स्वास्थ्य/चिकित्सा: हाइपरटेंशन 30 की उम्र के बाद इन लक्ष्णों को न करें नजरअंदाज, जीवनशैली में छुपा है फिट रहने का राज

मुंबई, 8 जुलाई (आईएएनएस)। हाइपरटेंशन आज के समय में सबसे तेजी से बढ़ने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। इस बीमारी का समय रहते इलाज कराने के लिए सबसे पहले जरूरी है इसके लक्षणों को पहचानना।
हाइपरटेंशन, जिसे उच्च रक्तचाप के नाम से भी जाना जाता है, एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें धमनियों में रक्त का दबाव लगातार उच्च रहता है। यह एक ऐसी स्थिति है जो अक्सर बिना किसी स्पष्ट लक्षण के भी विकसित हो सकती है। यही कारण है कि इसे "साइलेंट किलर" भी कहा जाता है।
सेंटर काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस के अनुसार, ब्लड प्रेशर को हाई तब कहा जाता है जब: सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 140 एमएम एचजी या उससे ज़्यादा हो, या डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 90 एमएम एचजी या उससे ज़्यादा हो। यदि उच्च रक्तचाप का उचित इलाज नहीं किया जाए, तो यह हृदय रोग, स्ट्रोक, किडनी डैमेज और अन्य गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं।
नेशनल हेल्थ मिशन ने भी हाई बीपी के बारे में जागरूकता फैलाई है। इसकी जानकारी अनुसार, अगर आपको तेज सिरदर्द, तनाव या घबराहट, छाती में दर्द, नाक से खून आना, चक्कर आना, असामान्य हार्ट रिदम (दिल की अनियमित धड़कनें), या सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। जब ऐसे लक्षण दिखते हैं, तो इसका मतलब रक्तचाप का बढ़ना हो सकता है और यह आपके अंगों पर बुरा असर डाल रहा है। खासकर 30 साल की उम्र के बाद नियमित तौर पर उच्च रक्तचाप के लिए अपनी जांच कराते रहना चाहिए।
असल में जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी धमनियां भी स्वाभाविक रूप से थोड़ी कम लचीली हो जाती हैं और रक्तचाप बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। सेंटर काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस के अनुसार हाइपरटेंशन का एक बड़ा कारण लाइफस्टाइल से जुड़ा है। जैसे कि अधिक तनाव लेना, शराब, तंबाकू, चाय, कॉफी का अत्यधिक सेवन करना, रात में जागने की आदत और दिन में सोना आदि ऐसी चीजें हैं जो हमारी गलत जीवनशैली से जुड़ी हैं और उच्च रक्तचाप को बढ़ावा देती हैं। इसके अलावा गलत खानपान, अधिक कोलेस्ट्रॉल डाइट, मोटापा, कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट्स और परिवार में उच्च रक्तचाप का इतिहास रहना भी हाइपरटेंशन के होने का बड़ा कारण है।
आयुष मंत्रालय के अंतर्गत, सेंटर काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंस के अनुसार ब्लड प्रेशर को हाई तब कहा जाता है जब: सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 140 एमएम एचजी या उससे ज़्यादा हो, या डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर 90 एमएम एचजी या उससे ज़्यादा हो।
अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर से बचना है तो अपने खानपान में सुधार करें- कम सोडियम वाली डाइट लें, कम वसा युक्त भोजन करें, फल और सब्जियां नियमित तौर पर खाएं। नारियल का सेवन अच्छा है और छाछ भी पीएं।
साथ ही अपनी जीवनशैली में सुधार करें- मेडिटेशन करें, प्राणायाम, योगासन, शवासन, हल्की एक्सरसाइज, सकारात्मक रहें, अगर मोटापा है तो वजन कम करें।
साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि क्या न करें- मल-मूत्र त्यागने को जबरदस्ती न रोकें, तनाव से दूर रहें।
खानपान में जंक फूड से बचें, खासकर ज्यादा नमकीन स्नैक्स से। प्रोसेस्ड फूड से बचें, तला-भुना भोजन न करें।
हाई ब्लड प्रेशर को कुछ आयुर्वेदिक हर्ब्स के जरिए भी मैनेज किया जाता है- जैसे सर्पगंधा, शंखपुष्पी, ब्राह्मी, जटामांसी आदि।
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Created On :   8 July 2025 1:21 PM IST