बचपन में पृथ्वी शॉ ने खो दिया था मां का साथ, जानिए बचपन से लेकर चैंपियन बनने तक का सफर

- राजकोट में चल रहे पहले टेस्ट मैच में पृथ्वी शॉ ने 134 रनों की शानदार पारी खेली।
- शॉ के इस प्रतिभा के पीछे एक बेहद ही संघर्षपूर्ण जिंदगी छिपी हुई है।
- शॉ वर्ल्ड क्रिकेट में सबसे कम उम्र में शतक लगाने वाले चौथे बल्लेबाज बने।
डिजिटल डेस्क, राजकोट। राजकोट में चल रहे पहले टेस्ट मैच में पृथ्वी शॉ ने 134 रनों की शानदार पारी खेली। वह वर्ल्ड क्रिकेट में सबसे कम उम्र में शतक लगाने वाले चौथे बल्लेबाज बने। उन्होंने इस पारी से यह साबित कर दिया कि वह गजब की प्रतिभा के धनी हैं। हालांकि इस प्रतिभा के पीछे एक बेहद ही संघर्षपूर्ण जिंदगी छिपी हुई है। पृथ्वी जब चार साल के थे तो उनकी मां का निधन हो गया था, लेकिन मां का प्यार और आशीर्वाद आज भी उनके साथ है। बचपन से ही पृथ्वी के पिता पंकज ने उन्हें मां और पिता दोनों का प्यार दिया और बड़ा किया। पृथ्वी इस बात का कई बार इजहार भी कर चुके हैं। आइए जानते हैं कि पृथ्वी के बचपन से लेकर चैंपियन बनने तक का सफर।
पृथ्वी शॉ का परिवार मुख्य रूप से बिहार का रहने वाला है। हालांकि पृथ्वी के पिता पंकज काफी समय पहले ही महाराष्ट्र में जाकर बस गए थे। जब पृथ्वी तीन साल के थे तो पंकज ने उन्हें क्रिकेट के बारे में बताया और पृथ्वी के दिमाग में क्रिकेट के प्रति रुचि जगाई। पंकज ने उस वक्त पृथ्वी को विरार की क्रिकेट एकेडमी में भेजना शुरू किया। हालांकि इसके बाद जो हुआ वह पृथ्वी और उनके परिवार के लिए काफी भयावह था।
पृथ्वी शॉ जब चार साल के थे तब उनकी मां का निधन हो गया था। उस वक्त पृथ्वी के पिता पंकज कपड़ों का बिजनेस करते थे। इस हादसे के बाद पंकज ने पृथ्वी के पालन पोषण की जिम्मेदारी उठा ली। पंकज ने सबसे पहले तो अपना कपड़ों के बिजनेस को बंद कर दिया। वह कपड़े पहनाने से लेकर खिलाने-पिलाने तक का सभी काम देखते थे। इतना ही नहीं वह पृथ्वी को प्रैक्टिस के लिए मैदान भी छोड़ने जाते थे। इसके बाद पंकज ने पृथ्वी को बांद्रा के क्रिकेट एकेडमी भेजना शुरू किया। पृथ्वी रोजाना सुबह चार बजे अपने क्रिकेट किट के साथ विरार से बांद्रा प्रैक्टिस के लिए जाते थे। लोकल ट्रेन में काफी भीड़ होने की वजह से उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती थी। पंकज ने अपने पिता होने की जिम्मेदारी बखूबी निभाई। उन्होंने बेटे को कभी भी मां की कमी नहीं खलने दी।
पंकज घर में पृथ्वी की देखरेख के साथ-साथ उनके क्रिकेट प्रैक्टिस में भी मदद करते थे। पृथ्वी बचपन में पंकज और अपने कुछ दोस्तों के साथ बीच पर क्रिकेट खेलने जाया करते थे। जब पृथ्वी 11 साल के थे तो उन्हें एक कंपनी की तरफ से स्पॉन्सरशिप का ऑफर मिला। इसके बाद पृथ्वी और उनके पिता विरार से मुंबई आ गए। पृथ्वी सबसे पहले हाईलाइट तब हुए थे जब उन्होंने हैरिस शील्ड ट्रॉफी में अपने स्कूल रिजवी स्प्रिंगफील्ड के लिए खेलते हुए शानदार 546 रन ठोके थे। इसके बाद क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने भी पृथ्वी की जमकर तारीफ की थी। इसके बाद से पृथ्वी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट में डेब्यू करने से पहले पृथ्वी ने 14 फर्स्ट क्लास मैच खेले हैं। उन्होंने इन 14 फर्स्ट क्लास मैचों की 26 पारियों में 56.72 औसत से सात शतक लगाए हैं। वहीं पृथ्वी ने अपने पहले इंटरनेशनल मैच की पहली पारी में शतक लगाकर कई सारे विश्व रिकॉर्ड तोड़े और अपने नाम किए। वो कहते हैं न मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से ही उड़ान होती है
पृथ्वी आज जो भी हैं उसका पूरा श्रेय उनके पिता को जाता है। खुद पृथ्वी भी अपने पिता को अपना रोलमॉडल मानते हैं और इस बात का कई बार वह इजहार भी कर चुके हैं। पृथ्वी इस साल जून में फादर्स डे पर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर लगाई थी। इस तस्वीर में उन्होंने अपने लाइफ में पिता के महत्व को बताया था। पृथ्वी ने लिखा, "मेरे पिता ने जो सबसे बड़ा गिफ्ट मुझे दिया है वह है मुझपर भरोसे का।
रिकॉर्ड जो पृथ्वी ने तोड़े और बनाए-
पृथ्वी शॉ 18 साल और 329 दिन की उम्र में पहले ही टेस्ट मैच में शतक मारने वाले चौथे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी हैं। इससे पहले बांग्लादेश के मोहम्मद अशरफुल और जिमबाब्वे के हैमिल्टन मसाकाद्जा ने 18 साल की उम्र में यह कारनामा किया था। वहीं तीसरे स्थान पर सलीम मलिक मौजूद हैं। पृथ्वी अपने डेब्यू टेस्ट मैच में शतक लगाने वाले 15वें भारतीय खिलाड़ी है
पृथ्वी ने शतक बनाने के लिए 99 गेंद लिए, जो डेब्यू मैच में किसी भी बल्लेबाज द्वारा मारा गया तीसरा सबसे तेज शतक है। पहले स्थान पर भारत के ही शिखर धवन मौजूद हैं, जिन्होंने 2012-13 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 85 गेंद में शतक बनाया था। वहीं वेस्टइंडीज के ड्वेन स्मिथ 93 गेंदों के साथ दूसरे नम्बर पर हैं।
पृथ्वी टेस्ट शतक बनाने वाले भारत के दूसरे और विश्व के सातवें सबसे युवा खिलाड़ी हैं। भारत में यह रिकॉर्ड मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के नाम है।
पृथ्वी तीसरे ऐसे खिलाड़ी हैं जिसने अपने पहले फर्स्ट क्लास मैच के साथ-साथ अपने डेब्यू टेस्ट में भी शतक लगाया है। पृथ्वी से पहले भारत के गुंडप्पा विश्वनाथ और ऑस्ट्रेलिया के डिर्क वेलहम ने यह उपलब्धि हासिल की थी।
पृथ्वी अपने पहले ही मैच में 50 या इससे अधिक स्कोर करने वाले सबसे युवा भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं।इससे पहले यह रिकॉर्ड भारत के अब्बास अली बेग (20 साल 126 दिन) के नाम था, जिन्होंने 1959 में इंग्लैंड के खिलाफ ओल्ड ट्रैफोर्ड में 112 रन बनाए थे।
पृथ्वी अपने पहले ही मैच में 50 या इससे अधिक स्कोर करने वाले विश्व के तीसरे सबसे युवा बल्लेबाज हैं। यह रिकॉर्ड पाकिस्तान के हनीफ मोहम्मद और मुश्ताक मोहम्मद के नाम है। इन दोनों बल्लेबाजों ने 17 साल पहले यह रिकॉर्ड बनाया था। पृथ्वी से पहले यह रिकॉर्ड भारत के मौजूदा कोच रवि शास्त्री (19 साल और 210 दिन) के नाम था। शास्त्री ने 1981-82 में इंग्लैंड के खिलाफ बनाया था।
पृथ्वी भारत के 13वें सबसे युवा टेस्ट डेब्यूटेंट हैं। पृथ्वी से पहले 2007 में ही किसी सबसे युवा खिलाड़ी ने भारत के लिए डेब्यू किया था। 11 साल पहले ईशांत शर्मा ने 18 साल और 265 दिन की उम्र में बांग्लादेश के खिलाफ डेब्यू किया था।
पृथ्वी भारत के पहले और विश्व के चौथे सबसे युवा बल्लेबाज हैं जिसने अपने डेब्यू मैच में मैच की पहली गेंद का सामना किया हो। इससे पहले हैमिल्टन मसाकाद्जा, तमीम इकबाल और इमरान फरहत ने यह कारनामा किया था। वहीं पृथ्वी से पहले यह रिकॉर्ड भारत के बुद्ध कुंदन के नाम था। कुंदन ने 1959-60 में 20 साल और 113 दिन की उम्र में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ यह रिकॉर्ड बनाया था।
पृथ्वी (134 रन) चौथे ऐसे बल्लेबाज हैं, जिन्होंने अपने डेब्यू मैच में सबसे ज्यादा व्यक्तिगत स्कोर किया हो। यह रिकॉर्ड बाएं हाथ के सलामी बल्लेबाज शिखर धवन (187) के नाम है। धवन के बाद रोहित शर्मा (177 रन) और विश्वनाथ (137 रन) का नाम आता है। वहीं 18 वर्ष या इससे कम उम्र के किसी भी बल्लेबाज के लिए पृथ्वी की पारी तीसरी सबसे ज्यादा है।
Created On :   4 Oct 2018 8:51 PM IST