कोरोना की मार से मुरझाई फूलों की खेती! - लाँकडाउन में परेशान हैं किसान

कोरोना की मार से मुरझाई फूलों की खेती! - लाँकडाउन में परेशान हैं किसान

Bhaskar Hindi
Update: 2020-04-04 10:11 GMT
कोरोना की मार से मुरझाई फूलों की खेती! - लाँकडाउन में परेशान हैं किसान

डिजिटल डेस्क सतना। वैश्विक महामारी कोरोना की मार से जिले की मैहर तहसील क्षेत्र में लहलहा रही फूलों की खेती भी खेतों में ही खड़े-खड़े मुरझा गई है। तहसील क्षेत्र के  सहिलरा, उदयपुर और बेरमा में उद्यानिकी विभाग ने इलाके के तकरीबन 50 किसानों के लिए 50 एकड़ में फूलों की खेती के लिए क्लस्टर तैयार किए थे। पिछले 5 साल में हार्टिकल्चर की मदद से इन किसानों की जिदंगी फूलों की तरह गमक रही थी। मुसीबत के बारे इन्हीं किसानों में से एक उदयपुर के पूरनलाल कुशवाहा बताते हैं, तकरीबन 3 एकड़ में उन्होंने इस साल भी फूलों की खेती कर रखी थी। 
हार्टिकल्चर ने कोलकाता से मंगाए थे बीज :------ 
उद्यानिकी विभाग ने उनकी तरह अन्य किसानों को भी कलकत्ता से उम्दा किस्म के बीज मंगा कर दिए थे। खेती भी अच्छी थी,मगर कोरोनो वायरस के संक्रमण की आशंका ने अबकि उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है। हर साल अकेले एक सीजन में डेढ़ से दो लाख की आय हो जाती थी। मगर, अबकि चैत्र नवरात्र में लॉकडाउन के कारण  बाजार से मांग नहीं आई। 
 दिल्ली तक थी गमक :-------- 
श्री कुशवाहा ने बताया कि हर साल सीजन में बाहर के व्यापारी खेतों पर आकर फूल ले जाते थे। मैहर इलाके की फूलों की गमक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक थी। 
जबलपुर से लेकर रीवा और छतरपुर तक फूल हर सीजन में हाथो हाथ जाते थे, मगर अबकि ऐसा नहीं है। फूलों की खेती,खेतों में ही सूख रही है।  व्यापार चौपट  है। किसानों के सामने रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया है। 
क्षतिपूर्ति का प्रावधान नहीं :-----
अर्से से मैहर तहसील क्षेत्र के उदयपुर में फूलों की खेती कर रहे किसान  पूरनलाल कुशवाहा ने बताया कि रबी,खरीफ और सब्जी की फसलों की तरह फूलों की खेती में शासन स्तर पर क्षतिपूर्ति का प्रावधान नहीं होने के कारण इलाके के लगभग 50 किसानों के परिवार परेशान हैं। श्री कुशवाहा ने फूलों की खेती के लिए भी क्षतिपूर्ति का प्रावधान किए जाने की मांग की है।  
 

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