मेडिकल की 85% सीटों पर MP के उम्मीदवारों को ही एडमिशन : HC

मेडिकल की 85% सीटों पर MP के उम्मीदवारों को ही एडमिशन : HC

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-25 03:22 GMT
मेडिकल की 85% सीटों पर MP के उम्मीदवारों को ही एडमिशन : HC

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। मध्यप्रदेश में मेडिकल कोर्स के लिए चल रही काउंसलिंग में सरकारी कोटे की 85 फीसदी सीटों पर सिर्फ मध्यप्रदेश के छात्रों को ही एडमिशन दिया जाएगा। गुरुवार को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए आदेश दिए हैं। जस्टिस जस्टिस आरएस झा और जस्टिस नंदिता दुबे की युगलपीठ ने अपने अंतरिम आदेश में साफ तौर पर कहा है कि जिस छात्र ने नीट 2017 के आवेदन में खुद को जहां का निवासी बताया है, उसे ही अंतिम माना जाए। 

सुनवाई के बाद युगलपीठ ने यह भी कहा अभी दो दौर की हुई काउंसिलिंग में जिन बाहरी छात्रों को एडमीशन मिले हैं, उन्हें बाहर करने के लिए सरकार के पास 30 सितंबर तक का समय है। सरकार फिर से मैरिट लिस्ट तैयार कर सकती है। युगलपीठ ने ये निर्देश जबलपुर की मेडिकल छात्रा तारिषी वर्मा और भोपाल के विनायक परिहार की ओर से दायर याचिकाओं पर दिए। इन मामलों में मेडिकल कोर्स की चल रही काउंसिलिंग पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं। आवेदकों का आरोप है कि सरकारी कोटे में मप्र के मूल निवासी छात्रों के लिए आरक्षित सीटों पर उप्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के करीब 200 छात्रों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला दिया गया है। 

इतना ही नहीं दूसरे राज्यों के कुछ और छात्र भी दूसरे दौर की काउंसिलिंग में शामिल होने वाले हैं। इस बारे में संबंधितों को दस्तावेजों के साथ की गई शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई न करने का आरोप विनायक परिहार की याचिका में लगाया गया है। मामलों पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता आदित्य संघी, ग्रीष्म जैन व सतीश वर्मा ने पक्ष रखा। उनका कहना था कि सरकार ने 7 जुलाई 2017 को नियम बनाकर थे। उस नियम में स्पष्ट था कि नीट 2017 के अपेन्डिक्स 5 में संबंधित छात्र ने खुद को जिस भी राज्य का मूल निवासी बताया था, उसे ही अंतिम माना जाएगा। सरकार उसी जानकारी के आधार पर सरकारी कोटे की सीटें भरेगी। इसके बाद 11 जुलाई को संशोधन करके व्यवस्था दी थी कि नीट 2017 के फॉर्म में जिन छात्रों ने मूल निवासी की जानकारी नहीं दी हो, वो अब दे सकते हैं।

आवेदकों की ओर से आरोप लगाया गया कि इसी 11 जुलाई के संशोधन के आधार पर काउंसिलिंग में घालमेल हो रहा, जो अवैधानिक है। वहीं राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव व उपमहाधिवक्ता दीपक अवस्थी हाजिर हुए। उनकी दलील थी कि छात्रों के लगाए फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र की शिकायतों पर गौर किया जाएगा। यदि कोई भी दस्तावेज जांच में फर्जी पाया गया तो संबंधित के खिलाफ विधि अनुसार कार्रवाई की जाएगी। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अपना विस्तृत आदेश सुनाते हुए कहा सरकारी कोटे की सीटों पर 7 जुलाई को बने नियमों के मुताबिक एडमीशन देने के निर्देश दिए। 
 

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