आजादी से पहले कुणबी ही था मराठा समाज, हाईकोर्ट में मराठा आरक्षण समर्थक का दावा  

आजादी से पहले कुणबी ही था मराठा समाज, हाईकोर्ट में मराठा आरक्षण समर्थक का दावा  

Tejinder Singh
Update: 2019-03-12 16:11 GMT
आजादी से पहले कुणबी ही था मराठा समाज, हाईकोर्ट में मराठा आरक्षण समर्थक का दावा  

डिजिटल डेस्क, मुंबई। आजादी से पहले मराठा व कुणबी एक थे लेकिन दोनों ने अपने पेशे अलग-अलग चुन लिए। इसलिए मराठाओं पर क्षत्रिय का तमगा लग गया। छत्रपति शिवाजी महराज के कालखंड की समाप्ति के बाद मराठाओं की स्थिति बिगड़ने लगी लेकिन क्षत्रिय का तमगा लगा रहा। जिससे उनकी सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थित में बदलाव नहीं आ सका और उनका पिछड़ापन जारी रहा। इस दौरान मराठा समुदाय को सरकार की ओर से कोई लाभ नहीं मिला। मंगलवार को मराठा आरक्षण के समर्थन में आवेदन करनेवाले एक शख्स की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अरिज बुकवाला ने बांबे हाईकोर्ट में उपरोक्त दावा किया। 

मराठा आरक्षण समर्थक का दावा

न्यायमूर्ति आरवी मोरे की खंडपीठ के सामने  अधिवक्ता बुकवाला ने दावा किया कि मराठा समुदाय को सरकार की ओर से दिया गया आरक्षण नियमों के तहत है। इसलिए इसे जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आरक्षण को लेकर राज्य पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट में मामूली खामियों के चलते पूरी रिपोर्ट को नकारा नहीं जा सकता है। आयोग कि रिपोर्ट की समीक्षा को लेकर अदालत का अधिकार सीमित है। हाईकोर्ट में मराठा समुदाय को नौकरी व शिक्षा में 16 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के निर्णय के खिलाफ दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। 

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