विवाह के सात साल में महिला के आत्महत्या करने पर पूरे परिवार को नहीं ठहरा सकते दोषीः हाईकोर्ट

High court cannot convict entire family for committing suicide in seven years of marriage: High Court
विवाह के सात साल में महिला के आत्महत्या करने पर पूरे परिवार को नहीं ठहरा सकते दोषीः हाईकोर्ट
विवाह के सात साल में महिला के आत्महत्या करने पर पूरे परिवार को नहीं ठहरा सकते दोषीः हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ इस आधार पर पूरे परिवार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता कि महिला ने शादी के सात साल के भीतर आत्महत्या कर ली। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि इस तरह के मामले में कानून के हिसाब से पुष्ट सबूत नहीं हैं तो सिर्फ नैतिकता पति के घर वालों को दोषी ठहराने के लिए नहीं पर्याप्त नहीं हो सकती है।  निचली अदालत ने इस मामले में महिला के पति, सास व देवर को दोषी ठहराते हुए भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत कारावास की सजा सुनाई थी। जिसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। न्यायमूर्ति साधना जाधव व न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ के सामने अपील पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि महिला ने विवाह के महज दो माह के भीतर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस लिहाज से निचली अदालत का फैसला सही है। 

मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी पर लगे आरोपों को संदेह से परे जाकर साबित करने में विफल रहा है। इसके अलावा अभियोजन पक्ष यह भी नहीं साबित कर पाया कि महिला के ससुराल वालो उसके साथ किस तरह की बदसलूकी करते थे। चूंकि महिला शादी के सात साल के भीतर आत्महत्या कर ली है। सिर्फ इस आधार पर दहेज कानून के तहत पति के सारे रिश्तेदारों को दोषी नहीं माना जा सकता हैऔर हत्या जैसे गंभीर अपराध के लिए तो बिल्कुल नहीं। दोषी ठहराने के लिए कानून के लिहाज से पुष्ट सबूतों का होना जरूरी है। इस मामले की परिस्थितियां दर्शाती हैं कि महिला की शादी जल्दबाजी में कर दी गई थी। जिससे वह खुश नहीं थी। इस तरह से खंडपीठ ने मामले से जुड़े आरोपियों को दोषी ठहराने के निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया और आरोपियों को राहत प्रदान की। 

Created On :   10 April 2021 6:27 PM IST

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