सेंट्रल प्राविसंस से अलग हुआ था छिंदवाड़ा जिला

MP Foundation Day Special: Chhindwara district was separated from Central Provinces
सेंट्रल प्राविसंस से अलग हुआ था छिंदवाड़ा जिला
मप्र स्थापना दिवस विशेष सेंट्रल प्राविसंस से अलग हुआ था छिंदवाड़ा जिला

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। आजादी के पूर्व  ब्रिटिश शासनकाल में हमारा छिंदवाड़ा जिला सेंट्रल प्राविसंस (सीपी एंड बेरार) का हिस्सा था। १ नवंबर १९५६ को मध्यप्रदेश की स्थापना के साथ सिवनी जिले को अलग कर छिंदवाड़ा जिले का नया हिस्सा निर्धारित किया गया। आबादी क्षेत्र में छींद (छिंद) के पेड़ों की अधिकता होने के कारण इसे छींद बाड़ा कहा जाता था जो परिष्कृत होकर छिंदवाड़ा हो गया। जनश्रुति के अनुसार ब्रिटिश काल में फैजाबाद से आए हाथी व्यापारी रतन रघुवंशी ने यहां एक बड़े क्षेत्र में छींद के पेड़ों के बीच बाड़ा यानी भवन बना लिया। कालांतर में रतन रघुवंशी के परिजन यहां आकर बसते गए। बड़ी माता मंदिर के पूर्व में स्थित रघुवंशीपुरा नगर का सबसे पुराना क्षेत्र माना जाता है। उस समय छिंदवाड़ा छोटी बाजार तक ही सीमित था। मध्यप्रदेश का गठन होने के बाद छिंदवाड़ा जिले का विकास बेहद तेजी से हुआ और एक छोटा सा गांव विकसित होकर आज महानगर बनने की ओर अग्रसर है। मध्यप्रदेश स्थापना दिवस पर दैनिक भास्कर की विशेष रिपोर्ट....

नया क्षेत्र: १८५४ में बना था छिंदवाड़ा जिला

छिंदवाड़ा जिले की स्थापना ब्रिटिश शासनकाल के दौरान वर्ष १८५४ में की गई थी। यह सेंट्रल प्राविसंस के नागपुर डिविजन में शामिल था। वर्ष १८६१ में इससे नर्मदा (जबलपुर) डिविजन में शामिल किया गया। १ अक्टूबर १९३१ को सिवनी जिले को भी छिंदवाड़ा जिले में शामिल कर लिया गया। ३१ अक्टूबर १९५६ तक छिंदवाड़ा नर्मदा डिविजन का सबसे बड़ा जिला माना जाता था। १ नवंबर १९५६ को सिवनी जिला एक बार फिर अस्तित्व में आया और तीन तहसील के १९५३ गांवों वाला छिंदवाड़ा जिला शेष रह गया।

आबादी: ६६ साल में लगभग चार गुना

अधोसरंचनात्मक विकास के साथ ६६ साल में छिंदवाड़ा की आबादी भी तेजी से बढ़ती चली गई। आंकड़ों के हिसाब से इस अवधि में जिले की आबादी में लगभग चार गुना बढ़ोतरी हुई। शासकीय रिकार्ड के मुताबिक वर्ष १९५१ की जनगणना में छिंदवाड़ा की जनसंख्या ६ लाख ४६ हजार ४३० थी, जबकि २०२१ में यह आंकड़ा २३ लाख ३८ हजार ३८२ पर पहुंच गया। लिंगानुपात की दृष्टि से १००० पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ९६३ है।

बदलाव: तीन से तेरह तहसील

प्रदेश की स्थापना के समय जिले में महज तीन तहसील थी। इनका मुख्यालय छिंदवाड़ा, सौंसर और अमरवाड़ा था। जन सुविधा की दृष्टि से जिले में नई तहसीलों का गठन होता गया और वर्तमान में जिले में १३ तहसील क्षेत्र अस्तित्व में हैं। परासिया, और चौरई विकासखंड में दो तहसील हैं, जबकि अन्य विकासखंड में एक ही तहसील क्षेत्र है। वर्तमान में पांढुर्ना, सौंसर, बिछुआ, चांद, चौरई, अमरवाड़ा, हर्रई, तामिया, जुन्नारदेव, परासिया, उमरेठ, मोहखेड़ और छिंदवाड़ा तहसील क्षेत्र हैं।

दो साल में बन गया कलेक्ट्रेट भवन

छिंदवाड़ा का कलेक्ट्रेट भवन प्रदेश के एतिहासिक भवनों में शामिल है। मध्यप्रदेश सरकार का गठन होने के कुछ महीने बाद ही वर्ष १९५७ में कलेक्ट्रेट भवन का निर्माण शुरू हुआ था। दो साल में दो मंजिला भव्य भवन तैयार हो गया। १२ जनवरी १९५९ को तत्कालीन मुख्यमंत्री कैलाशनाथ काटजू ने इस भवन का लोकार्पण किया।

परसराम धुर्वे बने पहले मंत्री

जब मध्यप्रदेश का गठन हुआ तब छिंदवाड़ा से चार विधायक चुने जाते थे। वर्ष २००८ तक जिले में विधानसभा क्षेत्रों की संख्या आठ तक पहुंच गई। इसमें पांढुर्ना, सौंसर, छिंदवाड़ा, चौरई, अमरवाड़ा, दमुआ, जुन्नारदेव और परासिया शामिल थी। वर्ष २०१३ में यह संख्या सात हो गई। दमुआ विधानसभा क्षेत्र जुन्नारदेव और अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में मर्ज हो गया। जिले से पहले मंत्री परसराम धुर्वे थे, जिन्होंने वन मंत्रालय का दायित्व संभाला।

Created On :   1 Nov 2022 7:57 AM GMT

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