डॉ. शीतल आमटे सुसाइड पर लोगों ने माना - संवादहीनता ही विवादों का मूल कारण, समय रहते संवाद जरूरी

डॉ. शीतल आमटे सुसाइड पर  लोगों ने माना -  संवादहीनता ही विवादों का मूल कारण, समय रहते संवाद जरूरी
डॉ. शीतल आमटे सुसाइड पर लोगों ने माना - संवादहीनता ही विवादों का मूल कारण, समय रहते संवाद जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  महाराष्ट्र में मानवी मूल्य और समाजसेवा की विरासत छोड़ गए बाबा आमटे के परिवार में दुख:द खबर ने सबको झकझोर दिया। बाबा आमटे के पुत्र डॉ. विकास आमटे की बेटी व महारोगी सेवा समिति की मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. शीतल आमटे ने आत्महत्या कर ली। फिलहाल मामले को संस्था में चल रहे विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है। किसी संस्था के एक स्तर पर पहुंचने के बाद ऐसी कौनसी परिस्थिति रहती है कि, व्यक्ति को आत्महत्या को गले लगाना पड़ा। अमूमन देखा गया कि, कोई संस्था अपने शिखर पर हो तो वहां विवाद की स्थिति बनने में भी देर नहीं लगती है। आखिर इसकी क्या वजह है, इसे लेकर जानकार या इस क्षेत्र से जुड़े लोग भी अलग-अलग राय रखते हैं। 

विवाद की वजह पैसा 
मैं काफी संस्थाओं से जुड़ा हूं। काफी करीब से दूसरों को भी देखा हूं। अनेक बड़ी संस्थाओं में 90 प्रतिशत विवाद का कारण पैसा होता है। खासकर परिवार के व्यक्ति जुड़े हैं, तो वह बातों को  जल्दी दिल पर लेते हैं। भावनात्मक रुप से कमजोर होते हैं। वह अपने दिल की बात जब तक अपने  करीबियों या फ्रेंड सर्कल से साझा नहीं करते हैं, वे हल्के नहीं हो पाते हैं। बातें साझा नहीं करने पर वे लगातार तनाव में रहते हैं। यही कारण है कि, वे आत्मघाती कदम उठाने पर मजबूर होते हैं। 
-चेतन मारवाह, अध्यक्ष, मी टू वी फाउंडेशन 

संवादहीनता सबसे बड़ा कारण 
हर संस्थाओं में अलग-अलग वजह होती है। इसके लिए एक-दूसरे में संवाद होना आवश्यक है। गलतफहमियों को दूर करना चाहिए। संस्थाओं में कई लोग होते हैं। सभी अपने विचारों को सही बताने की कोशिश करते हैं। यही से विवाद की स्थिति बनती है। इसके लिए जरूरी है कि, संस्था प्रमुख ने पहल कर विवाद को हल करना चाहिए। संवाद कर सबकी अनुमति से काम को आगे बढ़ाना चाहिए। 
-एड. स्मिता सिंगलकर, सहयोग संस्था 

विचारों में तालमेल होना आवश्यक 
सामूहिक रूप से काम करते समय विचारों में तालमेल होना आवश्यक है। कई बार देखा गया कि, एक-दूसरे को सहयोग की भावना नहीं रहती है। जब तक इसे नजरअंदाज करते हैं, तब तक सब ठीक रहता है, लेकिन कभी कोई अगर दिल पर ले ले तो मामला गंभीर बनता है। खासकर व्यक्तिगत टिप्पणी या आरोप लगाते हैं, तो मामला हाथ से बाहर जाने में देर नहीं लगती। यह आगे बढ़ती चली जाती है। 
विनीत अरोरा, सृष्टि पर्यावरण मंडल

सभी संस्थाओं में विवाद होते हैं 
संस्थाओं में विवाद होना दुख:द है। अगर विवाद के मामले आमने आते हैं, तो संस्था चालक उसे हल करने में सक्षम होते हैं। बशर्ते उन्हें थाेड़ा और समय मिलना चाहिए। परिवार में कई तरह के विवाद होते हैं। बड़ी संस्था है, तो उसमें भी विवाद होते हैं। समाचार पत्रों में खबरें आने के बाद दबाव रहता है। आज समाज सेवा के लिए हर कोई आगे नहीं आता, तो यह ध्यान में रखना जरूरी है।  -डॉ. गिरीश गांधी, सामाजिक कार्यकर्ता व वनराई के विश्वस्त 

कोई आपसी विवाद ही रहा होगा 
अनेक सामाजिक संस्थाएं हैं, लेकिन कुछ ही सामाजिक संस्थाएं जो निस्वार्थ भाव से काम करती हैं। सामाजिक क्षेत्र में आदमी आनंद से ही काम करता है। मुझे लगता है कि, आपसी या पारिवारिक विवाद रहा होगा, जिस कारण आदमी इतना आत्मघाती कदम उठाता है। हालांकि, वहां ऐसी घटना होना काफी दुख:द है।  -मनोज बंड, पुलक चेतना मंच 

जब उम्मीद टूट जाती है, तब ऐसा कदम उठाया जाता 
तनाव में कई बार इस तरह की घटनाएं होती हैं। आत्महत्या कोई भी जानबूझकर नहीं करता। यह उस समय की परिस्थिति और मनोस्थिति होती है। व्यक्ति उस समय खुद को निराश महसूस करता है, उसे कोई उम्मीद नजर नहीं आती, साथ ही उसे कोई सहायता नहीं मिलती, तब इस तरह की घटनाएं होती हैं। तनाव में रहते हुए यदि व्यक्ति किसी से बात नहीं करता, तो उसके मन में कई विचार आते हैं। विचारों को भी एक्शन में बदलने में समय लगता है। कोई विचार दिमाग में आया, तो उसे तुरंत नहीं करता। इस बीच में यदि उससे कोई बात करे या उसके विचारों को हल करे तो इस तरह की घटनाएं कम हो सकती हैं। हालांकि, आत्महत्या के कई कारण होते हैं। यदि व्यक्ति की इच्छाएं पूरी नहीं होती। दूसरा उसे कोई धमका रहा है या किसी चीज को लेकर दबाव बना रहा है या डरा रहा है, वह भी कारण होता है। तीसरा कारण झगड़ा होता है। ऐसे में व्यक्ति पहले किसी तनाव में हो और उसका घर में या बाहर झगड़ा हुआ है, तो व्यक्ति अपनी चेतना खो देता है। उस समय वह कोई भी ऐसे कदम उठा सकता है।
-डॉ. विवेक किरपेकर, अध्यक्ष, इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी
 

Created On :   1 Dec 2020 8:17 AM GMT

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