अपराध: मध्य प्रदेश जबलपुर की कंपनी पर अंतर्राष्ट्रीय ठगी का आरोप, दो आरोपियों को समन

मध्य प्रदेश  जबलपुर की कंपनी पर अंतर्राष्ट्रीय ठगी का आरोप, दो आरोपियों को समन
जबलपुर की एक निजी कंपनी पर अंतर्राष्ट्रीय धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं। कनाडा की एक कंपनी के साथ हजारों डॉलर की ठगी, फर्जी दस्तावेज और गलत इनवॉइसिंग जैसे आरोपों के चलते जबलपुर जिला अदालत ने दो आरोपियों को समन जारी किया है।

जबलपुर, 13 जून (आईएएनएस)। जबलपुर की एक निजी कंपनी पर अंतर्राष्ट्रीय धोखाधड़ी के गंभीर आरोप लगे हैं। कनाडा की एक कंपनी के साथ हजारों डॉलर की ठगी, फर्जी दस्तावेज और गलत इनवॉइसिंग जैसे आरोपों के चलते जबलपुर जिला अदालत ने दो आरोपियों को समन जारी किया है।

मामला एक हाई-प्रोफाइल कॉर्पोरेट फ्रॉड से जुड़ा हुआ है, जिसमें भारत की एमजी वेल्स सॉल्यूशन नामक कंपनी और कनाडा की क्रिस्टल माइंड कंपनी के बीच 90 हजार अमेरिकी डॉलर का व्यापारिक करार हुआ था।

मामले की सुनवाई जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवरथ सिंह की अदालत में हुई, जिसमें कोर्ट ने एमजी वेल्स सॉल्यूशन के डायरेक्टर रविंद्र सिंह बावा और सेल्स मैनेजर ई.डी. मूर्ति के खिलाफ समन जारी करते हुए 30 जुलाई 2025 की अगली पेशी तय की है।

प्रकरण में परिवादी मुराद मानसी फाहिम ने कोर्ट में बताया कि वह क्रिस्टल माइंड नामक कनाडाई कंपनी के प्रोपराइटर हैं। उन्होंने जबलपुर की एमजी वेल्स सॉल्यूशन कंपनी से ऑयल फील्ड में इस्तेमाल होने वाले स्पेयर पार्ट्स खरीदने का समझौता किया था, जिसकी कुल कीमत 90 हजार अमेरिकी डॉलर थी। इसके तहत पहले चरण में 45 हजार डॉलर का भुगतान किया गया, लेकिन न तो माल की आपूर्ति हुई और न ही पैसे लौटाए गए। इसके अलावा, एमजी वेल्स कंपनी ने जिंदल ड्रिलिंग को इंजीनियरिंग सेवाएं देने का झांसा देते हुए परिवादी से 18,500 डॉलर और लिए, लेकिन न सेवा मिली और न ही राशि वापस की गई।

मामले में सबसे गंभीर आरोप ई.डी. मूर्ति पर हैं, जिन पर 17 अप्रैल 2015 को क्रिस्टल माइंड कंपनी की मुहर और नाम का दुरुपयोग कर फर्जी इनवॉइस तैयार कर उसे जिंदल ड्रिलिंग को भेजने का आरोप है। यह इनवॉइस ई.डी. मूर्ति के हस्ताक्षर से जारी हुआ था, जबकि वह ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं थे।

अदालत ने प्रारंभिक सुनवाई में माना कि आरोपियों ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 418 और 409 के तहत अपराध किया है। विशेष रूप से ई.डी. मूर्ति पर दस्तावेजों की कूटरचना हेतु आईपीसी की धाराएं 467, 468, 469, 472 और 475 भी प्रथम दृष्टया लागू होती हैं।

चूंकि यह परिवाद 17 मई 2022 को दायर किया गया था और यह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू होने से पूर्व का मामला है, इसलिए कोर्ट ने इसे पुरानी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के अंतर्गत ही आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में आरोपियों को समन से पहले सुनवाई का अवसर देना आवश्यक नहीं है।

अदालत ने माना कि दोनों आरोपी जबलपुर के रहने वाले हैं और उनके फरार होने की कोई संभावना नहीं है, अतः उन्हें समन के जरिए अदालत में बुलाया जाना पर्याप्त है। यदि समन की तामील हो जाती है, तो दोनों आरोपियों को आगामी 30 जुलाई 2025 को कोर्ट में अनिवार्य रूप से उपस्थित होना होगा।

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Created On :   13 Jun 2025 9:35 PM IST

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