मृत मरीजों का अब नहीं होगा कोरोना टेस्ट, मेडिकल ही भेजे जाएँगे नए पॉजिटिव

मृत मरीजों का अब नहीं होगा कोरोना टेस्ट, मेडिकल ही भेजे जाएँगे नए पॉजिटिव

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-04 09:24 GMT
मृत मरीजों का अब नहीं होगा कोरोना टेस्ट, मेडिकल ही भेजे जाएँगे नए पॉजिटिव

डिजिटल डेस्क जबलपुर । कोरोना से जुड़ी 14 मौतों में 10 के मृत्यु बाद या गंभीर स्थिति में लिए गए सैंपल पॉजिटिव आए, सभी रिपोर्ट मौत के बाद आईं। इसे प्रशासनिक स्तर पर पचाया नहीं जा पा रहा है, वहीं विभागीय स्तर पर यह माना जा रहा है कि मरीजों को उपचार के लिए निकलने में जो सक्रियता दिखाई जानी चाहिए थी वह नहीं रही। मौतों के इस ग्राफ को स्थिर करने की कवायद में प्रशासनिक स्तर पर एक मौखिक आदेश दिया गया है कि किसी गंभीर मरीज के आने पर कुछ समय के उपचार के दौरान यदि उसकी मौत होती है तो उसका सैंपल नहीं लिया जाएगा। इसके साथ ही कैजुअल्टी में आने वाले उन मरीजों के सैंपल कम ही लेने के लिए कहा गया है, जिनकी स्थिति देख मृत्यु होने की गुंजाइश ज्यादा लगे। मेडिकल कालेज अस्पताल में हुई मौतों की भरपाई के लिए अब सभी कोरोना मरीजों को मेडिकल में ही रखा जाएगा जिससे रिकवरी रेट में वृद्धि हो सके।
खुद को बेहतर जताने की कोशिश
 इस पूरे मामले में प्रशासनिक अधिकारी अ
पनी सक्रियता को बेहतर बताने की कोशिश में कोरोना मौतों के आँकड़े नहीं बढ़ें इसके प्रयास कर रहे हैं, वहीं रिकवरी रेट बढ़ाने में जुटे हैं। दरअसल मेडिकल के खाते में ही जुड़ीं सभी 14 मौतों से भोपाल स्तर पर उसकी छवि बिगड़ी है और इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों को उच्च अधिकारियों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ा। आगे ऐसी स्थिति न बने इसके लिए यह रास्ता निकाला गया है, जिसमें कोरोना से जुडऩे वाली गैर जरूरी मौतों को रोका जा सके। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मौखिक तौर पर दिए गए आदेश में अब लक्षणों के आधार पर संदिग्ध लगने वाले शवों का अंतिम संस्कार प्रोटोकॉल के तहत ही कराया जाएगा, लेकिन उनके सैंपल नहीं लिए जाएँगे। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि मरचुरी में दो दिन शव रखने की परेशानी नहीं रहेगी, साथ ही हर मौत पर सैंपल लेने का दबाव भी समाप्त होगा। 
अस्पताल स्तर पर समीक्षा गलत 
 कोविड-19 में लगे चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि भोपाल में अस्पताल स्तर पर भर्ती मरीजों की मौत और रिकवरी का आँकड़ा देखा जा रहा है, इसमें मेडिकल के खातों में मौतें जुडऩे से उसका रिकॉर्ड गड़बड़ाया है, वहीं सुखसागर और विक्टोरिया में गैर लक्षण वाले मरीज लगातार स्वस्थ हो रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए यह रास्ता निकाला गया कि मेडिकल में सीरियस मरीज तो आएँगे ही, एसिम्पटोमेटिक मरीजों को भी रखने से अस्पताल के रिवकरी रेट को काफी बढ़ाया जा सकता है। डीन डॉ. प्रदीप कसार का कहना है कि मेडिकल के सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में अभी 32 मरीज हैं जिनमें दो-तीन ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। यहाँ 80 मरीज रखने की क्षमता है, यह संख्या पूरी होने के बाद आने वाले मरीजों को मेडिकल अस्पताल के वार्डों में भर्ती किया जाएगा।
 

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