कोहली के प्रोटोकॉल तोड़ने को सीओए ने बताया अभिव्यक्ति की आजादी

COA told to break the protocol of Kohlis freedom of expression
कोहली के प्रोटोकॉल तोड़ने को सीओए ने बताया अभिव्यक्ति की आजादी
कोहली के प्रोटोकॉल तोड़ने को सीओए ने बताया अभिव्यक्ति की आजादी
हाईलाइट
  • दूसरी तरफ
  • वेस्टइंडीज दौरे पर रवाना होने से पहले कप्तान विराट कोहली ने कोच पद के लिए अपनी पसंद को खुलेआम जाहिर कर दिया था और रवि शास्त्री का समर्थन किया था
  • भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच को लेकर जब आवेदन मांगे गए थे तब प्रशासकों की समिति (सीओए) के अध्यक्ष विनोद राय ने साफ कहा था कि इस प्रक्रिया में कप्तान की भूमिका नहीं होगी

नई दिल्ली, 1 अगस्त (आईएएनएस)। भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच को लेकर जब आवेदन मांगे गए थे तब प्रशासकों की समिति (सीओए) के अध्यक्ष विनोद राय ने साफ कहा था कि इस प्रक्रिया में कप्तान की भूमिका नहीं होगी। दूसरी तरफ, वेस्टइंडीज दौरे पर रवाना होने से पहले कप्तान विराट कोहली ने कोच पद के लिए अपनी पसंद को खुलेआम जाहिर कर दिया था और रवि शास्त्री का समर्थन किया था।

कोहली के अपनी पसंद के साफ इजहार के बाद सीओए ने कहा है कि कप्तान एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं ऐसे में उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार है। सीओए के एक सदस्य ने आईएएनएस से कहा कि कोहली लोकतांत्रिक देश में रहते हैं और उन्हें बोलने से नहीं रोका जा सकता। जब उनसे पूछा गया कि क्या कप्तान का रवि शास्त्री के साथ अपने संबंधों के बारे में बात करना तीन सदस्यीय क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के लिए एक तरह का इशारा है? इस पर सीओए सदस्य ने कहा कि ऐसा नहीं है।

सदस्य ने कहा, यह उनका विचार है और उन्होंने इसे जाहिर किया है। यह लोकतांत्रिक देश है इसलिए हम किसी को कुछ भी कहने से नहीं रोक सकते। क्यों हर व्यक्ति का हर शब्द मायने रखता है? वह टीम के कप्तान हो सकते हैं, लेकिन सीएसी भी है और कोच की नियुक्ति को लेकर फैसला उसे लेना है।

सदस्य ने कहा, करोड़ों लोग इस देश में रह रहे हैं और आप हर किसी को उसकी बात रखने से नहीं रोक सकते। यह देखना होगा कि सीएसी कोहली के बयान को किस तरह से लेती है। हर किसी का चीजें करने का अपना एक तरीका होता है।

दिलचस्प बात यह है कि तब दूसरे खिलाड़ियों की बात आती है तो उन्हें मीडिया से बात करने के इजाजत नहीं दी जाती। यही बात बीसीसीआई के अधिकारियों पर लागू होती है जिन्हें जवाब देने के लिए मंजूरी लेने की जरूरत होती है।

इससे फिर एक बार सवाल पैदा होता है कि क्या अलग लोगों के लिए अलग नियम हैं। भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर ने हाल में कहा था कि किस तरह राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को अपने कदम कई बार पीछे लेने पड़ते हैं।

गावस्कर ने कहा था, चयनकर्ताओं ने वेस्टइंडीज के लिए टीम चुन ली बिना इस बात पर चर्चा करे कि कप्तान के बार में चर्चा किए। इससे एक सवाल पैदा होता है कि क्या कोहली अपनी मर्जी से कप्तान हैं या चयनकर्ताओं की मर्जी से। दोबारा कप्तान नियुक्त किए जाने तक वह टीम चयन की बैठक में भी बुलाए जाते हैं।

पूर्व कप्तान ने कहा था, केदार जाधव और दिनेश कार्तिक को खराब प्रदर्शन करने के कारण टीम से बाहर कर दिया जाता है और इससे एक संदेश दिया जाता है लेकिन कप्तान उम्मीदें के मुताबिक प्रदर्शन न करने के बाद भी अपने पद पर हैं।

इससे पहले भारत के पूर्व कप्तान सौरभ गांगुली ने भी टीम चयन पर सवाल उठाए थे और कहा था कि अब समय आ गया है जब चयनकर्ताओं को सभी प्रारूप के लिए एक जैसी टीम चुननी चाहिए।

 

Created On :   1 Aug 2019 12:30 PM GMT

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