बयान: शीर्ष नेतृत्व पर कपिल सिब्बल के सवाल पर अब खुर्शीद ने साधा निशाना, बहादुरशाह जफर की लाइनों से कसा तंज

Doubting Thomases: Salman Khurshid After Kapil Sibals Congress Critique
बयान: शीर्ष नेतृत्व पर कपिल सिब्बल के सवाल पर अब खुर्शीद ने साधा निशाना, बहादुरशाह जफर की लाइनों से कसा तंज
बयान: शीर्ष नेतृत्व पर कपिल सिब्बल के सवाल पर अब खुर्शीद ने साधा निशाना, बहादुरशाह जफर की लाइनों से कसा तंज

डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार विधानसभा चुनावों में मिली शर्मनाक हार के बाद के बाद कांग्रेस में गुटबाजी साफ नजर आने लगी है। शीर्ष नेतृत्व पर कपिल सिब्बल के सवाल उठाने के बाद पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सिब्बल की आलोचना की और अब सलमान खुर्शीद ने लंबा-चौड़ा फेसबुक पोस्ट लिखकर उन्हें "डाउटिंग थॉमस" करार दिया है। बता दें कि डाउटिंग थॉमस उस शख्स को कहते हैं जो किसी भी चीज पर यकीन करने से इनकार करता है जब तक कि वह खुद न अनुभव करे या सबूत न हो। बहादुरशाह जफर की लाइनों से भी खुर्शीद ने तंज कसा है।

सलमान खुर्शीद ने अपने फेसबुक पोस्ट की शुरुआत आखिरी मुगल शासक बहादुर शाह जफर की लाइनों के साथ की है। खुर्शीद ने लिखा है, "न थी हाल की जब हमें खबर रहे देखते औरों के ऐबो हुनर, पड़ी अपनी बुराइयों पर जो नजर तो निगाह में कोई बुरा न रहा." एक तरह से देखें तो बहादुर शाह जफर की इन लाइनों के जरिए खुर्शीद कांग्रेस नेतृत्व की आलोचना करने वाले नेताओं को अपने गिरेबान में झांकने की सलाह दे रहे हैं। 

पोस्ट में सलमान खुर्शीद ने आगे लिखा कि बहादुर शाह जफर और ऊपर दिए गए उनके शब्द हमारी पार्टी के कई सहयोगियों के लिए एक उपयोगी साथी हो सकते हैं, जो समय-समय पर चिंता का दर्द झेलते हैं। जब हम कुछ बेहतर करते हैं, तो निश्चित रूप से कुछ हद तक वे इसे आसानी से कबूल कर लेते हैं, लेकिन जब हम कमजोर होते हैं, तो वे अपने नाखूनों से कचोटने की जल्दी में होते हैं। ऐसा लगता है कि अब तो भविष्य की निराशा के लिए उनके बहुत कम ही नाखून बचे होंगे।

खुर्शीद ने इस बात पर जोर दिया, "यदि मतदाता उन उदारवादी मूल्‍यों को अहमियत नहीं दे रहे जिनका हम संरक्षण कर रहे हैं तो हमें सत्‍ता में आने के लिए शॉर्टकट तलाश करने के बजाय लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए।" उन्होंने लिखा, "सत्‍ता से बाहर हो जाना सार्वजनिक जीवन में आसानी से स्‍वीकार नहीं किया जा सकता लेकिन यदि यह मूल्‍यों की राजनीति का परिणाम है तो इसे सम्‍मान के साथ स्‍वीकार किया जाना चाहिए। यदि हम सत्‍ता हासिल करने के लिए अपने सिद्धांतों के साथ समझौता करते हैं तो इससे अच्‍छा है कि हम ये सब छोड़ दें।"

Created On :   17 Nov 2020 9:13 PM IST

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