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कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी से बच्चे सुन सकेंगे दुनिया की आवाज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) में पिछले 15 दिनों में 6 बच्चों की कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की गई है। ईएनटी विभाग द्वारा यह सर्जरी की गई है। ये बच्चे जन्म से सुन और बोल नहीं सकते थे। अब यह दुनिया की आवाज सुन सकेंगे। आने वाले दो साल में यह बच्चे सुनने के साथ ही बोलना भी शुरू कर देंगे। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों के लिए केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग एडीआईपी (दिव्यांगजनों को सहायता व सहायक उपकरण वितरण) द्वारा योजना चलाई जाती है। इसके अंतर्गत बच्चाें का कॉक्लियर इम्प्लांट करवाने के लिए 6 लाख रुपए की मदद दी जाती है।
ऐसी होती है सर्जरी प्रक्रिया : मेयो के ईएनटी विभाग प्रमुख डॉ. जीवन वेदी ने बताया कि सर्जरी से पहले तीन महीने तक बच्चों के कान को बाहरी हियरिंग एड लगाई जाती है। सर्जरी में बच्चों के कान के पीछे एक चीरा लगाया जाता है। कॉक्लियर इम्प्लांट के लिए जगह बनाकर वहां इम्लांट इलेक्ट्रोड्स फिट किया जाता है। बाद में इसकी एक मशीन बाहर लगी होती है। भीतरी मशीन आजीवन काम करती है।
इन बच्चों को मिला लाभ : यह सर्जरी जन्म के 5 साल के भीतर करनी पड़ती है। इस बार सार्वी निखारे (डेढ़ साल) आंधलगांव भंडारा, विराज शिंदे (3) नांदगांव अमरावती, प्रियांशु लांडे (3) बालगांव अमरावती, विराज आमले (साढ़े तीन साल) बोरडा अमरावती, देवांश बोरकर (4) पाथरोट, अमरावती, अरिबा सैयद (5 साल) येसूर्णा अमरावती की कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की गई है। इन बच्चों को दो साल तक स्पीच थेरेपी दी जाएगी।
टीम ने किया सहयोग : मेयो की अधिष्ठाता डॉ. लीला गुल अभिचंदानी ने कहा कि इस सर्जरी के लिए मेयो के विविध विभाग के चिकित्सक और पूरी टीम सहयोग के लिए अभिनंदन की पात्र है। इन बच्चों की थेरेपी के लिए डॉ. लक्ष्मण मोरे, डॉ. नीलू सोमाणी व डॉ. आसू दिसावर सहयोग करेंगे। इस अवसर पर एनेस्थेसिया विभाग प्रमुख डॉ. वैशाली शेलगांवकर, डॉ. शीतल दलाल, बाल रोग विभाग प्रमुख डॉ. बोकडे, मनो रोग विभाग प्रमुख डॉ. सोमाणी, मनोचिकित्सक मोनाली माहुर्ले, एक्स-रे विभाग प्रमुख डॉ. भावना सोनावणे आदि उपस्थित थे।
Created On :   15 July 2022 12:18 PM IST