CWC की बैठक: सोनिया गांधी ही रहेंगी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष, मीटिंग में चिट्ठी को लेकर क्यों हुआ बवाल?

Sonia Gandhi to continue as Congress interim president until next AICC session
CWC की बैठक: सोनिया गांधी ही रहेंगी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष, मीटिंग में चिट्ठी को लेकर क्यों हुआ बवाल?
CWC की बैठक: सोनिया गांधी ही रहेंगी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष, मीटिंग में चिट्ठी को लेकर क्यों हुआ बवाल?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की सोमवार को हुई अहम बैठक में तय किया गया है कि सोनिया गांधी फिलहाल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। अगले 4-5 महीनों में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो सकते हैं। इससे पहले सोनिया गांधी ने अपना पद छोड़ने की पेशकश करते हुए कहा था, अब वो आगे पार्टी की अध्यक्ष नहीं बने रहना चाहती हैं। सोनिया की इस पेशकश पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने उन्हें पद पर बने रहने की सलाह दी थी।

क्या कहा सोनिया गांधी ने?
सोनिया ने 7 घंटे तक चली बैठक के आखिर में कहा कि हम एक बड़ा परिवार हैं। हममें भी कई मौकों पर मतभेद होते हैं, लेकिन अंत में हम सब एक साथ होते हैं। अभी वक्त की मांग है कि जनता की खातिर ऐसी ताकतों से लड़ें, जो इस देश को कमजोर कर रहे हैं। आगे बढ़ते हैं। जिन लोगों ने चिट्ठी लिखी, उनके लिए मेरे मन में कोई दुर्भावना नहीं है, क्योंकि वह भी मेरा परिवार ही हैं।

क्या कहा रणदीप सुरजेवाला ने?
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "CWC एकमत से सोनिया गांधी से निवेदन किया कि कोरोना काल में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अगले अधिवेशन के बुलाए जाने तक वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा के गरिमामय पद पर नेतृत्व करें।" सुरेजवाला ने बताया कि कांग्रेस अध्यक्षा के संगठन महासचिव को लिखे पत्र और कुछ कांग्रेस नेताओं के सोनिया गांधी को लिके पत्र का संज्ञान लिया। कांग्रेस कार्यसमिति ने इन पत्रों पर गहन विचार-विमर्श के बाद 5 प्रस्ताव पास किए।

 

 

बैठक में चिट्ठी को लेकर बवाल
करीब 15 दिन पहले पार्टी के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर कहा था कि भाजपा लगातार आगे बढ़ रही है। पिछले चुनावों में युवाओं ने डटकर नरेंद्र मोदी को वोट दिए। कांग्रेस में लीडरशिप फुल टाइम होनी चाहिए और उसका असर भी दिखना चाहिए। बैठक के दौरान पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोनिया को भेजी गई नेताओं की चिट्ठी की टाइमिंग पर सवाल उठाए। राहुल ने कहा कि पार्टी नेताओं ने यह सब भाजपा की मिलीभगत से किया। राहुल के इस बयान का बैठक में गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल जैसे नेताओं ने विरोध शुरू कर दिया। हालांकि बाद में सिब्बल ने अपना ट्वीट और गुलाम नबी आजाद ने अपना बयान वापस ले लिया। 

कांग्रेस नेताओं ने सफाई में क्या कहा?
कपिल सिब्बल ने एक और ट्वीट कर बताया कि राहुल गांधी ने उन्हें खुद फोन कर पूरे मामले की जानकारी दी और बताया कि उन्होंने इस तरह का बयान नहीं दिया। गुलाब नबी आजाद ने भी कहा कि राहुल गांधी ने ऐसा कभी नहीं कहा। ना ही सीडब्ल्यूसी में और ना ही इसके बाहर। उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी दोपहर 1:30 बजे सफाई देते हुए कहा कि राहुल ने "भाजपा के साथ मिलीभगत" जैसा या इससे मिलता-जुलता एक शब्‍द भी नहीं बोला था। कृपया मीडिया में चल रही झूठी चर्चाओं और गलत जानकारी के कारण गुमराह न हों। उन्होंने कहा, हम सभी को एक साथ मिलकर मोदी सरकार से लड़ने की जरूरत है, न कि आपस में एक-दूसरे और कांग्रेस से लड़ना है।

क्या कहा था कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद ने?
बता दें कि नाराज कपिल सिब्बल ने राहुल के बयान को लेकर ट्वीट कर कहा था "हमने राजस्थान हाईकोर्ट में कांग्रेस पार्टी का केस कामयाबी के साथ लड़ा। बीते 30 साल में कभी भी, किसी भी मुद्दे पर भाजपा के पक्ष में बयान नहीं दिया। फिर भी हम भाजपा के साथ मिलीभगत में हैं?" कुछ देर बात सिब्बल ने ट्विटर से अपना परिचय बदल दिया और कांग्रेस शब्द को हटा दिया था। वहीं गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि अगर भाजपा से मिलीभगत होने के राहुल गांधी के आरोप साबित हुए तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।

Created On :   24 Aug 2020 4:00 PM GMT

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