शिक्षा: आईआईएम-अहमदाबाद का दुबई परिसर भारत की सॉफ्ट पावर को नए सिरे से परिभाषित करेगा संस्थान निदेशक

आईआईएम-अहमदाबाद का दुबई परिसर भारत की सॉफ्ट पावर को नए सिरे से परिभाषित करेगा  संस्थान निदेशक
भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-ए), भारत के सबसे प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूलों में से एक, इस सितंबर से दुबई में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय कैंपस शुरू करने जा रहा है। यह विस्तार (आईआईएम-ए) के निदेशक भारत भास्कर की 2023 की परिकल्पना का हिस्सा है।

अहमदाबाद, 27 जुलाई (आईएएनएस)। भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-ए), भारत के सबसे प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूलों में से एक, इस सितंबर से दुबई में अपना पहला अंतरराष्ट्रीय कैंपस शुरू करने जा रहा है। यह विस्तार (आईआईएम-ए) के निदेशक भारत भास्कर की 2023 की परिकल्पना का हिस्सा है।

नया कैंपस एक साल के एमबीए प्रोग्राम के साथ शुरू होगा और दो प्रमुख शोध केंद्र स्थापित करेगा। एक केस स्टडी विकास के लिए और दूसरा स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए।

भास्कर ने आईएएनएस से बातचीत में इस योजना के तेजी से लागू होने पर संतुष्टि जताई।

उन्होंने कहा, "दुबई कैंपस मेरी 2023 की परिकल्पना थी और अब इसे साकार होते देख मैं बहुत खुश हूं। मैं अगले हफ्ते कैंपस का दौरा करूंगा। हमने पाठ्यक्रम को मध्य पूर्व और अफ्रीका के व्यापारिक परिदृश्य और केस स्टडीज को ध्यान में रखकर तैयार किया है।"

इस कदम की शुरुआत अप्रैल में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर के साथ हुई। मुंबई में हुए इस समझौते ने दुबई इंटरनेशनल एकेडमिक सिटी में कैंपस की स्थापना को औपचारिक रूप दिया। यह भारत के किसी प्रबंधन संस्थान का पहला विदेशी कैंपस है।

भास्कर इसे न केवल संस्थान बल्कि पूरे भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानते हैं।

उन्होंने कहा, "जब पश्चिमी देश अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अपने दरवाजे बंद कर रहे हैं, भारत को यह मौका भुनाना चाहिए। शिक्षा भारत की सबसे मजबूत सॉफ्ट पावर है। यह कैंपस वैश्विक प्रभाव बढ़ाने का एक रणनीतिक उपकरण है।"

उन्होंने कहा, "जैसे चीन अपनी विनिर्माण और व्यापार क्षमता का उपयोग करता है, भारत को अपनी उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा और अंग्रेजी बोलने वाली कार्यशक्ति का लाभ उठाना चाहिए। अगर भारत ग्लोबल साउथ का नेता बनना चाहता है, तो यही रास्ता है।"

दुबई कैंपस का लक्ष्य खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों, उत्तरी अफ्रीका और स्वतंत्र देशों के राष्ट्रमंडल (सीआईएस) से छात्रों को आकर्षित करना है।

पहले बैच में 40 से 50 छात्र होंगे, और अगले दस वर्षों में इसे 900 छात्रों की क्षमता तक बढ़ाने का लक्ष्य है। भास्कर ने बताया कि दुबई को चुनने का कारण वहां पहले से मौजूद विश्वास और परिचितता थी, क्योंकि आईआईएम-ए कई वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यकारी शिक्षा प्रदान करता रहा है।

वैश्विक स्तर पर एमबीए प्रोग्राम्स में आवेदनों में कमी के बावजूद, भास्कर भारत के भविष्य को लेकर आशावादी हैं। 2023 में वैश्विक बिजनेस स्कूलों में आवेदनों में 5 प्रतिशत की कमी आई थी, लेकिन भास्कर ने कहा, "अमेरिका या यूरोप में यह कमी हो सकती है, लेकिन भारत की स्थिति अलग है। हमारी युवा आबादी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, जो अब दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी है, कुशल प्रबंधकों की मांग बढ़ा रही है। आईआईएम-ए जैसे संस्थान इस मांग को पूरा करेंगे।"

उन्होंने एक अच्छे प्रबंधक की खासियत बताते हुए कहा, "प्रतिबद्धता और दूरदर्शिता जरूरी हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है सहानुभूति। व्यवसाय सिर्फ लाभ-हानि नहीं है, सहानुभूति आपको बहुत आगे ले जाती है।"

भविष्य की योजनाओं में भास्कर ने डेटा साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्कूल की स्थापना का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "पारंपरिक प्रबंधन शिक्षा अब काम नहीं करती। आज एआई, प्रौद्योगिकी और विज्ञान नेतृत्व और निर्णय लेने का हिस्सा हैं। प्रबंधन पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों को विकसित करना होगा।"

दुबई कैंपस केवल एक अंतरराष्ट्रीय विस्तार नहीं है, बल्कि यह क्षेत्रीय प्रासंगिकता, शैक्षिक कूटनीति और 21वीं सदी में प्रबंधन शिक्षा को नया रूप देने की दिशा में एक रणनीतिक पहल है।

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Created On :   27 July 2025 6:44 PM IST

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