हाईकोर्ट ने कहा - मां के आंचल में ही बेटी की सबसे अच्छी परवरिश

The High Court said - the best upbringing of the daughter in the mothers lap
हाईकोर्ट ने कहा - मां के आंचल में ही बेटी की सबसे अच्छी परवरिश
पति-पत्नी के संबंधों में खटास हाईकोर्ट ने कहा - मां के आंचल में ही बेटी की सबसे अच्छी परवरिश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि मां-बाप के झगड़े में बच्चे के विकास पर कोई बुरा असर नहीं पड़ना चाहिए। मां या पिता के कानूनी अधिकार क्या हैं, इस बात से ज्यादा महत्व ये रखता है कि बच्चे के लिए फायदेमंद क्या है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने कई फैसलों में यह स्पष्ट किया है कि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चे के लिए उसकी मां ही सबसे अच्छी केयरटेकर साबित हो सकती है। इस निष्कर्ष के साथ हाईकोर्ट ने एक 3 वर्ष 4 माह की बेटी की कस्टडी उसकी मां को सौंपने का आदेश दिया है। 

दंपति में था विवाद : इस दंपति का विवाह मई 2017 में हुआ था। मार्च 2019 में उन्हें एक बेटी हुई, लेकिन पति-पत्नी के संबंधों में खटास आ गई। अगस्त 2021 से वे अलग-अलग रहने लगे। तब से बच्ची पिता के साथ रह रही थी। पत्नी अपनी बेटी को अपने साथ रखना चाहती है। मां ने सबसे पहले जेएमएफसी न्यायालय में अर्जी दायर करके बच्ची की कस्टडी उसे सौंपने की प्रार्थना की। जेएमएफसी न्यायालय ने यह अर्जी खारिज कर दी। मां ने सत्र न्यायालय में अपील दायर की। वहां उसे बच्ची की कस्टडी सौंप दी गई।  फिर पिता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। दलील में कहा कि पत्नी क्रूर स्वभाव की है। वह बच्ची को पीटती भी थी। अगस्त 2021 में वह झगड़ा करके उसे और बच्ची को छोड़ कर चली गई थी। मां ने दलील दी कि बच्ची बहुत छोटी है और उसे मां की जरूरत है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला दिया है। पिता ने इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती देने का फैसला लिया और हाईकोर्ट से कुछ सप्ताह आदेश रोकने की प्रार्थना की। मान्य करते हुए हाईकोर्ट ने तीन सप्ताह का समय दिया है।
 

Created On :   25 July 2022 10:02 AM IST

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