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मेलघाट में वन विभाग के कैमरों में कैद हुए 47 बाघ

विजय ऋषि , अमरावती । राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के नेतृत्व में ट्रैप कैमरे लगाकर देशभर में बाघों की गणना की जाती है। इसी कड़ी में 2021 में मेलघाट में भी बाघों की गणना की गई। विशेष बात यह है कि इस दौरान 47 बाघ देखने को मिले। इतना ही नहीं पिछली बार अर्थात 2020 में हुई गणना में भी 47 बाघ दिखने का दावा किया गया था। उससे भी मजे की बात यह है कि 2019 और 2018 में दोनों ही बार 37-37 बाघ दिखाई दिए। दोनों बार समान संख्या होना एक संयोग माना जा रहा है। 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस है।
बाघों के संरक्षण के लिए किया जा रहा नियोजन
मेलघाट बाघ प्रकल्प में बाघों के संरक्षण के लिए एक पूरी प्रक्रिया अपनाई जाती है। बाघों के रहने के लिए अनुकूल वातावरण जरूरी है। यही वजह है कि उनके प्राकृतिक वास के साथ ही उनके भोजन के लिए अन्य प्राणियों के लिए घास लगाते हैं। जिससे वहां अन्य जानवरों का विचरण होकर उनके भोजन की पर्याप्त व्यवस्था बनी रहे। इसके अलावा सुरक्षा की दृष्टि से वन विभाग के कर्मचारी बीट में गश्त देते हैं। वहां जानवरों की गतिविधि, इंसानों का आवागमन, तालाबों और जलाशयों के पानी की जांच जिससे शिकारी कोई घटना का अंजाम न दे सकें।
गिनती पर खर्च होते हैं करोड़ों रुपए
बाघों के शरीर के अंगों की विदेश में अधिक मांग होने के चलते बढ़े पैमाने पर उनका शिकार किया जा रहा था। ऐसे में उनके संरक्षण के साथ ही उनकी संख्या की गिनती के लिए वर्ष 2018 से ट्रैप कैमरों के माध्यम से उनकी गिनती की जाने लगी। देशभर के बाघ प्रकल्पों में ट्रैप कैमरे लगाकर गिनती की जाती है हालांकि इन कैमरों की मॉनिटरिंग करने वाली एजेंसी भी आंकड़े एकदम सटिक होने का दावा नहीं करती है। इस प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए खर्च किया जाता है। दूसरी ओर पूर्व में यह प्रोजेक्ट गुरु पूर्णिमा के दिन किया जाता था। पहले इस दिन तालाबों के पास विभिन्न मचान पर बैठकर वहां पानी पीने आने वाले जानवरों को गिना जाता था और संख्या एकत्र कर घोषित कर दिया जाता था।
Created On :   29 July 2022 12:26 PM IST