकता है। पीड़िता इस मामले की प्रमुख गवाह है और वह अन्य अपहरण मामले से भी जुड़ी है जिसका संबंध आरोपी के परिवार से है। पीड़िता का दो बार पहले भी कथित अपहरण हो चुका है, ऐसे में आरोपी की रिहाई स्थिति और अधिक ख़तरनाक बना देगी।

बता दें कि प्रज्वल रेवन्ना को मई 2024 में जर्मनी से लौटने के बाद गिरफ्तार किया गया था। विशेष अदालत ने चार यौन उत्पीड़न और बलात्कार मामलों में से एक में उन्हें शेष जीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी और जुर्माना भी लगाया था। इसी फैसले के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील और ज़मानत याचिका दायर की थी, जिसे अब खारिज कर दिया गया है।

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Created On :   3 Dec 2025 4:53 PM IST

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