Explainer: ममता बनर्जी इस बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ना क्यों चाहती हैं, क्या इस मास्टर स्ट्रोक से लगेगा बीजेपी को झटका?

Mamata Banerjee wants to contest assembly elections from Nandigram
Explainer: ममता बनर्जी इस बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ना क्यों चाहती हैं, क्या इस मास्टर स्ट्रोक से लगेगा बीजेपी को झटका?
Explainer: ममता बनर्जी इस बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ना क्यों चाहती हैं, क्या इस मास्टर स्ट्रोक से लगेगा बीजेपी को झटका?

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को घोषणा की कि वह पूर्वी मिदनापुर जिले के नंदीग्राम से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। बनर्जी की घोषणा ने बंगाल की राजनीति को तूफान ला दिया है। उनके इस कदम को राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक बताया जा रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आगमी चुनावों में ममता बनर्जी का नंदीग्राम से चुनाव लड़ना इतना महत्वपूर्ण क्यों है? आइए जानते हैं:

एंटी लैंड एक्वीजीशन मूवमेंट के दो केंद्रों में से था नंदीग्राम
नंदीग्राम, पश्चिम बंगाल में TMC के एंटी लैंड एक्वीजीशन मूवमेंट के दो केंद्रों में से एक था। इन आंदोलनों ने ममता बनर्जी को राज्य में 2011 के विधानसभा चुनावों में पार्टी को जीताने में मदद की थी। टीएमसी ने लेफ्ट फ्रंट गवर्नमेंट के 34 साल के शासन को खत्म किया था। दरअसल, 2007 में, नंदीग्राम में लेफ्ट फ्रंट की तत्कालीन सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 14 ग्रामीणों की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई थी। ये ग्रामीण नंदीग्राम में सरकार के प्रस्तावित भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे। इंडोनेशिया के सलीम ग्रुप को सरकार इस भूमि को देना चाहती थी।

नंदीग्राम हिंसा ने टीएमसी के मा, माटी, मानुष नारे को जन्म दिया जो चुनाव अभियानों में इस्तेमाल किया गया था। यही वह जगह थी जिसने ममता बनर्जी को किसान समर्थक राजनीतिक शख्सियत में बदल दिया। टीएमसी ने जब 2011 में चुनाव जीता था तब ममता बनर्जी ने किसी भी सीट से चुनाव नहीं लड़ा था। राज्य की मुख्यमंत्री बनने के बाद, उन्होंने साउथ कोलकाता में बाभनीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा - जहां वह रहती हैं। विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने 50,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की। 2016 के विधानसभा चुनावों में, बनर्जी ने 25,000 से अधिक मतों के अंतर से सीट बरकरार रखी।

ममता बनर्जी नंदीग्राम से चुनाव लड़ना क्यों चाहती हैं?
ममता बनर्जी के नंदीग्राम से चुनाव लड़ने के कई कारण हैं। सबसे पहले, वह अपनी किसानी समर्थक नेता की छवि को दोबारा मजबूत करना चाहती है, जिसने उन्हें 2011 में सत्ता तक पहुंचाया था। ममता बनर्जी आज जो कुछ भी है वो नंदीग्राम की वजह से ही है। इस क्षेत्र के लोगों के साथ उनके मजबूत संबंधों से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे समय में जब किसान राष्ट्रीय राजधानी में तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं, तो ममता बनर्जी की किसानों के अधिकारों की सुरक्षा करने की छवि उन्हें चुनाव में बढ़त दिला सकती है। ममता बनर्जी को किसानों के अधिकारों की बात करने के लिए नंदीग्राम से बेहतर प्लेटफॉर्म नहीं मिल सकता।

दूसरी बात यह है कि नंदीग्राम के टीएमसी विधायक सुवेन्दु अधिकारी बीजेपी में शामिल हो गए हैं। ममता बनर्जी सुवेन्दु को सीधी टक्कर देकर ये बताना चाहती हैं कि पार्टी किसी भी चुनौती को स्वीकार करने से नहीं डरती। ममता बनर्जी इस कदम के जरिए ये भी बताना चाहती है कि अधिकारी परिवार के समर्थन के बिना भी पूर्वी मिदनापुर जिले में टीएमसी का वर्चस्व है। बता दें कि पूर्वी मिदनापुर और इसके आस-पास के जिलों में सुवेंदु अधिकारी, उनके भाई दिब्येंदु अधिकारी और पिता सिसिर अधिकारी का मतदाताओं पर बहुत प्रभाव है। 

तीसरी बात, बनर्जी ने अपनी घोषणा से एक फाइटर के रूप में भी अपनी छवि का परिचय दिया। ममता बनर्जी ने अपने इस कदम से बंगाल में भाजपा को अपनी पूरी चुनावी रणनीति पर फिर से विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। यह उस पार्टी के लिए एक मेजर बूस्ट है जो लगातार तीसरी बार राज्य में सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। ऐसे में भाजपा के लिए ममता बनर्जी को नंदीग्राम में हराना एक बड़ी चुनौती होगा क्योंकि वह 1989 के लोकसभा चुनावों के बाद से बंगाल में कोई चुनाव नहीं हारी हैं।

Created On :   19 Jan 2021 12:51 PM GMT

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