UP politics: सपा चीफ ने चार साल पहले बनाए दलित संगठन को किया एक्टीव, बसपा को लग सकता है बड़ा झटका

सपा चीफ ने चार साल पहले बनाए दलित संगठन को किया एक्टीव, बसपा को लग सकता है बड़ा झटका
सपा सुप्रीमों अखिलेश यादव ने कहा दलित वोट बैंक को अपने पाले में करना होगा। क्यों कि दलित हमेशा से किंगमेकर की भूमिका में रहा है। इसलिए हर चुनाव में सपा इस वर्ग को अपनी ओर करने की कोशिश में लगी है।

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव साल 2027 में होने वाले हैं। इसे लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने अभी से कमर कस ली है। उन्होंने करीब चार साल पहले बनाए गए बाबा साहेब अम्बेडकर वाहिनी संगठन को सक्रिय करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इसके एक्टीव होने से बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) को झटका लग सकता है। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य दलित वोट बैंक को साधने के लिए है। जिसका चीफ मिठाई लाल भारतीय है।

मिठाई लाल भारती ने इसे लेकर कहा कि हम गांव-गांव जाकर लोगों से मिल रहे हैं। और उन्हें अपने अधिकार के बारे में बता रहे हैं साथ ही साथ उन्हें वोट चोरी के बारे में भी बता रहे हैं। इस बार बूथ पर जमे रहना है। ताकि दलितों की आवाज दब न सके। भारती गाजीपुर और चौंदली जिलों में अपना अभियान चला रहे हैं। कई रातों तक वे जाग कर यह अभियान पूरा करने में लगे हैं। उदारहण देते हुए उन्होंने कहा हम दलितों के घर जा रहे हैं। संविधान और आरक्षण की रक्षा के लिए वोट चोरी रोकेंगे। लोगों को इसके बारे में जागरूक भी करेंगे।

सपा का पीडीए फॉर्मूला

समाजवादी पार्टी इस अभियान से सीधे तौर पर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है। वहीं इस पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि सत्ता पक्ष चुनावी तंत्र का दुरुपयोग कर रहा है। और दलितों की राजनीतिक ताकत को कमजोर कर रहा है। वहीं बसपा की घटती साख ने सपा को बड़ा मौका दे दिया है। इसलिए सपा पीडीए ( पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक ) के समीकरण को साध रही है। और अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए वोट चोरी को चुनावी हथियार बना रही है। राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि यह रणनीति भाजपा और बसपा दोनों के लिए मुश्किल हो सकती है।

2027 चुनाव पर राजनीतिक विश्लेषक की राय

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि संविधान बचाओं और आरक्षण बचाओं के बाद वोट बचाओ दलितों के बीच सबसे बड़ा नारा बन रहा है। सपा इस मुद्दे को हवा देकर दलित को अपनी ओर करने की कोशिश करने का काम कर रही है। मायावती की इस कमजोरी को सपा ने दोनों हाथों से लपका है।

बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने वोट चोरी पर विपक्ष को घेरा था। राहुल गांधी ने इस मुद्दे को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। अखिलेश यादव भी इसी एजेंडे को लेकर यूपी में उतर रहे हैं।

सपा ने अपना पूरा फोकस दलितों को एकजुट करने में लगी है। यह बूथ स्तर की तैयारी करने में लगी है। जिससे भाजपा को एक बड़ा झटका लग सकता है। यह साफ देखा जा सकता है कि इस समय वोट चोरी एक नारा बन चुका है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नारा चुनाव में कितना असर दिखाएगा। यह फैसला तो आगामी चुनाव ही करेगा।

Created On :   1 Oct 2025 12:09 AM IST

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