मध्य प्रदेश: आदिवासी बाहुल्य ग्राम में स्थित विद्यालय में नहीं हैं व्यवस्थाएं, बाहर बैठकर पढने के लिए मजबूर छात्र-छात्राएं

आदिवासी बाहुल्य ग्राम में स्थित विद्यालय में नहीं हैं व्यवस्थाएं, बाहर बैठकर पढने के लिए मजबूर छात्र-छात्राएं
  • विद्यालय से बाहर बैठकर पढ़ रहे बच्चें
  • विद्यालय में व्यवस्थाएं कई महीने से खराब
  • आदिवासी बाहुल्य ग्राम में स्थित हैं यह विद्यालय

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में आदिवासी बाहुल्य ग्राम श्रीशोभन जो अजयगढ विकासखण्ड की ग्राम पंचायत भैरहा का है यहां पर आठवीं कक्षा तक स्कूल शासन द्वारा संचालित है। शासकीय प्राथमिक पाठशाला की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर होने के कारण उसमें बच्चों को बैठाकर पढाना पूरी तरह से शिक्षकों ने इसीलिए बंद कर दिया है कि उसकी छत की छडें निकल चुकीं हैं और ऊपर से छाप गिरती है इस कारण कहीं कोई अप्रिय घटना न घटित हो यहां पर जो शासकीय माध्यमिक स्कूल है उसमें भी पर्याप्त जगह न होने के कारण बच्चों को मजबूरन बैठकर पढना पढ रहा है। शासन बच्चों को शिक्षित करने के लिए हर वर्ष करोडों रूपए खर्च कर रही है लेकिन बिल्डिंग बनाने वाले घटिया सामग्री का उपयोग करते हुए गुणवत्ताहीन कार्य कर रहे हैं और उनके कार्य को बगैर जांचे-परखे भुगतान कर दिया जाता है।

अतिरिक्त कक्ष का किया घटिया निर्माण

आदिवासी बाहुल्य ग्राम की शासाकीय पाठशाला में वर्ष 2012 में सर्व शिक्षा अभियान द्वारा निर्मित वर्ष 2012 में नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित के अंतर्गत अतिरिक्त कक्ष का जो निर्माण किया गया है वह बेहद ही घटिया है। उस बिल्डिंग में बरसात के दिनों में बच्चे बैठकर नहीं पढ सकते क्योंकि ऊपर से पानी का रिसाव होता है नीचे भी उसकी हालत सही नहीं हैं। शिक्षक बतलाते हैं कि मजबूरी में बच्चों को एक साथ बैठाया जाता है। शासकीय माध्यमिक शाला श्रीशोभन जो जनशिक्षा केन्द्र सिंहपुर व संकुल केन्द्र हरदी के अंतर्गत आता है। इसमें प्राथमिक व माध्यमिक के कुल मिलाकर 126 छात्र-छात्रायें अध्ययनरत हैं। यहां की माध्यमिक शाला में एक व प्राथमिक शाला मेें दो नियमित शिक्षक हैं। माध्यमिक शाला में दो अतिथि शिक्षक कार्य कर रहे हैं।

पानी के अभाव में बालक शौंचालय में ताला

स्कूल के परिसर में बालकों के लिए शौंचालय का तो निर्माण करा दिया गया लेकिन पानी के अभाव में वह बंद रहता है। उसमें ताला लगा दिया गया है। वहीं बालिका छात्रावास तो टूट गया है। उसको उपयोग नहीं किया जा रहा है इस कारण से स्कूल में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को परिसर में ही निस्तार के लिए जाना पडता है। शिक्षक बतलाते हैं कि हैण्डपम्प जो परिसर में लगा हुआ है उससे जंगनुमा पानी निकलता है जो अंत्यंत ही खारा पानी है। सबर्मिशयल डला हुआ है लेकिन बिजली न होने के कारण पानी नहीं आ पाता है इसीलिए शौंचालय का उपयोग पूर्णत: बंद हैं।

मध्याहन भोजन के लिए समूह द्वारा कम सामग्री देने का लगाया आरोप

श्रीशोभन की माध्यमिक शाला में पढने वाले बच्चों को मध्याहन भोजन देने की जिम्मेदारी जिस स्वसहायता समूह को दी गई है उसके द्वारा जो खाना बनाने वाली रसोईया है उनको कम खाद्यान्न सामग्री दी जा रही है जिससे स्कूल के कई बच्चे मध्याहन भोजन से वंचित हो रहे हैं और बच्चों को जितना खाना मिलना चाहिए वह नहीं मिल रहा है। रसोइया रामकली ने बतलाया कि जितने बच्चे स्कूल में पढ रहे हैं उसके हिसाब से कम से कम दस किलो आटा मिलना चाहिए लेकिन मात्र पांच किलो आटा दिया जाता है ऐसी स्थिति में कैसे पूरा होगा। उनके द्वारा यह भी बतलाया गया कि दो साल से लकडी से भोजन तैयार करना पड रहा है धुऐं से आंखे फूटी जा रहीं हैं। मध्याहन भोजन जो बच्चों को दिए जाने की शासन द्वारा व्यवस्था बनाई गई है उसमें भी स्वसहायता समूह के संचालक डाका डालकर नौंनिहाल के हिस्सों को खा रहे हैं जो कि गंभीर बात है इसकी जांच कर कार्यवाही होनी चाहिए।

इनका कहना है बिजली कनेक्शन के कारण नलजल योजना बंद पडी है। हमारे द्वारा विद्युत मण्डल के कार्यपालन अभियंता को पत्र लिखा गया है। प्रक्रिया भी शुरू हो गई है जल्द ही बिजली के कनेक्शन होंगे। जिन विद्यालयों की स्थिति जर्जर है उनकी जानकारी मांगी गई है अगले वित्त वर्ष में उनको जोडा जायेगा। शासन से बजट प्राप्त होते ही उनकी हालत को सुधारा जायेगा।

Created On :   4 Feb 2024 5:44 PM GMT

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