वीजा खत्म होने के बाद भी भारत में रुके अमेरिकी, हाईकोर्ट ने फटकारा

वीजा खत्म होने के बाद भी भारत में रुके अमेरिकी, हाईकोर्ट ने फटकारा

Tejinder Singh
Update: 2019-08-26 16:14 GMT
वीजा खत्म होने के बाद भी भारत में रुके अमेरिकी, हाईकोर्ट ने फटकारा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने वीजा में निर्धारित समय से अधिक भारत में रहने के लिए संयुक्त राष्ट्र अमेरिकी (यूएसए) नागरिक को कड़ी फटकार लगाई है। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता अमेरिकी नागिरक है, इसलिए उसे भारत में रहने का हक नहीं मिल जाता। अमेरिकी नागरिक जे सदगुरुस्के ने खुद को भारत से निकाले जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। सोमवार को न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता खुद वीजा में लिखी गई शर्तों के उल्लंघन की बातों को स्वीकार कर रहा है। ऐसे में वह कैसे भारत में अधिकृत रुप से रहने का दावा कर सकता है। यदि कोई अमेरिकी भारत आता है तो इसमे क्या खास बात है? आप अमेरिकी नागरिक हो इसलिए आपको (याचिकाकर्ता) लगता है कि भारत में आकर आप हर तरह का जुगाड़ कर लोगे। भारत सबको माफ करनेवाला एक महान देश है। यहां सबको सिर्फ अधिकार चाहिए जिम्मेदारी कोई नहीं लेना चाहता। 

अमेरिकी नागरिक होने से नहीं मिल जाता भारत में रहने का अधिकार 

अमेरिकी नागरिक सदगुरुस्के को मई 2018 में भारतीय अधिकारियों ने वीजा से जुड़ी शर्तों के उलंघन के बाद अमेरिका वापस भेज दिया गया था। साल 2017-2018 के बीच किए गए भारत के दौरे के दौरान याचिकाकर्ता वीजा की अवधि खत्म होने के बाद भी भारत में रहा था। याचिकाकर्ता फिलहाल अमेरिका में है और उसने अधिवक्ता बिरेंद्र श्राफ के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि उसे मई 2018 में मनमाने तरीके से अमेरिका वापस भेजा गया है। याचिका में सदगरुस्के ने दावा किया था कि वह भारत में एक गैर सरकारी संस्था के साथ काम करता था। यह संस्था गरीब बच्चों के हित में काम करती है। इस पर खंडपीठ ने कहा कि गैर सरकारी संस्था के लिए काम करना कोई बड़ी बात नहीं है? आप भारत के लिए कोई बड़ी सेवा  नहीं दे रहे थे। क्या कोई अमेरिका में इस तरह से कर सकता है? यदि कोई करेगा तो उसे सीधे हवाई जहाज में बैठाकर भारत भेज दिया जाएगा। सुनवाई की तो बहुत दूर की बात है। खंडपीठ ने फिलहाल इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है। 
 

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